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तालिबान की पाकिस्तान को ख़तरनाक धमकी, ‘परमाणु जितने ताक़तवर लड़ाके’

पाकिस्तान की तरफ़ की गई कार्रवाई को दांत तोड़ने वाला जवाब बताया उसके बाद अब तालिबान की तरफ़ से भी मुंह तोड़ जवाब सामने आ गया है…तालिबान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास ने कहा कि भले ही पाकिस्तान के पास परमाणु बम हो लेकिन उसके पास इसे टक्कर देने वाले लड़ाके हैं..पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि उनके पास परमाणु बम जितने शक्तिशाली लड़ाके हैं

अफ़ग़ानिस्तान पर पाकिस्तान के अटैक करने के बाद तालिबानी लड़ाकों ने जिस तरीके से पाकिस्तान को जवाब दिया है वो बताता है कि पाकिस्तान को जो सबक मिलना चाहिए था वो अब मिल रहा है। पाकिस्तान की तरफ़ से हवाई हमले में कई अफ़ग़ानिस्तानी लोगों के मारे जाने के बाद तालिबान बुरी तरह भड़क गया था। जिसके बार्डर पर पहुंचकर पाकिस्तान के कई इलाक़ों में तबाही मचाई गई। लेकिन जब पाकिस्तान की अकड़ नहीं टूटी और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने एक सरकारी बैठक में बोलते हुए कहा कि इन आतंकवादियों को पूरी तरह से खत्म करने का समय आ गया है और पाकिस्तान की तरफ़ की गई कार्रवाई को दांत तोड़ने वाला जवाब बताया उसके बाद अब तालिबान की तरफ़ से भी मुंह तोड़ जवाब सामने आ गया है।


तालिबान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास ने कहा कि । "भले ही पाकिस्तान के पास परमाणु बम हो लेकिन उसके पास इसे टक्कर देने वाले लड़ाके हैं। पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि उनके पास परमाणु बम जितने शक्तिशाली लड़ाके हैं।उनके लड़ाकों में आधुनिक हथियारों से मुकाबला करने की ताकत है"

अब ये टिप्पणी पाकिस्तान पर बड़ी भारी पड़ रही है। माना अब ये जा रहा है। कि पाकिस्तान के लिए तालिबानी लड़ाके किसी काल से कम नहीं है।और वो पूरी तरह पाकिस्तान आर्मी को खदेड़ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान ने जिस तालिबान को पालकर तैयार किया है वो आज उसी पर कहर क्यों ढा रहा है। तालिबान पाकिस्तान का कट्टर दुश्मन कैसे बन गया, इसे समझने से पहले दोनों की दोस्ती को जान लीजिए। तालिबान ने लगभग 20 साल तक अफगानिस्तान में अमेरिका के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उस दौरान तालिबान नेता और उसके लड़ाके पाकिस्तान के अंदर शरण लेते थे। पाकिस्तान के प्रमुख शहरों क्वेटा, पेशावर और यहां तक कि कराची तक में तालिबान नेता रहा करते थे।

पाकिस्तान के अंदर तालिबान को बड़ा समर्थन मिला और पाकिस्तान की बदौलत ही वो एक फिर उठ खड़ा हुआ और 2021 में अफ़ग़ानिस्तान पर फिर राज किया लेकिन इसके बाद से ही पाकिस्तान से उसके रिश्ते ख़राब होते चले गए। पाकिस्तान की तरह ही अब तालिबान तर्क दे रहा है कि टीटीपी एक आंतरिक पाकिस्तानी मुद्दा है और उसे अपने स्तर पर निपटना चाहिए।

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