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मासिक शिवरात्रि पर बन रहे 4 दुर्लभ संयोग, जानें किस मुहूर्त में पूजा करने से मिलेगा मनचाहा फल

Monthly Shivratri: हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से मनचाहा फल प्राप्त होता है. इस दौरान व्रत करने से अविवाहित कन्याओं को मनोवांछित पति मिलता है. ऐसे में इस बार मासिक शिवरात्रि पर चार दुर्लभ संयोग भी बन रहे हैं. जो इस खास अवसर को और भी अद्भुत बना रहे हैं. इस दौरान पूजा करने से आप भी पा सकते हैं मनचाहा फल. पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़ें…

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19 Sep 2025
( Updated: 11 Dec 2025
01:52 PM )
मासिक शिवरात्रि पर बन रहे 4 दुर्लभ संयोग, जानें किस मुहूर्त में पूजा करने से मिलेगा मनचाहा फल

सनातन एक ऐसा धर्म है जहाँ हर तिथि हर वार का अपना एक खास महत्व होता है. जैसे कि कल यानी 19 सितंबर को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. ये दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है. भोले के भक्त इस दिन महादेव की पूजा-अर्चना के साथ व्रत भी रखते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से भक्तों को मनचाहा फल मिलता है. अगर विवाहित महिलाएँ इस व्रत को करती हैं तो उनके विवाहित जीवन में खुशहाली आती है और अविवाहित कन्याओं के जल्द ही विवाह के योग बनते हैं. लेकिन इस बार मासिक शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त क्या है? इस दौरान कौन से शुभ योग बन रहे हैं और किन मंत्रों के जाप से मिलेगी महादेव की कृपा? आइए इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.

कब है मासिक शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त?

मासिक शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को रात 11:36 बजे से शुरू होकर 21 सितंबर रात 12:16 बजे तक रहेगा. इस दौरान रात में पूजा करने का विधान है इसलिए पूजा का समय 19 सितंबर को रात 11:51 बजे से शुरू होकर 12:38 बजे तक रहने वाला है.

मासिक शिवरात्रि पर कौन से दुर्लभ संयोग बन रहे हैं?

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, अमृत योग और अमृत सिद्धि जैसे योग बन रहे हैं. इस कारण शुभ मुहूर्त पर पूजा करने से साधक को मनचाहा फल प्राप्त हो सकता है.

मासिक शिवरात्रि के दौरान किन मंत्रों का जाप करना चाहिए?

मासिक शिवरात्रि पर इन मंत्रों का जाप करने से ईश्वर और साधक के बीच का संबंध मजबूत होता है. इस दौरान इन मंत्रों का जाप जरूर करें…

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्. उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्.

ॐ नमो भगवते रुद्राय.

ॐ नमः शिवाय.

ॐ नमो महादेवाय.

मासिक शिवरात्रि की पौराणिक कथा

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पौराणिक कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों ने अमृत के लिए समुद्र मंथन किया था उस दौरान समुद्र से हलाहल नामक भयंकर विष निकला. ये विष इतना घातक था जो एक ही पल में सब कुछ नष्ट कर सकता था. इसलिए भगवान शिव ने करुणा दिखाकर उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया. इस कारण उनका गला नीला पड़ गया. तब माता पार्वती ने भगवान शिव के गले से विष को नीचे उतरने से रोका. ये घटना कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हुई, इसलिए इसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है.

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