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धनखड़ का बदलेगा सरकारी पता, उपराष्ट्रपति एन्क्लेव के बाद अब मिलेगा टाइप-8 वीवीआईपी बंगला, जानिए इसकी खासियत

उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ पिछले साल अप्रैल से वह संसद भवन के पास चर्च रोड स्थित नए उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में रह रहे थे, जो सेंट्रल विस्टा योजना के तहत बना था. करीब 15 महीने वहां रहने के बाद अब उन्हें लुटियंस दिल्ली या किसी अन्य वीवीआईपी इलाके में टाइप-8 श्रेणी का बंगला दिए जाने की संभावना है, जो आमतौर पर वरिष्ठ मंत्रियों या राष्ट्रीय दलों के नेताओं को आवंटित होता है.

23 Jul, 2025
( Updated: 23 Jul, 2025
03:54 PM )
धनखड़ का बदलेगा सरकारी पता, उपराष्ट्रपति एन्क्लेव के बाद अब मिलेगा टाइप-8 वीवीआईपी बंगला, जानिए इसकी खासियत

भारत के उपराष्ट्रपति रहे जगदीप धनखड़ ने अपने पद से अचानक इस्तीफा देकर सियासी गलियारों में चर्चाओं को तेज कर दिया है. सोमवार रात उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ने का ऐलान किया. हालांकि उनके इस फैसले के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, जिनमें यह सवाल सबसे प्रमुख है कि क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से लिया गया फैसला है या इसके पीछे कोई और गंभीर वजह छुपी है. इस्तीफे की टाइमिंग, राजनीतिक प्रतिक्रिया और नई आवास व्यवस्था को लेकर इस खबर ने खासा ध्यान खींचा है.

चर्च रोड स्थित एन्क्लेव में रह रहे थे धनखड़

धनखड़ पिछले साल अप्रैल में नवनिर्मित उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में स्थानांतरित हुए थे, जो संसद भवन परिसर के पास चर्च रोड पर स्थित है. यह एन्क्लेव ‘सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना’ के तहत तैयार किया गया है और इसमें उपराष्ट्रपति का आधिकारिक निवास और कार्यालय दोनों शामिल हैं. देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर रहते हुए धनखड़ ने इस भव्य एन्क्लेव में करीब 15 महीने बिताए. लेकिन अब, पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें यह सरकारी आवास खाली करना होगा और केंद्र सरकार उन्हें नए सिरे से आवास आवंटित करेगी.

अब टाइप-8 बंगले का प्रस्ताव

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद भी धनखड़ सरकारी आवास के हकदार रहेंगे. उन्हें लुटियंस दिल्ली या किसी अन्य वीवीआईपी इलाके में ‘टाइप-8’ श्रेणी का बंगला आवंटित किए जाने की संभावना है. यह टाइप-8 श्रेणी सरकार के सबसे उच्चस्तरीय अधिकारियों, कैबिनेट मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, या प्रमुख राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों को दिया जाता है. यह बंगला उनकी पदवी के अनुरूप होता है और उसे छोड़ते समय भी पूर्वाधिकार की श्रेणी में शामिल किया जाता है.

टाइप-8 बंगला सुविधाओं से भरपूर

टाइप-8 बंगले को सरकारी आवासों की सबसे ऊंची श्रेणी में रखा जाता है. आमतौर पर यह बंगले लुटियंस दिल्ली जैसे अति विशिष्ट इलाकों में स्थित होते हैं, जहां देश की शीर्ष सत्ता और प्रशासनिक इकाइयों का केंद्र है. इन बंगलों में चार से छह या उससे अधिक बड़े-बड़े बेडरूम होते हैं. इसके साथ ही विशाल लिविंग रूम, डाइनिंग हॉल, स्टडी रूम, ऑफिस स्पेस, आधुनिक किचन, और सुरक्षा के लिए अलग से व्यवस्थाएं होती हैं. इनमें कर्मचारियों के क्वार्टर, ड्राइवर रूम, बड़ा सा गार्डन, कई कारों के लिए गैरेज और उच्च स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था भी मौजूद रहती है. कुल मिलाकर, यह आवास न केवल सुविधाजनक होता है, बल्कि सरकारी गरिमा को बनाए रखने के लिहाज से भी अहम होता है.

इस्तीफ़े की वजह सिर्फ स्वास्थ्य कारण या कुछ और?

धनखड़ के इस्तीफे की घोषणा ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है. आम तौर पर, जब कोई उच्च संवैधानिक पद छोड़ता है, तो सरकार की ओर से सार्वजनिक प्रशंसा और प्रतिक्रिया आती है. लेकिन इस मामले में सत्ताधारी गठबंधन की ओर से कोई विशेष बयान नहीं आया, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई उनका इस्तीफा सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से है. दूसरी ओर, विपक्ष की प्रतिक्रियाएं अपेक्षाकृत सौम्य रही हैं. यह वही विपक्ष है जिसने पिछले साल धनखड़ के पक्षपातपूर्ण व्यवहार के आरोपों पर उन्हें हटाने के लिए संसद में नोटिस भी दायर किया था.

आवास से अधिक, संकेतों की राजनीति

धनखड़ का एन्क्लेव छोड़ना सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं है, यह सत्ता के गलियारों में हो रहे बदलावों का भी प्रतीक माना जा सकता है. जब कोई वरिष्ठ नेता इस स्तर का निर्णय लेता है, तो उसकी राजनीतिक या संस्थागत पृष्ठभूमि पर असर पड़ता है. खासकर हर घटना के पीछे संदेश और संकेत तलाशे जाते हैं. टाइप-8 बंगले में स्थानांतरित होने से पहले जो प्रक्रिया चल रही है, वह भविष्य के किसी संभावित बदलाव की ओर भी इशारा कर सकती है.

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बताते चलें कि धनखड़ का इस्तीफा और उपराष्ट्रपति एन्क्लेव को छोड़ना एक औपचारिक अंत जरूर है, लेकिन यह पूरी कहानी का अंत नहीं है. अब जब उन्हें टाइप-8 का सरकारी बंगला दिया जाएगा, तो वह किस भूमिका में सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा.

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