Advertisement

भारत की पहली मेड इन इंडिया सेमीकंडक्टर चिप इस साल होगी लॉन्च, जानिए क्या होती है 28-90 nm चिप?

भारत ने सेमीकंडक्टर निर्माण की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि इस साल भारत की पहली 28-90 नैनोमीटर चिप बाजार में उतारी जाएगी. यह तकनीक स्मार्टफोन, सैटेलाइट, ऑटोमोबाइल और IoT जैसे क्षेत्रों में बेहद अहम मानी जाती है.

30 May, 2025
( Updated: 30 May, 2025
11:59 AM )
भारत की पहली मेड इन इंडिया सेमीकंडक्टर चिप इस साल होगी लॉन्च, जानिए क्या होती है 28-90 nm चिप?
Google.com

नई दिल्ली में हुए CII बिजनेस समिट में केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक बड़ी घोषणा की. उन्होंने कहा कि इस साल भारत की पहली मेड इन इंडिया 28-90 nm सेमीकंडक्टर चिप बाजार में उतार दी जाएगी. यह सिर्फ एक तकनीकी खबर नहीं, बल्कि भारत के तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम का ऐलान है. केंद्रीय मंत्री के अनुसार, फिलहाल देश में 6 सेमीकंडक्टर प्लांट्स पर काम हो रहा है. इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य सिर्फ एक चिप बनाना नहीं, बल्कि एक ऐसी मजबूत नींव तैयार करना है जिससे भारत खुद की तकनीकी ताकत बना सके. खास बात यह है कि भारत ने उस टेक्नोलॉजी से शुरुआत की है जिसकी बाजार में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है यानी 28 से 90 नैनोमीटर की चिप्स.

क्या होती है 28-90 nm चिप टेक्नोलॉजी?

सेमीकंडक्टर दुनिया की सबसे सूक्ष्म और पावरफुल तकनीकों में से एक है. इसमें “nm” यानी नैनोमीटर ट्रांजिस्टर की लंबाई को दर्शाता है. जितना छोटा यह नैनोमीटर होता है, उतनी ही चिप ज्यादा पावरफुल, तेज और ऊर्जा-कुशल होती है. लेकिन साथ में इसका निर्माण भी महंगा और जटिल हो जाता है. इसीलिए 28 से 90 nm की रेंज को आज भी एक 'स्मार्ट बैलेंस' माना जाता है. यह वो तकनीक है जो ना तो बहुत पुरानी है, ना ही इतनी नई कि महंगी और रिस्क भरी हो. 

90 nm टेक्नोलॉजी की शुरुआत 2003 के आसपास हुई जब IBM, Intel और TSMC जैसी कंपनियों ने इसे अपनाया. इसकी सबसे बड़ी खूबी थी कि यह कम बिजली में भी अच्छे परफॉर्मेंस देती थी. आज भी कई IoT डिवाइस, माइक्रोकंट्रोलर और सस्ते इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स इन्हीं चिप्स पर चलते हैं. वहीं 28 nm नोड्स ने 2011 में तकनीक में नई जान फूंकी. इस तकनीक ने स्पीड बढ़ाई, बिजली की खपत घटाई और इसे मोबाइल प्रोसेसर, ग्राफिक्स कार्ड और फील्ड प्रोग्रामेबल डिवाइसेज के लिए आदर्श बना दिया.

यह भी पढ़ें

भारत क्यों चुन रहा है 28-90 nm चिप्स?

भारत ने अपने सेमीकंडक्टर मिशन के लिए एक सोच-समझ कर बनाई गई रणनीति अपनाई है. 28 nm तक की चिप बनाने के लिए EUV जैसी महंगी मशीनों की जरूरत नहीं होती, DUV तकनीक से भी यह संभव है. इसके अलावा, इन चिप्स की मांग लगातार बनी हुई है—चाहे बात ऑटोमोबाइल की हो, सेटेलाइट्स की या स्मार्ट डिवाइसेज की. इसीलिए, भारत ने शुरुआत उसी जगह से की है जहां स्कोप और स्थिरता दोनों हैं. 

जब पूरी दुनिया 3 nm और 5 nm की होड़ में लगी है, तब भारत की 28-90 nm पर फोकस करना रणनीतिक रूप से बेहद चतुराई भरा कदम है. यह वो स्पेस है जहां पर देश तकनीकी आत्मनिर्भरता हासिल कर सकता है. इसका असर सिर्फ मोबाइल या कंप्यूटर तक सीमित नहीं रहेगा. इससे भारत रक्षा, ऑटो, स्पेस टेक्नोलॉजी और IoT इंडस्ट्री में भी बड़ी छलांग लगाने को तैयार है. मेड इन इंडिया चिप न सिर्फ तकनीकी स्वाभिमान की कहानी कहेगी, बल्कि भारत को विश्व सेमीकंडक्टर बाजार में एक सशक्त पहचान भी दिलाएगी.

Tags

Advertisement
LIVE
Advertisement
इस्लामिक आतंकवाद से पीड़ित 92% लोग मुसलमान है, अब कट्टरपंथ खत्म हो रहा है!
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स श्रेणियाँ होम राज्य खोजें