इज़रायली LORA मिसाइल से लैस होंगे भारतीय फाइटर जेट, वायुसेना की मारक क्षमता में होगा इज़ाफा, पाक-चीन की बढ़ेगी टेंशन
भारतीय वायुसेना (IAF) ने एक नई रणनीति के तहत इज़रायल की लॉन्ग रेंज अटैक मिसाइल (LORA) को अपने लड़ाकू विमानों, जैसे कि Su-30 MKI, में शामिल करने पर विचार शुरू किया है. जानिए क्या है LORA मिसाइल और इसकी खासियत, जानिए.
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भारतीय वायुसेना (IAF) ने एक नई रणनीति के तहत इज़रायल की लॉन्ग रेंज अटैक मिसाइल (LORA) को अपने लड़ाकू विमानों, जैसे कि Su-30 MKI, में शामिल करने पर विचार शुरू किया है. हालांकि भारत के पास पहले से ही ब्रह्मोस जैसी शक्तिशाली मिसाइल मौजूद है, फिर भी IAF द्वारा LORA को अपनाने की योजना के पीछे क्या वजह है?
यह सवाल तब उठने लगा जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रैम्पेज मिसाइल की सफलता के बाद IAF ने लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइलों की संभावनाएं तलाशनी शुरू कीं.
LORA मिसाइल की 400 से 430 किलोमीटर तक की रेंज इसे दुश्मन के भीतर स्थित गहरे ठिकानों पर सटीक और सुरक्षित हमले करने में सक्षम बनाती है. ब्रह्मोस के साथ मिलकर LORA भारतीय वायुसेना की सामरिक ताकत को और भी व्यापक और घातक बना सकती है.
Despite BrahMos, India Explores LORA Missile For Its Fighters Like Su-30 MKI; Why LORA When IAF Has BrahMos?
— EurAsian Times (@THEEURASIATIMES) July 10, 2025IAF considers acquiring Israel’s Air LORA missile after Rampage’s success in Operation Sindoor.
With a 400–430 km range, it enables safe, deep strikes on enemy… pic.twitter.com/DQHf4p2qiO
क्या है LORA मिसाइल?
- LORA एक सुपरसोनिक क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल है.
- इसे इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने बनाया है.
- LORA को हवा से छोड़ा जा सकता है.
- इसे लड़ाकू विमानों से लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
क्या है LORA की खासियत?
- रेंज: 400-430 किमी, जो इसे दूर के दुश्मन ठिकानों पर हमला करने में सक्षम बनाती है.
- स्पीड: लगभग 6,174 किमी/घंटा.
- सटीकता: 10 मीटर से कम का सर्कुलर एरर प्रोबेबल (CEP), जो इसे निशाने पर सटीक मार करने की क्षमता देता है.
- प्रणाली: फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक और उड़ान के दौरान अपडेट लेने की क्षमता.
- उपयोग: यह हाई-वैल्यू टारगेट्स (जैसे दुश्मन के कमांड सेंटर या रडार) पर गहरे और सुरक्षित हमले के लिए उपयुक्त है.
LORA को ऑपरेशन सिंदूर में रैम्पेज मिसाइल की सफलता के बाद IAF ने गंभीरता से देखना शुरू किया, जिसमें भारतीय वायुसेना के जगुआर जेट्स ने पाकिस्तान के सुखर बेस पर सटीक हमले किए थे.
ब्रह्मोस vs LORA
भारत के पास पहले से ही ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल मौजूद है, जो 290 से 450 किलोमीटर तक की रेंज में मैक 2.8 से 3 की रफ्तार से मार करने में सक्षम है। फिर सवाल उठता है कि LORA की ज़रूरत क्यों पड़ी? इसका जवाब दोनों मिसाइलों के बीच मौजूद रणनीतिक और तकनीकी फ़र्क में छिपा है.
1- ब्रह्मोस एक लो-ऑल्टिट्यूड क्रूज मिसाइल है, जो समुद्र तल के करीब उड़ती है, जिससे यह दुश्मन की एयर डिफेंस को भेदने में सक्षम है. वहीं LORA एक क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल है, जो ऊंचाई से लॉन्च होती है और एक लोफ्टेड (ऊपर की ओर) ट्रैजेक्ट्री अपनाती है. यह दुश्मन के रडार को चकमा देने में मदद करती है. 430 किमी तक गहरे हमले कर सकती है.
2- ब्रह्मोस एक संयुक्त भारत-रूस प्रोजेक्ट है, जो महंगा है (प्रति मिसाइल की लागत 20-30 करोड़ रुपये) और निर्यात पर पाबंदी है. LORA सस्ती और निर्यात करने योग्य है, जिससे इसे आसानी से खरीदा और स्टोर किया जा सकता है.
3- ब्रह्मोस को सु-30 एमकेआई पर एक विशेष मॉड (संशोधन) के साथ लॉन्च किया जाता है, जो सीमित संख्या में ही संभव है. LORA को मौजूदा सु-30 एमकेआई विमानों में आसानी से एकीकृत किया जा सकता है, जिससे इसे तुरंत इस्तेमाल में लाया जा सकता है.
4- ब्रह्मोस भारी हमले के लिए उपयुक्त है, जैसे दुश्मन के बंकर या बड़े ठिकाने. LORA हल्की, सटीक और लंबी दूरी के प्री-एम्प्टिव हमलों के लिए बेहतर है, जैसे दुश्मन के कमांड सेंटर या रडार सिस्टम.
पाकिस्तान और चीन की बढ़ी टेंशन
पाकिस्तान और चीन की ओर से उत्पन्न खतरे भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए एक गंभीर चुनौती बने हुए हैं. पाकिस्तान की एयर डिफेंस प्रणाली और चीन की एडवांस्ड HQ-9 मिसाइलें वायुसेना की ऑपरेशन क्षमता को सीमित कर सकती हैं. ऐसे में, इज़रायली LORA मिसाइल की ऊंची ट्रैजेक्ट्री और तेज़ गति इसे इन सुरक्षा प्रणालियों से बचाते हुए लक्ष्य तक पहुंचने में सक्षम बनाती है. इसकी 400–430 किलोमीटर की मारक क्षमता के चलते कराची, रावलपिंडी या एलएसी पर स्थित चीनी ठिकानों को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है.