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एक कबूतर के कारण कराना पड़ सकता है लंग ट्रांसप्लांट, मौत तक का खतरा, जानिए कबूतर की बीट कितनी खतरनाक है

नवंबर 2023 में एक 53 साल की महिला को कबूतरों की सूखी बीट के संपर्क में आने से हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस नाम की गंभीर फेफड़ों की बीमारी हो गई. हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें लंग ट्रांसप्लांट कराना पड़ा. इससे आप समझ सकते हैं कि ये मासूम दिखने वाले कबूतर और उनके बीट कितने खतरनाक हो सकते है. जानिए इससे जुड़ी बिमारी और उनसे बचने के उपाए के बारे में….

08 Aug, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
04:56 PM )
एक कबूतर के कारण कराना पड़ सकता है लंग ट्रांसप्लांट, मौत तक का खतरा, जानिए कबूतर की बीट कितनी खतरनाक है

Bombay High Court ने कहा कि कबूतरों के झुंड को दाना डालना पब्लिक के लिए परेशानी और हेल्थ रिस्क है. ये पब्लिक हेल्थ का मामला है और हर उम्र के लोगों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है. 30 जुलाई को जस्टिस जीएस कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की बेंच ने एनिमल लवर्स की याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने BMC को निर्देश दिया कि जो लोग पब्लिक प्लेसेज़ पर कबूतरों को दाना डालते हैं, उनके खिलाफ FIR दर्ज करें. अब इस बात को लेकर लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई कि आखिर अचानक ऐसा क्यों हुआ. कोर्ट ने कबूतरों को लेकर ऐसी बात क्यों कही. 

दरअसल शहरों में कबूतरों का दिखना आम बात है. ये शांत और मासूम लगते हैं, लेकिन इनकी सूखी बीट (मल) हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है. नवंबर 2023 में एक 53 साल की महिला को कबूतरों की सूखी बीट के संपर्क में आने से हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस नाम की गंभीर फेफड़ों की बीमारी हो गई. हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें लंग ट्रांसप्लांट कराना पड़ा. इससे पहले, जनवरी 2019 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में दो लोगों की मौत भी हो चुकी है. इनके फेफड़ों में कबूतरों की बीट से फैले क्रिप्टोकोकस नामक फंगस का संक्रमण मिला था.

अमेरिका की CDC और WHO भी मानते हैं कि पक्षियों से फैलने वाली बीमारियां गंभीर खतरा हैं. कोविड-19 जैसी महामारी ने हमें यह सिखाया है कि पक्षियों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों को हल्के में लेना कितना खतरनाक हो सकता है. तो चलिए, आज की जरूरत की खबर में जानते हैं — कबूतरों की सूखी बीट इतनी खतरनाक क्यों है? और साथ ही ये भी कि ये स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित कर सकती हैं? इसके साथ ही इससे बचने के लिए क्या सावधानियां बरत सकते हैं?

1- कबूतरों की सूखी बीट इतनी खतरनाक क्यों है? 
एक्सपर्ट कहते हैं कि कबूतरों की बीट में कई खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस होते हैं. जब यह सूखकर धूल या पानी की बूंदों के साथ मिलकर सांस के जरिए शरीर में जाती है, तो फेफड़ों की सूजन (Hypersensitivity Pneumonitis), दिमाग की झिल्ली की सूजन (Cryptococcal meningitis) या सिटाकोसिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं. सिटाकोसिस फ्लू जैसी बीमारी है, जिसमें तेज बुखार, सिरदर्द और सांस लेने में तकलीफ होती है. इसके अलावा, कबूतर की बीट में साल्मोनेला बैक्टीरिया भी हो सकता है, जो दस्त और पेट से जुड़ी परेशानियां पैदा करता है.

चलिए जानते है वो बिमारियां और उनके लक्षण जो कबूतरों की सूखी बीट से होती हैं-
1- Hypersensitivity Pneumonia- सांस लेने में तकलीफ, खांसी, थकान
2- Cryptococcus Infection- तेज बुखार, सिरदर्द, भ्रम, मेनिन्जाइटिस
3- Histoplasmosis- फ्लू जैसे लक्षण, सीने में दर्द, खांसी
4- Salmonella Infection- उल्टी, दस्त, बुखार
5- Psittacosis- तेज बुखार, खांसी, मसल्स पेन
6- Allergic Reaction और Asthma- छीक, आंखों में जलन, सांस भारी होना

किन लोगों को कबूतर की बीट से बीमार होने का खतरा ज्यादा होता है?
एक्सपर्ट कहते हैं कि सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को होता है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है. इनमें बुजुर्ग, छोटे बच्चे, अस्थमा या फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोग शामिल हैं. इनके अलावा जो लोग लंबे समय तक कबूतरों की बीट या पंखों के संपर्क में रहते हैं, जैसे सफाईकर्मी या पक्षियों की देखभाल करने वाले, उन्हें सांस संबंधी बीमारियों का खतरा आम लोगों से 3 से 5 गुना ज्यादा होता है.

बालकनी या खिड़की से कबूतरों को घोंसला बनाने से कैसे रोकें?
1- बालकनी/खिड़की को साफ-सुथरा और सूखा रखें
2- वहां CD, एल्युमिनियम फॉयल और मिरर टेप जैसी चमकदार चीजें रखें
3- रेलिंग, AC यूनिट पर बर्ड स्पाइक्स लगाएं
4- नेट-जाली का इस्तेमाल कर बालकनी/खिड़की को बंद करें
5- बालकनी/खिड़की के आसपास दाना-पानी न रखें
6- कबूतरों को डराने के लिए प्लास्टिक की चील या उल्लू लगाएं

कबूतरों की बीट साफ करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
1- मास्क पहनें ताकि सूखी धूल सांस में न जाए
2- दस्ताने पहनें ताकि हाथ सीधे बीट से न लगें
3- फुल आस्तीन वाले कपड़े पहनें ताकि हाथ और हाथ की स्किन भी सुरक्षित रहे
4- सफाई के बाद अच्छे से हाथ धोएं और सैनिटाइज करें
5- सूखी बीट को झाड़ने के बजाय गीले कपड़े या डिसइन्फेक्टेंट स्प्रे से साफ करें, ताकि धूल न उड़ें
6- साफ की गई गंदगी को ठीक से निपटाएं, खुले में न फेंके

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कबूतरों की बीट से होने वाली बीमारियों का इलाज कैसे किया जाता है?
एक्सपर्ट बताते हैं कि कबूतरों की बीट से होने वाली बीमारियों का इलाज, बीमारी के प्रकार और उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है. सबसे पहले डॉक्टर टेस्ट करके सही बीमारी की पहचान करते हैं. इसके बाद बैक्टीरिया या फंगस को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक या एंटीफंगल दवाएं दी जाती हैं.
अगर फेफड़ों में सूजन या सांस लेने में दिक्कत हो, तो सांस को आसान बनाने वाली दवाएं दी जाती हैं. गंभीर मामलों में मरीज को आराम, ऑक्सीजन सपोर्ट और पूरी मेडिकल केयर की जरूरत पड़ सकती है.

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