Advertisement

ब्रिटेन के पूर्व मंत्री ने चेताया, भारत को लेकर इन गलतियों में से एक भी गलती नहीं कर सकता कोई देश... लेकिन ट्रंप ने एक साथ कर दीं तीनों 'अक्षम्य भूल'

ब्रिटेन के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री विलियम हेग ने ट्रंप की गलतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि हिंदुस्तान एक गौरवशाली, राष्ट्रवादी, अडिग देश है. आप उसके साथ रिश्तों को संभालकर चलते हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत के साथ ये तीन गलतियां तो कर ही नहीं कर सकते जो ट्रंप ने की हैं.

Author
03 Sep 2025
( Updated: 11 Dec 2025
02:05 PM )
ब्रिटेन के पूर्व मंत्री ने चेताया, भारत को लेकर इन गलतियों में से एक भी गलती नहीं कर सकता कोई देश... लेकिन ट्रंप ने एक साथ कर दीं तीनों 'अक्षम्य भूल'
Image: William Hague / Donald Trump (File Photo)

अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत को लेकर अपनाई गई एकतरफा और दबाव की नीति बैकफायर होती हुई नजर आ रही है. पहले यूएसए के लोग इसकी आलोचना कर ही रहे थे, अब उसके सबसे क्लोज पार्टनर ब्रिटेन से भी आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं. इसी बीच UK के पूर्व मिनिस्टर विलियम हेग ने ट्रंप की नीतियों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि दुनिया का हर विदेश मंत्री जानता है कि भारत जैसे गौरवशाली, संस्कृति और प्राचीन सभ्यता वाले अडिग और राष्ट्रवादी देश के साथ रिश्तों को बेहद सावधानी से संभालना पड़ता है, मोदी राज में तो खास तौर पर ध्यान देने की जरूरत है.

पश्चिमी देशों के दबाव सामने नहीं झुकेगा भारत

हेग ने आगे कहा कि उपनिवेशवाद के अनुभव ने इसे पश्चिमी दबाव के प्रति बेहद संवेदनशील बना दिया है. उन्होंने आगे कहा कि भारत के ब्रिटिश राज के अनुभवों ने उसे पश्चिमी देशों के सामने नहीं झुकने के प्रति और सख्त और कठोर बना दिया है, और वो नहीं झुकेगा.

उन्होंने आगे कहा भारत के नेता और डिप्लोमेट दुनिया के साथ संबंधों को पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के चश्मे से देखते हैं और उसी आधार पर रवैया भी अपनाते हैं. हेग ने पाक के साथ पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर का हवाला देते हुए कहा कि भारत को यह कतई पसंद नहीं कि कोई द्विपक्षीय रिश्तों में टांग अड़ाए. उन्होंने आगे कहा कि हिंदुस्तान को खासतौर पर ये बात तो बिल्कुल पसंद नहीं कि कोई तीसरा देश पाकिस्तान के साथ उसके कथित विवाद में मध्यस्थ बनने की कोशिश करता है या पेशकश भी करता है, इस पर वह बुरी तरह भड़क जाता है, रिएक्ट करता है.

'भारत के साथ आप ये तीन गलती नहीं कर सकते'

ब्रिटेन के मंत्री के तौर पर अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने दुनियाभर के नेताओं को सलाह देते हुए कहा कि भारत को समझने के तीन सूत्र हैं. 

1. कभी दबाव या धमकी की भाषा न बोलें.

2. कभी भारत-पाकिस्तान के झगड़े को बाहर से सुलझाने या मध्यस्थता का दावा न करें.

3. और ऐसा जताने की जरूरत नहीं है कि PAK आर्मी आपकी सबसे अच्छी दोस्त है.

ट्रंप ने भारत से रिश्ते के तोड़े तीनों बुनियादी संबंध

हेग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा कि हाल ही में ट्रंप ने तीनों नियम तोड़े. उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप के 50% टैरिफ लगाने का कोई भी फायदा नहीं होने वाला है. ये तय है कि इसके कारण तो भारत ट्रेड टॉक पर तो कतई पीछे नहीं हटेगा.

‘मुनीर के कारण मोदी ने नहीं उठाई ट्रंप की कॉल’

पूर्व ब्रिटिश मंत्री ने कहा कि ट्रंप और व्हाइट हाउस का पाकिस्तान के प्रति रवैये के कारण मोदी ने ट्रंप की कॉल तक लेने से इंकार कर दिया. ट्रंप के दावे और भारत-पाक झड़प को कथित अपनी “सुलझाए गए जंगों” की सूची में जोड़ लेना, और पाकिस्तानी सेना प्रमुख को व्यक्तिगत तौर पर व्हाइट हाउस में मेजबानी करना, दिल्ली के नेताओं को भड़काने के लिए काफी था.

