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टांड पर चढ़ खुद को गद्दे में लपेटा...लेकिन पुलिस की नज़रों से नहीं बच पाया सपा नेता कैश खान, कन्नौज से गिरफ्तार

कैश खान की गिरफ्तारी सिर्फ एक पुलिसिया कार्रवाई नहीं, बल्कि कन्नौज की राजनीति में बड़ा भूचाल है. यह जहां प्रशासन की सख्ती का संदेश देती है, वहीं यह भी उजागर करती है कि राजनीतिक रसूख के दम पर आरोपी लंबे समय तक कानून को चुनौती देता रहा.

उत्तर प्रदेश के कन्नौज में मंगलवार को बड़ी कार्रवाई देखने को मिली. समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व कोषाध्यक्ष और सपा मुखिया अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले नेता कैश खान को कोतवाली पुलिस ने उसके घर से गिरफ्तार कर लिया.

कन्नौज में सपा नेता कैश खान गिरफ्तार

28 जुलाई को प्रशासन ने कैश खान पर जिला बदर की कार्रवाई की थी. आदेश साफ था कि उसे जिले की सीमा से बाहर रहना होगा. लेकिन, कैश खान खुलेआम आदेश की अवहेलना करते हुए अपने ही घर की टाड़ पर छिपकर रह रहा था. पुलिस को लंबे समय तक भनक तक नहीं लगी. आखिरकार मुखबिर की सूचना पर दबिश देकर उसे पकड़ लिया गया.

कैश खान पर कई  मुकदमे दर्ज़

कैश खान का आपराधिक इतिहास पुराना है. उस पर पहले से ही 5 मुकदमे विचाराधीन हैं. इसके अलावा, उसने पुरातत्व विभाग की कीमती जमीन पर कब्जा करने का भी आरोप झेला है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक वह लंबे समय से विवादित गतिविधियों में सक्रिय रहा, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के कारण उस पर कार्रवाई ठंडी पड़ती रही.

गुंडा एक्ट के तहत होगी कड़ी कार्रवाई

गिरफ्तारी के बाद पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार ने साफ कहा कि आरोपी पर गुंडा एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई होगी. जिला बदर के बावजूद, जिले में छिपे रहना गंभीर अपराध माना गया है.

कैश खान की गिरफ़्तारी पर सपा में हलचल

जैसे ही गिरफ्तारी की खबर फैली, समाजवादी पार्टी के स्थानीय खेमे में हलचल मच गई. कैश खान को सपा का प्रभावशाली चेहरा माना जाता था और उसकी पकड़ न सिर्फ राजनीति में, बल्कि प्रशासनिक हलकों तक बताई जाती रही है. यही वजह है कि पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक चर्चाओं का दौर तेज हो गया है.

इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. जिला बदर का आदेश होने के बावजूद आरोपी लगभग एक महीने तक अपने घर में छिपा रहा और पुलिस को भनक तक नहीं लगी. अब चर्चा है कि क्या स्थानीय स्तर पर मिलीभगत के कारण आरोपी इतने दिन तक बचा रहा?

कैश खान की गिरफ्तारी सिर्फ एक पुलिसिया कार्रवाई नहीं, बल्कि कन्नौज की राजनीति में बड़ा भूचाल है. यह जहां प्रशासन की सख्ती का संदेश देती है, वहीं यह भी उजागर करती है कि राजनीतिक रसूख के दम पर आरोपी लंबे समय तक कानून को चुनौती देता रहा.

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