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क्यों गिलास से नहीं, बल्कि लोटे से पीना चाहिए पानी? जानिए इसके फायदे

आयुर्वेद और धर्म ग्रंथों के मुताबिक चांदी, तांबा, कांसा और पीतल जैसे धातुओं के बर्तन में रखा पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है. जबकि प्लास्टिक, स्टील या लोहे के बर्तनों में पानी पीने से बचना चाहिए क्योंकि ये शरीर पर बुरा असर डाल सकते हैं. आइए जानते हैं लोटे से पानी पीने के क्या फायदे होते हैं.

23 May, 2025
( Updated: 23 May, 2025
03:58 PM )
क्यों गिलास से नहीं, बल्कि लोटे से पीना चाहिए पानी? जानिए इसके फायदे
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपनी सेहत को अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं. खान-पान की गलत आदतें और पानी पीने के तरीके में बदलाव हमारे पाचन तंत्र पर सीधा असर डालते हैं. हम में से ज़्यादातर लोग पानी पीने के लिए गिलास का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय परंपरा में इस्तेमाल होने वाले लोटे से पानी पीना हमारे स्वास्थ्य के लिए कहीं ज़्यादा फायदेमंद हो सकता है? आयुर्वेद में पानी पीने के सही तरीके पर बहुत ज़ोर दिया गया है, और लोटे से पानी पीना इसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. आयुर्वेद और धर्म ग्रंथों के मुताबिक चांदी, तांबा, कांसा और पीतल जैसे धातुओं के बर्तन में रखा पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है. जबकि प्लास्टिक, स्टील या लोहे के बर्तनों में पानी पीने से बचना चाहिए क्योंकि ये शरीर पर बुरा असर डाल सकते हैं. आइए जानते हैं लोटे से पानी पीने के क्या फायदे होते हैं. 

लोटे से पानी पीने के फायदे

लोटे से पानी पीने के कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक लाभ हैं, जो हमारे पेट और आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं:

1. सही गति से पानी का सेवन
गिलास से पानी पीते समय हम अक्सर जल्दबाजी में एक ही बार में बहुत सारा पानी पी लेते हैं. इससे पानी सीधे हमारे पेट में जाता है और आंतों को इसे संभालने में मुश्किल होती है. वहीं, लोटे का आकार गोल होता है, जो आयुर्वेद के अनुसार ज्यादा लाभदायक होता है. इससे धीरे-धीरे पानी अंदर जाता है. इस प्रक्रिया में पानी की गति नियंत्रित रहती है. गोल चीजों का बाहरी हिस्सा यानी सरफेस एरिया कम होता है, और जब सरफेस यानी सतह कम होती है तो उस पर तनाव, जिसे वैज्ञानिक भाषा में सरफेस टेंशन कहते हैं, वह भी कम होता है. जब पानी का सरफेस टेंशन कम होता है, तो वह शरीर के लिए और भी फायदेमंद बन जाता है. इससे पाचन तंत्र पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता और शरीर पानी को बेहतर ढंग से अवशोषित कर पाता है. 

2. पेट और आंतों की बेहतर सफाई
धीरे-धीरे पानी पीने से यह हमारे पूरे पाचन तंत्र से होकर गुजरता है. लोटे से पानी पीने पर पानी की बूंदें गले से लेकर आंतों तक के रास्ते को साफ करती हुई नीचे जाती हैं. इससे आंतों में जमी गंदगी और विषाक्त पदार्थ बाहर निकालने में मदद मिलती है, जिससे पेट और आंतें बिल्कुल साफ रहती हैं. यह कब्ज और गैस जैसी समस्याओं को दूर करने में भी सहायक है. जब पेट और आंतें साफ होती हैं, तो शरीर पोषक तत्वों को बेहतर ढंग से अवशोषित कर पाता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है.

3. वायु विकार में कमी
आयुर्वेद के अनुसार, तेजी से पानी पीने से शरीर में वायु (गैस) बढ़ती है. गिलास से तेज़ी से पानी गटकने से हवा भी अंदर जाती है, जिससे पेट फूलना या गैस जैसी समस्याएं हो सकती हैं. लोटे से धीरे-धीरे पानी पीने पर हवा का प्रवेश कम होता है, जिससे वायु विकार की समस्या में कमी आती है. यह पेट को शांत रखने और पाचन क्रिया को सुचारू बनाए रखने में मदद करता है.

अपने दैनिक जीवन में अपनाएं यह आदत

आजकल हम भले ही आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन अपनी पुरानी और पारंपरिक आदतों में कई स्वास्थ्य लाभ छिपे हुए हैं. गिलास की जगह लोटे से पानी पीने की यह छोटी सी आदत आपके पेट और आंतों को स्वस्थ रखने में बड़ा योगदान दे सकती है. तो, अगली बार जब आप पानी पिएं, तो एक बार लोटे का इस्तेमाल करके देखें. यह सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन की दिशा में एक छोटा सा कदम है.

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