कैश कांड में बुरे फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा, मानसून सत्र में महाभियोग का प्रस्ताव ला सकती है सरकार
देश की सर्वोच्च न्यायालय की जांच समिति द्वारा लगाए गए आरोप को गंभीर मानते हुए केंद्र सरकार आगामी मानसून सत्र में महाभियोग ला सकती है. सूत्रों के मुताबिक भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जांच रिपोर्ट की एक कॉपी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई शुरू करने की सिफारिश के साथ भेजा था.

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा की कैश कांड में मुश्किलें बढ़ सकती है. देश की सर्वोच्च न्यायालय की जांच समिति द्वारा लगाए गए आरोप को गंभीर मानते हुए केंद्र सरकार आगामी मानसून सत्र में महाभियोग ला सकती है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई तीन सदस्यीय न्याय जांच समिति ने 3 मई को अपनी रिपोर्ट में कहा कि 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने के बाद जो नोटों के बंडल मिले. वह इन आरोपों में प्रथम दृष्टया सही पाए गए है.
सुप्रीम कोर्ट की न्याय जांच समिति 22 मार्च को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित किया गया था. तीन सदस्यों वाली इस कमेटी में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधवालया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु सिवरमन शामिल हैं. इस केस को लेकर इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह कहा है कि भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जांच रिपोर्ट की एक कॉपी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई शुरू करने की सिफारिश के साथ भेजा था.
जस्टिस यशवंत ने इस्तीफा देने से किया था इनकार
सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति द्वारा पेश किए गए रिपोर्ट के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा से इस्तीफा मांगा गया लेकिन उन्होंने इस मांग को इनकार कर दिया. इसके बाद 20 मार्च को उनका ट्रांसफर करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजा गया था. जस्टिस यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में 5 अप्रैल को शपथ लें चुके हैं लेकिन अब तक उन्हें कोई भी न्यायिक कार्य का भार नहीं सौंपा गया है.
मानसूत्र सत्र में आ सकता है महाभियोग प्रस्ताव
जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर चल रहे मामले में सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, "सरकार मानसून सत्र में महाभियोग का प्रस्ताव लाएगी. दोनों सदनों के अध्यक्षों से अनुरोध किया जाएगा और विपक्ष से भी इस मामले पर सहमति ली जा सकती है."
बताते चलें कि महाभियोग के प्रस्ताव लाने के लिए संसदीय कानून के मुताबिक, लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों का प्रस्ताव को समर्थन मिलना अनिवार्य है. इसके बाद दोनों सदनों में कम से कम दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित होना चाहिए. हालांकि, कांग्रेस के जुड़े सूत्रों ने इस बात का दावा किया है कि सरकार की तरफ से महाभियोग प्रस्ताव को लेकर कोई भी औपचारिक संपर्क नहीं साधा गया है. लेकिन सभापति जगदीप धनखड़ और अध्यक्ष ओम बिरला विपक्षी नेताओं से संपर्क कर सर्वसम्मति बनाने का इस मामले में प्रयास जरूर करेंगे.