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Jharkhand : चाईबासा में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, सारंडा में तीन बंकर ध्वस्त

शुक्रवार को सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने सरंडा के जगलों में नक्सलियों के तीन बंकरों को ध्वस्त किया है. इस दौरान भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुआ है. सर्च ऑपरेशन के दौरान आईईडी ब्लास्ट होने से दो कोबरा बटालियन के जवान घायल हो गए. जिसमें एक की हालत गंभीर है.

09 Aug, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
09:48 AM )
Jharkhand : चाईबासा में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, सारंडा में तीन बंकर ध्वस्त
IANS

झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में सुरक्षा बलों ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण सफलता हासिल की. झारखंड पुलिस, कोबरा 209 बटालियन, सीआरपीएफ और झारखंड जगुआर की संयुक्त कार्रवाई में जराईकेला थाना क्षेत्र के हेंडेकुली जंगल-पहाड़ी इलाके में तीन नक्सली बंकरों को ध्वस्त किया गया.

नक्सलियों ने छुपाई विस्फोटक सामग्रियां

चाईबासा के पुलिस अधीक्षक राकेश रंजन को गुप्त सूचना मिली थी कि माओवादी नेता मिसिर बेसरा, अनमोल, मोछु अनल, असीम मंडल, अजय महतो, सागेन अंगरिया, अश्विन, पिंटू लोहरा, चंदन लोहरा, अमित हांसदा उर्फ अपटन, जयकांत और रापा मुंडा समेत नक्सलियों का हथियारबंद दस्ता सदस्य सारंडा-कोल्हान क्षेत्र में किसी बड़ी विध्वंसक कार्रवाई की योजना बना रहा है. सूचना यह भी थी कि नक्सलियों ने सुरक्षा बलों की कार्रवाई को रोकने और उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए पहाड़ी और जंगल क्षेत्र में विस्फोटक व अन्य सामग्रियां छिपा रखी हैं.

नक्सलियों के तीन बंकर ध्वस्त

सूचना के आधार पर 7 अगस्त को संयुक्त बलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया. 8 अगस्त को हेंडेकुली इलाके में तलाशी के दौरान तीन नक्सली बंकरों का पता चला, जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया. मौके से भारी मात्रा में नक्सली सामग्री बरामद की गई, जिसमें तार सहित बैटरी, नक्सली वर्दियां (हरी और काली), जंगली जूते, पिटू बैग, काला पटका, स्टील कंटेनर, काला पॉलिथीन और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं शामिल हैं.

सारंडा जंगल में विस्फोट से दो जवानों हुए थे घायल

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इसके साथ ही, शुक्रवार को नक्सलियों ने सारंडा के घने जंगल में विस्फोट कर कोबरा 209 बटालियन के दो जवानों को घायल कर दिया था. दोनों को इलाज के लिए एयरलिफ्ट कर दोपहर बाद रांची लाया गया. उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है. सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने और अपने ठिकानों तक पहुंचने से रोकने के लिए नक्सलियों ने पूरे इलाके में जमीन के नीचे जगह-जगह आईईडी लगा रखे हैं, जिन पर जवानों के पांव पड़ते या हल्का प्रेशर बनते ही विस्फोट हो जाता है.

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