Kannappa Movie Review: प्रभास, विष्णु मंचु और अक्षय कुमार की फिल्म के कमजोर स्क्रीनप्ले ने कर दिया बेड़ा गर्क!
विष्णु मंचु, प्रभास और अक्षय कुमार की फिल्म कन्नपा रिलीज़ हो गई है. अगर इस फिल्म को देखने की योजना बना रहे हैं, तो पहले ये रिव्यू पढ़कर जान लें कि क्या यह फिल्म आपके समय और पैसे के लायक है. मुकेश कुमार सिंह द्वारा निर्देशित इस फिल्म को तेलुगु, हिंदी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, और अंग्रेजी में भाषा में रिलीज़ किया गया है.

कन्नपा मूवी रिव्यू
स्टार्स: विष्णु मंचु, मोहन बाबू, प्रभास और अक्षय कुमार
डायरेक्टर: मुकेश कुमार सिंह
रेटिंग्स - 2.5 स्टार्स
विष्णु मंचु, प्रभास और अक्षय कुमार जैसे सितारों से सजी पौराणिक एक्शन ड्रामा फिल्म कन्नपा सिनेमाघरों में रिलीज हो गई हैं. यह भगवान शिव के भक्त कन्नप्पा की पौराणिक कथा पर आधारित है, जो एक नास्तिक शिकारी से शिव का परम भक्त बनता है और अपनी भक्ति में अपनी आंखें तक बलिदान कर देता है. अगर आप इसे देखने की योजना बना रहे हैं, तो पहले ये रिव्यू पढ़कर जान लें कि क्या यह फिल्म आपके समय और पैसे के लायक है. मुकेश कुमार सिंह द्वारा निर्देशित इस फिल्म को तेलुगु, हिंदी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, और अंग्रेजी में भाषा में रिलीज़ किया गया है.
कहानी
कन्नप्पा थिन्नाडु (विष्णु मंचु) की कहानी है, जो एक नास्तिक और कुशल शिकारी है, लेकिन भगवान शिव का परम भक्त कन्नप्पा बन जाता है. कहानी भगवान शिव (अक्षय कुमार) और माता पार्वती (काजल अग्रवाल) के बीच एक दैवीय संवाद से शुरू होती है, जहां पार्वती पूछती हैं कि वायुलिंगम की पूजा सभी कब कर सकेंगे. यह कन्नप्पा की कहानी का आधार बनता है, जिसे देवताओं की नजरों से देखा जाता है. थिन्नाडु की मुलाकात नेमलि (प्रीति मुखुंधन) से होती है, जो वायुलिंगम की खोज में है. दोनों का रिश्ता गहराता है, लेकिन एक चालाक ज्योतिषी मारेम्मा (मधु) थिन्नाडु के दोस्त की बलि देती है, जिससे युद्ध छिड़ता है. थिन्नाडु के पिता गंडमल्लु उसे निर्वासित कर देते हैं, और वह नेमलि के साथ जंगल में जीवन शुरू करता है.
महाशिवरात्रि पर शिव का एक रहस्यमयी अवतार, अवधूत, उसे जीवन के सबक सिखाता है, और वह वायुलिंगम तक पहुंचता है. कन्नप्पा विभिन्न जनजातियों को एकजुट करता है और अदृश्य आक्रमणकारियों से लड़ता है. फिल्म में थिन्नाडु का अर्जुन के रूप में पिछले जन्म का खुलासा होता है, और अंत में उसका भक्ति भरा बलिदान दर्शकों को भावुक करता है.आख़िर कैसे थिनाडू एक नास्तिक से भगवान शिव का समर्पित अनुयायी बन जाता है, जो कन्नप्पा की पौराणिक भक्ति के आध्यात्मिक सार को दर्शाता है. ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
तकनीकी पहलू
कन्नपा को क्रिटिक्स की तरफ़ से मिली झुली प्रतिक्रिया मिली है. फिल्म के पहले भाग में इसका स्क्रीनप्ले काफी कमजोर है. इसका प्लाट काफी स्लो है, साथ ही फिल्म को कुछ ज्यादा ही लंबा कर दिया गया है, जो कि इस फिल्म का सबसे कमजोर पक्ष है. फिल्म का पहला भाग बेहद ही सुस्त है, और एक्शन भी बोरिंग लगता है, लेकिन इसका दूसरा भाग बेहतर है, ख़ासकर फिल्म के आखिरी 40 मिनट रोमांचक और भावनात्मक रूप से प्रभावशाली हैं. फिल्म का क्लाईमेक्स कमाल है. जो आपको को बांधे रखने में मजबूर कर देता है. सिनेमैटोग्राफी न्यूजीलैंड के हरे-भरे जंगलों और मंदिरों को खूबसूरती से कैद करती है, लेकिन कुछ जगहों कमजोर लगती है.
