भारत बनाने जा रहा एक और खतरनाक हथियार, ब्रह्मोस से कई गुना घातक और तेज होगी ये मिसाइल, दुश्मन के सीने पर करेगी सीधा प्रहार
भारत ब्रह्मोस से भी ज्यादा खतरनाक मिसाइल बनाने जा रहा है. यह एक एडवांस मिसाइल है, जो ब्रह्मोस से कई गुना तेज और खतरनाक है. यह मैक 8 (आवाज की गति से आठ गुना) की स्पीड और 1,500 किलोमीटर की स्ट्राइक रेंज हासिल करने की क्षमता रखती है.
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भारत ने ऑपेरशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को जिस तरीके से बर्बाद किया है. उसको लेकर आज भी पड़ोसी मुल्क के अंदर दशहत का माहौल है. भारत ने इस ऑपेरशन के तहत ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल कर पूरी दुनिया को इसकी ताकत का भी परिचय कराया. इस बीच खबर आ रही है कि भारत इससे भी ज्यादा खतरनाक मिसाइल बनाने पर काम रहा है, जहां एक तरफ भारत खुद से कई खतरनाक हथियारों को बना रहा है, तो दूसरी तरफ इजरायल और रूस से लगातार कई बड़ी डील भी चल रही है. सूत्रों के मुताबिक, भारत ने DRDO की ओर से स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन तकनीक में अहम प्रगति हासिल करने के बाद अब हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-II को बनाने में जुट गया है, जो पहले से कहीं ज्यादा घातक और खतरनाक होगी.
ब्रह्मोस से भी ज्यादा खतरनाक
बता दें कि जिस मिसाइल को भारत बनाने में लगा हुआ है. वह एक एडवांस मिसाइल है. यह ब्रह्मोस से कई गुना तेज और खतरनाक है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैक 8 (आवाज की गति से आठ गुना) की स्पीड और 1,500 किलोमीटर की स्ट्राइक रेंज हासिल करने के लिए डिजाइन किया जा रहा है. भारत और रूस के बीच ब्रह्मोस-II के संयुक्त विकास को लेकर उच्च स्तर पर फिर से बातचीत शुरू होने वाली है. ब्रह्मोस-II एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल होगी, जो मैक 6 से कई गुना अधिक गति का लक्ष्य रखती है. यह पूरी तरह से रूस की 3M22 जिरकॉन मिसाइल से इंस्पायर्ड और स्क्रैमजेट से चलने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल होगी. इसमें परमाणु क्षमता भी है.
कब हुआ था इस प्रोजेक्ट का ऐलान
बता दें कि ब्रह्मोस-II प्रोजेक्ट का ऐलान साल 2008 में हुआ था. इस ब्रह्मोस-II प्रोजेक्ट को करीब एक दशक पहले ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने ही तैयार किया था. इसका परीक्षण साल 2015 तक होना था, लेकिन इस प्रोजेक्ट में कई कारणों से देरी हुई. इनमे मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) के सदस्य होने के नाते रूस शुरू में 300 किमी से अधिक दूरी वाली तकनीक साझा नहीं कर सकता था. लेकिन जब केंद्र में मोदी सरकार आई, तब साल 2014 में भारत MTCR का बना और फिर स्थिति बदल गई. इसके अलावा भी एक और बाधा आई, जहां लागत को लेकर चिंता जताई गई. इसमें रूस ने शुरुआत में एडवांस हाइपरसोनिक तकनीक साझा करने में अनिच्छा जताई थी. दूसरी तरफ इंडियन आर्मी ने भी प्रति मिसाइल लागत को ज्यादा बताया था. इस प्रोजेक्ट के दोबारा शुरू होने से दुनिया में एडवांस हाइपरसोनिक हथियारों की बढ़ती रुचि और प्रतिस्पर्धा ने नई जान फूंक दी है.
भारत और रूस के संयुक्त साझेदारी का परिणाम है ब्रह्मोस एयरोस्पेस
दुनिया भर में चर्चा बटोर रही ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के बीच संयुक्त ब्रह्मोस एयरोस्पेस का परिणाम है. जो साल 1998 में स्थापित हुआ था, यह मिसाइल दुनिया का सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल मानी जाती है. इसकी खास बात यह है कि यह 3.5 की गति तक पहुंच सकती है और 290 से 800 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है. यह तीनो सेना के ऑपेरशन में शामिल हो सकती है. इसे जमीन, पानी, हवा और पनडुब्बी कही भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका निर्माण तीनों को ध्यान में रखकर किया गया है.
दुश्मनों का सीना फाड़ने वाली मिसाइल है ब्रह्मोस
आप इस मिसाइल का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि यह अपनी सटीकता, लो रडार विजिबिलिटी और “फायर-एंड-फॉरगेट” वाली तकनीक से दुशमनों को निशाना बनाती है. यह भारत की रक्षा का सबसे अहम हथियार है. इसका इस्तेमाल पिछले महीने पाकिस्तान और PoK में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किया गया था. जहां सभी निशाने एकदम सटीक जगह पर लगे.
कितनी पावरफुल है ब्रह्मोस-II
आपको बता दें कि ब्रह्मोस-II मिसाइल को ब्रह्मोस-2 या ब्रह्मोस मार्क-II भी कहा जाता है. भारत की मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में यह बढ़ता कदम है. ब्रह्मोस-II के पॉवर की बात की जाए, तो इसमें स्क्रैमजेट इंजन भी लगा होगा. यह ब्रह्मोस के रामजेट सिस्टम से कहीं अधिक एडवांस है. ब्रह्मोस-II का वजन करीब 1.33 टन हो सकता है, जो एयर-लॉन्च ब्रह्मोस-A (2.65 टन) से करीब आधा होगा. इसमें भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को तेजस के साथ कई एयरक्राफ्ट में लगाई जा सकेगी. इसकी स्पीड मैक 6 से 8 के बीच और निशाने की मारक क्षमता 1,500 किमी होगी. यह हाइपरसोनिक स्पीड पर लगातार उड़ान भरेगी और दुश्मनों के किसी भी टारगेट को तबाह करेगी. ब्रह्मोस-II डिजाइन पूरी तरीके से रूस की 3M22 जिरकॉन से इंस्पायर्ड है. जो मैक 9 की गति से चलती है और रूसी नौसेना का हिस्सा भी है.