'विजय सभा कहा था, लेकिन रुदाली भाषण निकला...', उद्धव-राज ठाकरे की रैली पर सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कसा तंज
मुंबई में एक विजय रैली के दौरान महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे करीब 18 साल बाद एक ही मंच पर नजर आए. दोनों नेताओं ने भाजपा और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर जमकर निशाना साधा.

विजय रैली में बोलते हुए राज ठाकरे ने एक तीखा और व्यंग्यात्मक बयान देते हुए कहा कि, जो काम शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे नहीं कर सके, वो फडणवीस ने कर दिखाया, दोनों भाइयों को एक कर दिया. उनके इस बयान पर खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तुरंत प्रतिक्रिया दी.
वह विजय रैली नहीं बल्कि रुदाली सभा - सीएम
सीएम फडणवीस ने विजय रैली पर कहा, "मैं राज ठाकरे का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने मुझे दोनों ठाकरे भाइयों को एक साथ लाने का श्रेय दिया. यह मुझे बालासाहेब का आशीर्वाद मिलने जैसा है, लेकिन जो रैली हुई, वह विजय रैली नहीं बल्कि रुदाली सभा थी. भाषणों में मराठी भाषा का नाम भी नहीं लिया गया. सिर्फ सत्ता की लालसा और दुख की बातें थीं."
फडणवीस ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, "पिछले 25 वर्षों से मुंबई महानगरपालिका पर शिवसेना का कब्जा था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. हमने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मुंबई को नया रूप देना शुरू किया, तब उन्होंने मराठी लोगों को बेदखल कर दिया. हमने बीडीडी चॉल, पात्रा चॉल और अभ्युदय नगर के मराठी परिवारों को उसी स्थान पर बेहतर घर दिए. यही बात उन्हें चुभ रही है."
हमें हिंदुत्व-मराठी दोनों पर गर्व
मुंबई महानगरपालिका चुनाव की पृष्ठभूमि में एक बार फिर ‘मराठी अस्मिता’ बनाम ‘हिंदुत्व’ की बहस तेज होती दिख रही है. फडणवीस ने कहा, हम मराठी हैं और हमें मराठी भाषा पर गर्व है, लेकिन हम हिंदू भी हैं, और हमें अपने हिंदुत्व पर भी उतना ही गर्व है. हमारा हिंदुत्व सबको साथ लेकर चलने वाला है. उनके इस बयान को आगामी नगरपालिका चुनाव में भाजपा की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें हिंदुत्व कार्ड फिर से अहम भूमिका निभा सकता है.
शिंदे गुट की प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने ठाकरे बंधुओं की उपस्थिति को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि मंच पर दोनों नेताओं की बॉडी लैंग्वेज अलग थी. उन्होंने कहा कि राज ठाकरे जहां मराठी अस्मिता पर केंद्रित नजर आए, वहीं उद्धव ठाकरे पूरी तरह से मोदी, अमित शाह और एकनाथ शिंदे पर राजनीतिक हमलों में लगे थे. उद्धव ठाकरे सत्ता के लिए लालायित और मजबूर नजर आए. जिस भाई (राज) को कभी बेघर किया, आज उसी का सहारा ढूंढ रहे हैं.