हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में लहराया भगवा, छात्र संघ चुनाव में ABVP की शानदार जीत, NOTA से भी पीछे NSUI
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी जहां पिछले 6 सालों से वामपंथी गुटों का वर्चस्व बना हुआ था, वहां छात्र संघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने शानदार जीत दर्ज की है. यहां तक की कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई (NSUI) को नोटा (NOTA) से भी कम वोट मिले हैं.
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दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव (DUSU) में शानदार जीत दर्ज करने के बाद अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) के छात्र संघ चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए सभी प्रमुख पदों पर जीत दर्ज की है. लंबे समय से वामपंथी और दलित छात्र संगठनों के प्रभाव में रही यूनिवर्सिटी में यह नतीजे एबीवीपी के लिए ऐतिहासिक माने जा रहे हैं.
ABVP ने वामपंथी किला किया ध्वस्त
एबीवीपी पैनल से शिवा पालेपू अध्यक्ष चुने गए हैं. उपाध्यक्ष पद देवेंद्र ने जीता, जबकि श्रुति महासचिव बनीं. संयुक्त सचिव का पद सौरभ शुक्ला को मिला, खेल सचिव ज्वाला प्रसाद और सांस्कृतिक सचिव का पद वीनस के नाम रहा. केवल पदाधिकारी ही नहीं, बल्कि काउंसलर और बोर्ड सदस्य पदों पर भी एबीवीपी ने बहुमत हासिल किया.
ABVP’s Total Takeover in University of Hyderabad.
— ABVP (@ABVPVoice) September 20, 2025
President ✅ Vice President ✅ General Secretary ✅ Joint Secretary ✅
Sports Secretary ✅ Cultural Secretary ✅ ICC GSCASH (Integrated & Research) ✅
Gen Z isn’t confused, we’re clear.
The saffron wave isn’t coming. It’s… pic.twitter.com/xtthh25ke6
पिछले छह वर्षों से एचसीयू (HCU) कैंपस में वामपंथी गुटों का वर्चस्व बना हुआ था. कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई और दलित संगठनों का गठजोड़ भी एबीवीपी के लिए चुनौती रहा. लेकिन इस बार नतीजे पूरी तरह से पलट गए. एबीवीपी प्रवक्ता अंतरिक्ष ने कहा, यह जीत छात्रों की राष्ट्रवादी सोच और विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ एकजुट प्रयास का प्रतीक है. खासकर सोशल साइंस डिपार्टमेंट जैसे वामपंथी गढ़ों में जीत यह दिखाती है कि छात्र अब वैचारिक दबाव से मुक्त होना चाहते हैं.
जमीन की रक्षा, छात्र हितों की बात ने HCU दिलाई जीत
HCU चुनाव में चौंकाने वाली बात यह रही कि कांग्रेस से जुड़ी एनएसयूआई (NSUI) को इस बार नोटा (NOTA) से भी कम वोट मिले हैं. यह तब हुआ है जब राज्य में कांग्रेस की सरकार है. हालांकि, एनएसयूआई का एचसीयू में कभी भी बड़ा आधार नहीं रहा, लेकिन वामपंथी संगठनों के साथ मिलकर वह हमेशा चुनावी समीकरण का हिस्सा रहा है.
एबीवीपी का कहना है कि संगठन ने कैंपस में शांति बनाए रखने, एचसीयू की जमीन की रक्षा करने और छात्र हितों को लेकर लगातार आंदोलनों में भाग लिया है. यही वजह है कि छात्रों का भरोसा इस बार बड़े पैमाने पर एबीवीपी के पक्ष में गया. एबीवीपी की तरफ से जारी बयान में कहा गया, यह जीत एचसीयू के इतिहास में एक मील का पत्थर है, जिसने छात्र समुदाय के बीच एबीवीपी के प्रति बढ़ते विश्वास को साबित किया है.
पटना से लेकर पंजाब तक दिल्ली से असम तक लहराया भगवा
इस जीत के साथ एबीवीपी ने पिछले एक साल में देश के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है. इनमें पटना विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय, गुवाहाटी विश्वविद्यालय और उत्तराखंड के कई विश्वविद्यालय शामिल हैं.
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में ABVP की जीत के बाद लगे आजादी के नारे
— Abhay Pratap Singh (बहुत सरल हूं) (@IAbhay_Pratap) September 21, 2025
- हम देके रहेंगे आजादी
- अफ़ज़ल को दे दी आजादी
- याकूब को दे दी आजादी
- कसाब को दे दी आजादी
- हर आतंकवादी को आजादी
- हर नक्सलवादी को आजादी
पहले PU जीता, फिर DU जीता, अब HCU जीता
देश का Gen Z तनकर राष्ट्रधर्म के साथ… pic.twitter.com/yEF7PcobuX
पिछले एक साल में अभाविप ने विभिन्न विश्वविद्यालयों में अपनी जीत के जरिए यह साबित किया है कि वह छात्रों के बीच गहरी पैठ रखता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एबीवीपी की यह जीत संगठन की सक्रियता, छात्र-केंद्रित नीतियों और प्रभावी रणनीति का परिणाम है.
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इन सब के बीच एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी में ABVP की जीत के बाद आजादी के नारे लगे हैं. - हम देके रहेंगे आजादी - अफ़ज़ल को दे दी आजादी - याकूब को दे दी आजादी - कसाब को दे दी आजादी - हर आतंकवादी को आजादी - हर नक्सलवादी को आजादी
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