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नाथ संप्रदाय से आने वाले योगी बाबा कौन सा रुद्राक्ष पहने हुए हैं ?

साधु-संन्यासी हो या फिर एक आम आदमी, रुद्राक्ष धारण करने की दिलचस्पी हर किसी में देखी जाती है. और इसी दिलचस्पी के साथ अगर आप यह जानना चाह रहे हैं कि यूपी का नाथ संन्यासी 22 साल की उम्र से कौन सा रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं, जिसकी शक्ति आज उनका सुरक्षा कवच बन चुकी है? तो इसके लिए देखते रहिए सिर्फ धर्म ज्ञान.

17 Jul, 2025
( Updated: 17 Jul, 2025
08:45 AM )
नाथ संप्रदाय से आने वाले योगी बाबा कौन सा रुद्राक्ष पहने हुए हैं ?

जगत की रक्षा के लिए जटाधारी शिव ने विष का पान किया. और उनके आंसुओं से उत्पन्न रुद्राक्ष ने जगत का कल्याण किया. शिवत्व को जानने के लिए अगर आध्यात्मिकता की गहराई में उतरना पड़ता है, तो उनके प्रतीक चिन्ह रुद्राक्ष को धारण कर अंतर्मन से उसकी शक्तियों को महसूस करना पड़ता है. इसी के चलते शिव भक्तों के लिए रुद्राक्ष पूजनीय हो जाता है. साधु-संन्यासी हो या फिर एक आम आदमी, रुद्राक्ष धारण करने की दिलचस्पी हर किसी में देखी जाती है. और इसी दिलचस्पी के साथ अगर आप यह जानना चाह रहे हैं कि यूपी का नाथ संन्यासी 22 साल की उम्र से कौन सा रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं, जिसकी शक्ति आज उनका सुरक्षा कवच बन चुकी है? तो इसके लिए देखते रहिए सिर्फ धर्म ज्ञान.

कर्म और धर्म के प्रति यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वफादारी हर क्षण देखने को मिलती है. यूपी के लिए योगी कितने उपयोगी साबित हुए हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाइए. लॉ एंड ऑर्डर में सबसे ज्यादा कड़क हैं. माफियाओं के लिए बुलडोजर बाबा हैं. अपराधियों के लिए एनकाउंटर बाबा हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर चलते हैं और जब बात धर्म की आती है, तो अपने कर्तव्य पथ से डगमगाते नहीं हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सादगी भरा जीवन किसी से छिपा नहीं है. महंत हैं, संन्यासी की दिनचर्या पर चलते हैं. जनता को अपना परिवार मानते हैं. संपत्ति के नाम पर 1 करोड़ 15 लाख रुपये जमा हैं. 49 हजार रुपये कीमत वाले सोने के कुंडल कान में पहनते हैं और गले में रुद्राक्ष से मंडित सोने की चेन धारण किए हुए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस नाथ संन्यासी के गले में कौन सा रुद्राक्ष है और सबसे दिलचस्प बात यह कि एक संन्यासी के लिए रुद्राक्ष क्या मायने रखता है?

रुद्राक्ष का नाम लेते ही लोगों की आंखों में रुद्राक्ष बाबा की छवि उमड़ पड़ती है. हम उन्हीं रुद्राक्ष बाबा की बात कर रहे हैं, जिनका धड़ और तन, दोनों रुद्राक्ष से सुशोभित रहता है. इस बार के महाकुंभ में हरियाणा से आए आवाहन अखाड़े के संत गीतानंद महाराज लोगों के बीच रुद्राक्ष बाबा के नाम से ज़्यादा मशहूर हुए. जिस रुद्राक्ष में शिव का वास है, उसी रुद्राक्ष को गीतानंद महाराज अपने शीश पर धारण किए रहते हैं और वो भी एक-दो नहीं, बल्कि हज़ारों रुद्राक्ष की मालाएं. रुद्राक्ष माला की शिवलिंग रूपी इसी आकृति का वजन 45 किलो है. मतलब यह कि बाबा अपने शीश पर 45 किलो का वजन धारण किए रहते हैं. ऊपर से शरीर पर अनगिनत रुद्राक्ष की मालाएं. यही रुद्राक्ष बाबा घंटों गंगा की रेती पर धूनी रमाकर साधना करते हैं. ना इनका कोई परिवार है और ना ही कोई शुभचिंतक. अपना संपूर्ण जीवन मानव सेवा और राष्ट्र के नाम समर्पित किया. राष्ट्र हित में सालों से धूनी रमाकर साधना कर रहे हैं. संकल्प है भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना, मथुरा-काशी को मस्जिद मुक्त करना. इन्हीं संकल्पों को लेकर रुद्राक्ष बाबा ने 2031 तक का समय घोषित किया हुआ है.

इन्हीं रुद्राक्ष बाबा के आगे जब यूपी के नाथ संन्यासी योगी बाबा का नाम लिया जाता है, तो उनके गले में दिखने वाले रुद्राक्ष को लेकर दुनिया की दिलचस्पी उमड़ पड़ती है. 22 साल की उम्र में योगी बाबा ने सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण किया और गोरक्षनाथ मंदिर को अपना ठिकाना बनाया. इसलिए माना जाता है कि तभी से योगी बाबा रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं. अमूमन नाथ संप्रदाय से जुड़े संन्यासी ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं, क्योंकि यह रुद्राक्ष शिव के 11 रुद्रों का प्रतिनिधित्व करता है. इसके अलावा नाथ संन्यासी आध्यात्मिक लाभ के लिए एकमुखी रुद्राक्ष को भी धारण करते हैं. प्रत्येक नाथ संन्यासी के लिए रुद्राक्ष खास इसलिए भी है क्योंकि यह उनकी जीवनशैली का सबसे बड़ा हिस्सा होता है.

योगी बाबा के गले में कौन सा रुद्राक्ष है, इसकी सटीक जानकारी कहीं उपलब्ध नहीं है. लेकिन चूंकि योगी बाबा नाथ संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए अनुमान लगाया जाता है कि वे एकमुखी या फिर ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण किए हुए होंगे.

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