ब्रह्मोस, प्रहार छोड़िए, ISRO के 10 सैटेलाइट का ऐसा खौफ कि कांप उठा पाकिस्तान, धरती से लेकर समुद्र तक रही तीसरी आंख की नजर?
जब पाकिस्तान भारत पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर रहा था, तो उसे रोकने के लिए सिर्फ सेना ही नहीं बल्कि अंतरिक्ष में मौजूद ISRO के हाइटेक सैटेलाइट भी पूरी तरीके से तैयार थे, जो तीसरी आंख बनकर PAK की हर एक रणनीति पर नजर रख रहा था. ISRO चेयरमैन वी. नारायणन ने खुद इस बात का खुलासा किया है कि कम से कम 10 सैटेलाइट चौबीसों घंटे देश की सुरक्षा और रणनीतिक जरूरतों पर काम कर रहे थे. यह सैटेलाइट सिर्फ धरती पर ही नहीं बल्कि दुश्मन की समुद्र तक की रणनीति पर पैनी नजर रख रहीं थी.
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भारतीय सेना के ताबड़तोड़ प्रहार से पाकिस्तान घुटनों पर आ गया है. भारत के खतरनाक हथियारों को देखकर उसके माथे पर पसीना देखने को मिला. दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान होने के बाद पाकिस्तान फिर से अपनी बेशर्मी दिखाने लगा. उसने कुछ ही घंटे बाद फिर से हमले करने शुरू कर दिए. लेकिन कुछ ही घंटे बाद उसकी अक्ल ठिकाने लग गई. वह समझ गया कि जो उसने गलती की है, उसका खामियाजा भुगतना तय है. इस बार भारत उसे किसी भी हाल में नहीं छोड़ेगा. यही वजह कि पाकिस्तान अब अपना बोरिया-बिस्तर बंद कर सीजफायर की दुहाई देने लगा, फिलहाल दोनों देशों के बीच युद्धविराम है. पाकिस्तान के खिलाफ इस लड़ाई में कई लोगों ने बड़ी भूमिका निभाई है. इनमें भारत सरकार, सेना के अलावा तीसरी आँख बनकर इसरो के सैटेलाइट ने पाकिस्तान को उसकी औकात याद दिला दी. इसरो के सैटेलाइट ने आतंकियों के मुख्य ठिकानों की सटीक लोकेशन और पाकिस्तान के किसी भी मिशन की पूरी जानकारी बताई. तो चलिए जानते हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ इस लड़ाई में इसरो के सैटेलाइट ने क्या भूमिका निभाई.
भारत की तीसरी आंख बने इसरो के सैटेलाइट
भारत के साथ युद्ध के सपने देखने चला पाकिस्तान सिर्फ 4 से 5 दिनों में ही सरेंडर कर बैठा है. भारत के कई खतरनाक हथियारों के आगे उसकी एक भी न चली और S-400 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम का तो ऐसा डंका बजा है कि पूरा पाकिस्तान गहरे सदमे में है. आपको बता दें कि जब पाकिस्तान भारत पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर रहा था, तो उसे रोकने के लिए सिर्फ सेना ही नहीं बल्कि अंतरिक्ष में मौजूद ISRO के हाइटेक सैटेलाइट भी पूरी तरीके से तैयार थे. जो तीसरी आंख बनकर पाकिस्तान की हर एक रणनीति पर नजर रख रहे थे. ISRO चेयरमैन वी. नारायणन ने खुद इस बात का खुलासा किया है कि "कम से कम 10 सैटेलाइट चौबीसों घंटे देश की सुरक्षा और रणनीतिक जरूरतों पर काम कर रहे थे. यह सैटेलाइट सिर्फ धरती पर ही नहीं बल्कि दुश्मन की समुद्र तक की रणनीति पर पैनी नजर रख रहीं थी."
7000 किलोमीटर के समुद्री तट तक रखी नजर
बता दें कि इंफाल में सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (CAU) के पांचवे दीक्षांत समारोह में पहुंचे ISRO चेयरमैन नारायण ने बताया कि 'आप सभी को हमारे पड़ोसियों के बारे में पता है. अगर हमें अपने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, तो हमें अपने सैटलाइट्स के जरिए सेवा देनी होगी. अपने 7000 किलोमीटर के समुद्री तट पर और उत्तरी हिस्से पर लगातार नजर रखनी होगी. हम सैटेलाइट और बिना ड्रोन तकनीक के यह हासिल नहीं कर सकते हैं.'
ISRO की सटीक निगरानी ने 11 एयरबेस तबाह किए
इसरो चेयरमैन ने यह भी कहा कि 'पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर, पंजाब, गुजरात, राजस्थान की सीमाओं पर भयंकर गोलीबारी और ड्रोन हमले हुए. लेकिन इसरो की सैटेलाइट की मदद से इसे पूरी तरीके से विफल कर दिया. भारतीय सशस्त्र बलों ने सैटेलाइट के जरिए ही 11 एयरबेस तबाह कर दिए. जिसने पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को काफी नुकसान पहुंचाया है. इससे साफ हो गया कि सिर्फ ब्रह्मोस या प्रहार जैसे मिसाइल ही नहीं बल्कि ISRO की तकनीकी ताकत ने भी दुश्मन को चौंकाने और जवाब देने में बड़ी भूमिका निभाई है. अंतरिक्ष से मिली सटीक जानकारी ने ऑपरेशन को पूरी तरीके से सफल बना दिया.'
ISRO के 150 सैटेलाइट अंतरिक्ष में मौजूद
बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत में उपग्रहों के संचालन, निर्माण और प्रक्षेपण का केंद्र रहा है. भारत ने पहला सैटेलाइट साल 19 अप्रैल साल 1975 में सोवियत संघ की मदद से लॉन्च किया था. इसका मुख्यालय बैंगलोर में स्थित है. जिसका नाम आर्यभट्ट रखा गया था. बीते 44 सालों में ISRO ने अब तक कुल 150 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया है.
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