चीन के लिए मैदान खाली!

शी अपनी शक्ति को जल्दी से जल्दी मज़बूत करना चाहते हैं. और इस साल उन्हें सबसे बड़ा भू-राजनीतिक तोहफ़ा मिला है, जब से 1972 में निक्सन माओ से मिलने चीन पहुँचे थे. राष्ट्रपति ट्रंप ने अप्रैल में जो "मुक्ति दिवस" टैरिफ लगाए, वे इतनी बड़ी गलती साबित हुए कि बीजिंग ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि वह अमेरिका का सामना कर सकता है. दुर्लभ खनिजों और आवश्यक धातुओं पर चीन के नियंत्रण ने उसे निर्णायक बढ़त दिला दी. अमेरिका की व्यापार नीति उलटी दिशा में चली गई है, यहाँ तक कि उन उन्नत चिप्स की आपूर्ति भी खोल दी गई है जिन्हें बाइडन ने रोका था, और अब चीनी एआई कंपनी डीपसीक सिलिकॉन वैली से आगे निकलने की दौड़ में है.

अज्ञानता और गलत आकलन का नतीजा!

यह संभव ही नहीं कि अमेरिका की कोई रणनीति भारत को चीन की ओर धकेलने की हो. यह अज्ञानता या गलत आकलन का नतीजा है. लेकिन यह भू-राजनीतिक तोहफ़ा चीन के लिए बहुत बड़ा है. दक्षिण-पूर्व एशिया के देश, जैसे वियतनाम, जिन्होंने चीन से बाहर उत्पादन बेस बनाकर अमेरिका का साथ दिया था, अब अमेरिकी टैरिफ की धमकियों से परेशान हैं. ब्राज़ील के साथ कठोर रवैया दिखा रहा है कि लैटिन अमेरिका के लिए चीन ज़्यादा भरोसेमंद है. अमेरिकी मदद में भारी कटौती ने अफ्रीका के देशों को भी चीन की ओर मोड़ दिया है.

‘अमेरिका का घाटा, चीन का फायदा’

हेग ने चेतावनी देते हुए कहा कि जहां भी अमेरिका खालीपन छोड़ता है, वहां चीन प्रवेश कर जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन में अमेरिका पीछे हटा, तो चीन ने 500 मिलियन डॉलर की मदद का ऐलान किया. चीनी राजनयिक अब यूनेस्को, अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ और पूरी संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में असर बढ़ाने की ओर हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस का यह कहना कि चीन “बहुपक्षीय व्यवस्था का मूल स्तंभ” है, शी के लिए बड़ी उपलब्धि थी. यह उसी देश की बात है जो तिब्बत और शिनजियांग में मानवाधिकार रौंदता है, हांगकांग की आज़ादी की गारंटी तोड़ चुका है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सब्सिडी से बिगाड़ता है. इसके बावजूद, चीन अब खुद को नियम-आधारित व्यवस्था का चैंपियन और स्वच्छ ऊर्जा व नवीकरणीय तकनीक का घर बता सकता है.

शायद ही किसी महाशक्ति ने ट्रंप जैसी मूर्खता की हो!

उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि इतिहास में ऐसा उदाहरण खोजना मुश्किल है कि कोई महाशक्ति अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी को इतने मौके दे. एथेंस ने कभी स्पार्टा को, न ब्रिटेन ने जर्मनी को, न अमेरिका ने सोवियत संघ को ऐसे तोहफ़े दिए. अगर यह जल्द नहीं बदला गया, तो पश्चिम को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. ट्रंप यह कहकर आश्वस्त रहे हैं कि शी ने उनसे कहा था, “जब तक आप राष्ट्रपति हैं, मैं ताइवान पर आक्रमण नहीं करूंगा.” लेकिन शी जानता है कि उसकी परेड में शामिल सैनिकों से समुद्र तट पर आक्रमण करवाना उसकी योजना नहीं है.

पश्चिमी देश को कीमत चुकानी पड़ेगी!

यह भी पढ़ें

विदेश नीति में यह कीमत चुकानी पड़ती है अगर आप दूसरे देशों को समझे बिना काम करते हैं, खासकर तब जब वे चीन और भारत जितने अहम हों. हैरान मत होना अगर जल्द ही पश्चिम को यह कीमत पूरी तरह चुकानी पड़े.

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
Gautam Khattar ने मुसलमानों की साजिश का पर्दाफ़ाश किया, Modi-Yogi के जाने का इंतजार है बस!
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें