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भारतीय महिलाएं आखिर क्यों पहनती हैं पायल और बिछिया? वैज्ञानिक कारण जान हैरान रह जाएंगे आप!

अक्सर आपने देखा होगा कि कई लोग हर समय पायल और बिछिया अपने पैरों पर पहने रहते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इसे धारण करने से वैवाहिक जीवन में शुभता आती है तो कुछ दूसरे लोग मानते हैं कि शादी के बाद इन्हें पहनना जरूरी होता है. लेकिन असल में इसके पीछे क्या कारण छिपा है आइए विस्तार से जानते हैं.

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14 Nov 2025
( Updated: 11 Dec 2025
09:04 AM )
भारतीय महिलाएं आखिर क्यों पहनती हैं पायल और बिछिया? वैज्ञानिक कारण जान हैरान रह जाएंगे आप!

सनातन धर्म में पायल और बिछिया पहनने का बहुत महत्व है. मान्यता है कि ये न सिर्फ सनातनी परंपरा है बल्कि धार्मिक आस्था, ऊर्जा संतुलन और अच्छे स्वास्थ्य का भी प्रतीक है. ऐसा करने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण छिपे हैं. अब वो कैसे ऐसे में चलिए इनके बारे में आपको भी बताते हैं… लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि हिंदू धर्म में बिछिया और पायल को सुहाग की निशानी माना जाता है. भले ही आज बदलते वक्त के साथ लोगों ने इसे पहनना कम कर दिया हो लेकिन इसके पीछे कई धार्मिक कारणों के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं.

शादी के बाद बिछिया पहनना क्यों जरूरी होता है?

आपने अक्सर देखा होगा कि बिछिया दूसरी और तीसरी उंगली में पहना जाता है. लेकिन इसके पीछे धार्मिक कारण छिपा है कि फेरों के वक्त और कन्यादान के दौरान बिछिया पहनाया जाता है जो उनके वैवाहिक जीवन का प्रतीक है. लेकिन आपको बता दें कि दोनों पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनाने से प्रजनन क्षमता मजबूत होती है और गर्भाशय का ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है. साथ ही इससे रक्त प्रवाह भी सही तरीके से होता है. इतना ही नहीं, ऐसा करने से महिलाओं को अनियमित पीरियड्स की परेशानी से भी छुटकारा मिलता है.

शादी के बाद पायल क्यों पहना जाता है?

आजकल के बदलते दौर में कई महिलाएं शादी से पहले ही पायल पहनना शुरू कर देती हैं. लेकिन आखिर ऐसा क्यों किया जाता है? क्या आपके भी मन में ये सवाल उठ रहा है तो जानिए… धार्मिक दृष्टि से पायल पहनना सुहाग की निशानी मानी जाती है. लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से इसके कई फायदे हैं. जैसे कि पायल पहनने से शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं. शादी के बाद प्रेग्नेंसी के दौरान पैरों में होने वाली सूजन भी दूर होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पायल और बिछिया पहनने का चलन कब और कैसे शुरु हुआ?

कब और कैसे शुरू हुआ पायल और बिछिया पहनने का चलन?

पायल और बिछिया पहनने की परंपरा बहुत ही प्राचीन है, जिसकी शुरुआत हजारों साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक काल से मानी जाती है. पुराने ग्रंथ और खुदाई के दौरान मिले अवशेष बताते हैं कि महिलाएं सौंदर्य और शुभता के लिए इसे पहनती थीं. उस समय बिछिये और पायल की ध्वनि को सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता था. इसलिए महिलाएं इन्हें पहनना पसंद करती थीं और आज तक ये परंपरा चलती आ रही है.

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Disclaimer: इस जानकारी की पुष्टि NMF NEWS नहीं करता है. ये जानकारी अलग-अलग माध्यमों से लेकर आप तक पहुंचाई गई है.

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