याचिका को 'प्रचार हित' बताकर याचिकाकर्ता पर भड़के CJI बीआर गवई, कहा- मुझे ये तेवर मत दिखाइए, आपको पहले भी अवमानना से बचाया…
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें राज्य चुनाव आयोगों को राजनीतिक दलों की कथित अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश देने की मांग की गई थी. चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि यह जनहित से ज्यादा “प्रचार हित” याचिका लगती है
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें राज्य चुनाव आयोगों को राजनीतिक दलों की कथित अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश देने की मांग की गई थी, जो देश की संप्रभुता, अखंडता और एकता को कमजोर कर सकती हैं. चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि यह जनहित से ज्यादा “प्रचार हित” याचिका लगती है और ऐसी याचिकाओं पर हम सुनवाई नहीं कर सकते. कोर्ट ने साफ किया कि जनहित याचिका के नाम पर पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन की अनुमति नहीं दी जा सकती.
चीफ जस्टिस ने दी चेतावनी
इसके अलावा, बेंच ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में आने की प्रथा पर नाराजगी जताई. घनश्याम दयालु उपाध्याय नाम के व्यक्ति ने केंद्र और चुनाव आयोग के खिलाफ याचिका दायर की थी, लेकिन चीफ जस्टिस ने चेतावनी देते हुए पूछा कि क्या इसे मुंबई हाई कोर्ट में नहीं उठाया जा सकता? यह तो एक प्रचार हित याचिका लगती है. उन्होंने कहा कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए जनहित याचिकाएं जरूरी हैं, लेकिन यह याचिका केंद्र या चुनाव आयोग की नीतियों से जुड़ी है और अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में आने का कोई औचित्य नहीं है.
'मुझे ये तेवर मत दिखाइए...'
इसके बाद पीठ ने याचिकाकर्ता को जनहित याचिका वापस लेने और कोई दूसरा कानूनी रास्ता अपनाने की अनुमति दे दी. सुनवाई के आखिर में चीफ जस्टिस बीआर गवई याचिकाकर्ता के वकील से नाराज हो गए और बोले, मुझे ये तेवर मत दिखाइए. मुझे आपको यह याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि मुंबई हाई कोर्ट में क्या हुआ था. मैंने आपको पहले भी अवमानना से बचाया है. याचिका में मांग की गई थी कि सभी राज्य निर्वाचन आयोग देशभर में राजनीतिक दलों की गैरकानूनी गतिविधियों पर नजर रखें और उन्हें रोकने के लिए एक संयुक्त योजना बनाएं.
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