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पाकिस्तान में बाढ़ का कहर: झेलम नदी में भारत ने छोड़ा पानी, लगी इमरजेंसी

भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित करते हुए झेलम नदी में पानी छोड़ दिया, जिससे पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद इलाके में भारी बाढ़ आ गई। इस घटना से पाकिस्तान में दहशत फैल गई और वॉटर इमरजेंसी लागू करनी पड़ी।

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27 Apr 2025
( Updated: 10 Dec 2025
06:47 PM )
पाकिस्तान में बाढ़ का कहर: झेलम नदी में भारत ने छोड़ा पानी, लगी इमरजेंसी
26 अप्रैल 2025 का दिन पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद के लोगों के लिए किसी भयावह सपने जैसा साबित हुआ. भारत की ओर से झेलम नदी में अचानक पानी छोड़े जाने के बाद पूरा इलाका जलमग्न हो गया. सड़कों पर पानी बहने लगा. घरों में घुटनों तक पानी भर गया. प्रशासन ने आनन-फानन में वॉटर इमरजेंसी का ऐलान कर दिया. लोग घबराए हुए अपने घरों से बाहर निकलकर ऊंची जगहों की ओर भागते नजर आए.

यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ 'सिंधु जल संधि' को आंशिक रूप से स्थगित करने का फैसला किया है. दरअसल, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को करारा संदेश देने के लिए यह रणनीतिक कदम उठाया. अब तक पाकिस्तान सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर निर्भर था, लेकिन भारत ने इस समीकरण को बदलने का ऐलान कर दिया है.

कैसे फैली तबाही मुजफ्फराबाद में

जानकारी के अनुसार, भारत के उरी क्षेत्र से होते हुए अनंतनाग जिले से जब चकोठी की ओर पानी बढ़ा, तो झेलम नदी का स्तर अचानक तेज़ी से बढ़ गया. देखते ही देखते पानी ने रिहायशी इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया. हट्टिन बाला, चकोठी और अन्य क्षेत्रों में भारी बाढ़ जैसे हालात बन गए. स्कूल, बाजार, अस्पताल सब कुछ जलमग्न हो गया. कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है और लोग पीने के पानी के लिए जूझ रहे हैं.

मुजफ्फराबाद प्रशासन ने इमरजेंसी अलर्ट जारी करते हुए लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है. राहत और बचाव कार्य भी शुरू कर दिए गए हैं, लेकिन हालात बेकाबू होते दिख रहे हैं.

सिंधु जल संधि पर भारत का नया रुख

सिंधु जल संधि वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी. इस संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों — सतलुज, ब्यास और रावी — के पानी पर विशेष अधिकार मिले थे, जिनका वार्षिक प्रवाह लगभग 33 मिलियन एकड़ फुट (MAF) है. वहीं पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर प्राथमिक अधिकार मिला, जिनका कुल प्रवाह लगभग 135 MAF है.

लेकिन हाल के वर्षों में पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को बढ़ावा देने और भारत विरोधी गतिविधियों के चलते भारत सरकार ने इस संधि की समीक्षा शुरू कर दी थी. पहलगाम हमले के बाद भारत ने स्पष्ट कर दिया कि अब हालात बदल चुके हैं. पानी का एक-एक कतरा अब राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से देखा जाएगा.

एक बूंद भी नहीं जाएगी पाकिस्तान

जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने शुक्रवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत अब रणनीति बना रहा है कि पानी की एक भी बूंद पाकिस्तान नहीं जानी चाहिए. इसके लिए कई स्तरों पर योजना बनाई जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर गृह मंत्री अमित शाह ने एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें इस रणनीति पर चर्चा हुई.

मंत्रालय को आदेश दिया गया है कि पश्चिमी नदियों — सिंधु, झेलम और चिनाब — के पानी का पूर्ण उपयोग कैसे किया जाए, इस पर तत्काल अध्ययन किया जाए. इसके तहत नए डैम, नहरें और पानी मोड़ने के उपायों पर विचार किया जा रहा है.

बड़ी चुनौती, बुनियादी ढांचे की कमी

हालांकि इस योजना को पूरी तरह सफल बनाने के रास्ते में कई चुनौतियां भी हैं. जल विशेषज्ञ हिमांशु ठक्कर का कहना है कि फिलहाल भारत के पास उतना मजबूत बुनियादी ढांचा नहीं है कि तुरंत पानी के प्रवाह को रोका जा सके. चिनाब घाटी में कई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिन्हें पूरा होने में अभी 5 से 7 साल का समय लग सकता है. तब तक स्वाभाविक ढलान के कारण पानी पाकिस्तान की ओर बहता रहेगा. पर्यावरणविद् श्रीपद धर्माधिकारी का भी कहना है कि पानी का बहाव तुरंत रोकना संभव नहीं है. इसके लिए बड़े पैमाने पर बांधों और मोड़ने वाले सिस्टम की आवश्यकता है, जो फिलहाल भारत के पास सीमित मात्रा में हैं. लेकिन भविष्य में जब ये परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी, तो भारत के पास पूरी तरह से नियंत्रण करने की ताकत होगी.

भारत के इस कदम से पाकिस्तान में खलबली मच गई है. झेलम में आई बाढ़ ने वहां के प्रशासन और आम जनता को झकझोर कर रख दिया है. पाकिस्तानी मीडिया में भी इसे लेकर भारी चर्चा हो रही है. कई चैनलों पर विश्लेषक यह कहते नजर आ रहे हैं कि अगर भारत ने सिंधु जल संधि को पूरी तरह निलंबित कर दिया तो पाकिस्तान को भयंकर जल संकट का सामना करना पड़ेगा. यह कदम न केवल एक भौतिक चोट है, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक दबाव भी है, जो पाकिस्तान को उसके नीतिगत रवैये पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर सकता है.

अब सवाल यह उठता है कि आगे क्या होगा? भारत धीरे-धीरे पश्चिमी नदियों के पानी का अधिकतम उपयोग करने की दिशा में बढ़ रहा है. नए डैम और जल परियोजनाओं पर तेजी से काम किया जाएगा. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले 5 से 7 वर्षों में भारत इस स्थिति में होगा कि वह पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी के बहाव को पूरी तरह नियंत्रित कर सकेगा.

फिलहाल के हालात ने एक बात तो साफ कर दी है  अब पानी भी भारत की रणनीतिक ताकत का एक बड़ा हथियार बन चुका है. जिस तरह भारत ने सैन्य और कूटनीतिक मोर्चों पर पाकिस्तान को पीछे धकेला है, अब जल संसाधनों के मोर्चे पर भी उसे रणनीतिक तौर पर मात दी जा रही है.

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