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उत्तराखंड में आपदा के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी किस तरह रहे सक्रिय, रिपोर्ट जान आप भी होंगे हैरान

देव भूमि उत्तराखंड में हमेशा आपदा के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक्टिव नज़र आते हैं, जब भी प्रदेश में उनकी जनता परेशान होती है वो तुरंत उनका जायजा लेने पहुंच जाते हैं।

15 Sep, 2024
( Updated: 15 Sep, 2024
02:06 AM )
उत्तराखंड में आपदा के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी किस तरह रहे सक्रिय, रिपोर्ट जान आप भी होंगे हैरान
उत्तराखंड को आये दिन पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से आपदा का शिकार होना पड़ता है, प्रदेश के हर राज्य में कुछ न कुछ ऐसी आपदाएं अक्सर आती हैं जो लोगों को झकझोर कर देती हैं लेकिन अपनी जनता के साथ हमेशा खड़े दिखाई देते हैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। पिछले कुछ वर्षों से अब तक उत्तराखंड ने कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है, जिनमें भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने जैसी घटनाएं शामिल हैं।लेकिन इन चुनौतियों से निपटने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा प्रबंधन को प्राथमिकता दी है और एक सक्रिय और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया है। उनका ध्यान नागरिकों की सुरक्षा, त्वरित प्रतिक्रिया और सरकारी एजेंसियों की तत्परता पर केंद्रित है, जो किसी भी आपात स्थिति का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। चलिए आपको बताते हैं मुख्यमंत्री कब - कब और कैसे एक्टिव रहे अपने राज्य में। 

आपातकालीन प्रतिक्रिया में तत्परता और सतर्कता -

मुख्यमंत्री धामी ने सुनिश्चित किया है कि राज्य के सभी संबंधित विभाग और अधिकारी आपातकालीन स्थितियों के लिए हमेशा तैयार रहें। उनका दृष्टिकोण अधिकारियों को 24x7 सतर्क रहने और किसी भी आपदा की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करता है। हाल ही में, जब वे हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार से लौटे, तो उन्होंने तुरंत राज्य के आपातकालीन संचालन केंद्र का दौरा किया और दो दिनों में हुई बारिश से प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति का जायजा लिया। यह उदाहरण उनके त्वरित निर्णय लेने और सक्रिय नेतृत्व का प्रतीक है।

जिला प्रशासन के साथ त्वरित संवाद - 

आपदा प्रबंधन में मुख्यमंत्री धामी की एक अन्य महत्वपूर्ण पहल यह है कि वे जिला मजिस्ट्रेटों से सीधे संवाद करते हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से, वे विभिन्न जिलों में आपदा की स्थिति पर नियमित अपडेट प्राप्त करते हैं और आवश्यक निर्देश देते हैं। उन्होंने सभी अधिकारियों को "अलर्ट मोड" में रहने का निर्देश दिया है, ताकि वे किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत कार्रवाई कर सकें। उत्तराखंड जैसे राज्य में, जहां मौसम अचानक बदल सकता है और भारी वर्षा, भूस्खलन जैसी घटनाएं आम हैं, यह सतर्कता बेहद जरूरी है।

मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा - 

मुख्यमंत्री धामी का नेतृत्व केवल निर्देश देने तक सीमित नहीं है। वे व्यक्तिगत रूप से आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करते हैं और राहत कार्यों की निगरानी करते हैं। जनवरी 2023 में जोशीमठ में हुए भू-धंसाव के दौरान, मुख्यमंत्री धामी ने तुरंत वहां का दौरा किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उनकी उपस्थिति ने स्थानीय लोगों और राहत कार्यकर्ताओं दोनों का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने अधिकारियों को रेस्क्यू ऑपरेशन तेज करने के निर्देश दिए, जिससे सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। यह उनकी व्यावहारिक दृष्टिकोण और संकट प्रबंधन क्षमता को दर्शाता है।

जन जागरूकता और सुरक्षा उपायों पर जोर -

मुख्यमंत्री धामी ने आपदा प्रबंधन में नागरिकों की भागीदारी के महत्व को पहचाना है। उन्होंने स्थानीय निवासियों, विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को संभावित खतरों और सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक करने के प्रयासों को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के तौर पर, हरिद्वार में भारी बारिश के बाद उत्पन्न जलभराव की स्थिति का जायजा लेने के दौरान, उन्होंने नागरिकों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की और प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री वितरित करने के निर्देश दिए। इसके अलावा, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि लोगों को समय पर चिकित्सा सहायता और भोजन उपलब्ध हो।

सक्रिय राहत और बचाव कार्य -

नवंबर 2023 में सिल्क्यारा-बड़कोट टनल में भूस्खलन के कारण 41 श्रमिक फंस गए थे। मुख्यमंत्री धामी ने इस स्थिति को प्राथमिकता दी और तुरंत बचाव कार्यों की निगरानी के लिए स्थल पर पहुंचे। उन्होंने एक सप्ताह तक घटनास्थल पर रहकर विशेषज्ञ टीमों और आईटीबीपी के साथ मिलकर काम किया। उनके नेतृत्व में चलाए गए इस बचाव अभियान की वजह से सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। यह मुख्यमंत्री के त्वरित और सक्रिय दृष्टिकोण का परिणाम था, जो सुनिश्चित करता है कि राज्य की आपातकालीन सेवाएं तेजी से और प्रभावी ढंग से काम करें।

भारी बारिश  और बाढ़ से निपटने के प्रयास -

2024 में उत्तराखंड में भारी बारिश  के कारण कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थितियां उत्पन्न हुईं। मुख्यमंत्री धामी ने खटीमा और चंपावत जिलों का हवाई और स्थलीय निरीक्षण किया और अधिकारियों को तुरंत राहत कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने सुनिश्चित किया कि फंसे हुए लोगों को एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जल पुलिस की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए। यह त्वरित प्रतिक्रिया दर्शाती है कि मुख्यमंत्री धामी प्राकृतिक आपदाओं के समय कितनी तत्परता से काम करते हैं।

तिनगढ़ और तोली गांवों में आपदा राहत कार्य -

जुलाई 2024 में टिहरी जिले के तिनगढ़ और तोली गांवों में भूस्खलन की वजह से कई घर मलबे में दब गए। हालांकि प्रशासन की तत्परता से इन घरों को पहले ही खाली करा लिया गया था, जिससे जनहानि नहीं हुई। मुख्यमंत्री धामी ने तुरंत प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने राहत शिविरों में ठहरे लोगों से भी मुलाकात की और उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। यह दौरा न केवल राहत कार्यों की निगरानी के लिए था, बल्कि प्रभावित लोगों के साथ सहानुभूति और संवेदनशीलता व्यक्त करने के लिए भी था।

केदारघाटी में सफल रेस्क्यू अभियान -

अगस्त 2024 में केदारघाटी में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण कई तीर्थयात्री और स्थानीय लोग फंस गए थे। मुख्यमंत्री धामी ने इस स्थिति का त्वरित संज्ञान लिया और राहत कार्यों की निगरानी के लिए रुद्रप्रयाग पहुंचे। उनके नेतृत्व में चलाए गए रेस्क्यू अभियान में लगभग 15,000 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। इसके बाद पैदल मार्गों की मरम्मत का कार्य तेजी से शुरू किया गया, ताकि केदारनाथ यात्रा पुनः शुरू हो सके।

समाज को एकजुट करने का संदेश -

मुख्यमंत्री धामी का आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण सिर्फ राहत कार्यों तक सीमित नहीं है। वे समाज को एकजुट रहने और एक-दूसरे का समर्थन करने का संदेश भी देते हैं। उन्होंने टिहरी के जखन्याली क्षेत्र में आपदा प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया कि राहत कार्यों में तेजी लाई जाए और प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता दी जाए। उनकी उपस्थिति ने प्रभावित समुदायों में उम्मीद और विश्वास को पुनः स्थापित किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का नेतृत्व आपदा प्रबंधन में सक्रियता, तत्परता और संवेदनशीलता का एक उदाहरण है। उनके त्वरित निर्णय लेने, घटनास्थल पर उपस्थिति और प्रभावित लोगों के प्रति सहानुभूति ने उत्तराखंड के नागरिकों का विश्वास जीता है।

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