फिल्म के विजुअल इफेक्ट्स एवरेज हैं, जो और बेहतर हो सकते थे. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और गाने, जैसे “शिवा शिवा शंकरा”, भक्ति भाव को बढ़ाते हैं. फिल्म की एडिटिंग पहले भाग में एवरेज लगती है, लेकिन दूसरे भाग में बेहतर लगती है. फ़िल्म की एक और बड़ी कमजोरी है इसके कॉस्ट्यूम और लोकेशन, 100 से 150 करोड़ के बजट बनने के बाद भी इसके कॉस्ट्यूम और लोकेशन में भव्यता की कमी झलकती है. फिल्म में सपोर्टिंग कास्ट के लिए कुछ ख़ास नहीं है.
अभिनय
विष्णु मंचु का अभिनय, खासकर क्लाइमेक्स में, प्रभावशाली है. पहले भाग में कमजोर स्क्रीनप्ले के कारण उनका प्रदर्शन एवरेज लगता है. मोहन बाबू ने महादेव शास्त्री का किरदार बखूबी ढंग से निभाया है. जो कि फिल्म का एक मजबूत पक्ष है.उनकी मौजूदगी दूसरे भाग को और प्रभावी बनाती है. फिल्म में प्रभास ने रुद्र का किरदार निभाया है. प्रभास का कैमियो, खासकर महाशिवरात्रि दृश्य में, दर्शकों का दिल जीतता है. फिल्म का टर्निंग पॉइंट और थियेटर्स में जमा हुई भीड़ को खुश कर देने वाला है. उनकी मौजूदगी भक्ति भाव को और गहराती है.
मोहनलाल ने किराता का रोल निभाया है. मोहनलाल का छोटा रोल प्रभावी है, लेकिन प्रभास की तुलना में कम चर्चा में रहा. उनका किरदार पौराणिक माहौल को बढ़ाता है.अक्षय कुमार ने भगवान शिव और काजल अग्रवाल ने पार्वती का किरदार निभाया है. इनके दैवीय किरदारों के कैमियो दृश्यात्मक रूप से आकर्षक हैं, लेकिन स्क्रीन टाइम सीमित है. अक्षय का शिव अवतार क्लाइमेक्स में खास छाप छोड़ता है. सपोर्टिंग कास्ट में प्रीति मुखुंधन (नेमलि) अपनी सुंदरता और अभिनय से प्रभावित करती हैं. आर. सरथकुमार (नाथनाथुडु), मधु (मारेम्मा), और ब्रह्मानंदम, ब्रह्माजी, मुकेश ऋषि जैसे कलाकार ठीक हैं, लेकिन बड़े स्टारकास्ट का पूरा उपयोग नहीं हो पाया.
डायरेक्शन
मुकेश कुमार सिंह का निर्देशन महत्वाकांक्षी है. कई जगहों पर वो फिल्म को संभालते नज़र आते हैं. क्लाइमेक्स और भक्ति भाव इसके मजबूत पक्ष हैं. जबकि स्क्रीनप्ले और VFX इसका कमजोर पक्ष है. अगर आप शिव भक्त है औेर पौराणिक फिल्मों को देखना पसंद करते हैं तो आप कन्नपा देख सकते हैं.