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Apache Attack Helicopter : क्यो हो रही है डिलीवरी में देरी, अमेरीका अब क्या देगा भारत को जवाब ?

8 अगस्त को अमेरिका के अलबामा में अपाचे हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ. इंस्ट्रक्टर पायलट की मौत हो गई. दूसरा पायलट जख्मी था. हादसे की असली वजह तो नहीं सामने आई लेकिन ये कहा जा रहा है कि हेलिकॉप्टर के इलेक्ट्रिकल पावर जेनरेटर फेल हो गए थे. जिसकी वजह से कॉकपिट में धुआं भर गया था।इसलिए बोईंग कंपनी ने फिलहाल सभी नए हेलिकॉप्टरों की डिलिवरी को रोक दिया है।

Created By: NMF News
09 Sep, 2024
( Updated: 12 Sep, 2024
06:45 PM )
Apache Attack Helicopter : क्यो हो रही है डिलीवरी में देरी, अमेरीका अब क्या देगा भारत को जवाब ?

सबसे धमाकेदार लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स में से एक, अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स, जो अमेरिका भारत को भेजने वाला है, अब तक भारत नहीं आए हैं। डील के मुताबिक अमेरिकी एयरक्राफ्ट मेकर कंपनी बोइंग ने भारतीय सेना के लिए 6 अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स का प्रोडक्शन शुरू कर दिया था। सभी हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी 2024 यानि इसी साल मई-जून तक होनी की बात कही गई थी, लेकिन अब भी इसका इंतजार भारत को है। अमेरिका की यह कंपनी कब तक ये हेलिकॉप्टर भारत को देगी, यह भी अब साफ नहीं है। कहा जा रहा है कि बोइंग कंपनी ने फिलहाल हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी रोक दी है। अब ऐसा क्यों हो रहा है? भारत को अब कब इन हेलिकॉप्टर्स की डिलीवरी मिलेगी? और ऐसा इन हेलिकॉप्टर्स में क्या खास है जो इसे इतना शक्तिशाली बनाता है कि भारत को इसकी कमी महसूस हो रही है और इसका बेसबरी से इंतजार किया जा रहा है? 

ये बात साल 2008 की है, जब भारतीय वायुसेना ने 22 अटैक हेलिकॉप्टर्स के लिए टेंडर निकाला। इसमें छह अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भाग लिया:

  • सिकोर्स्की का यूएच-60 ब्लैक हॉक
  • एएच-64डी
  • बेल का एच-1 सुपर कोबरा
  • यूरोकॉप्टर टाइगर
  • मिल्स एमआई-28
  • अगस्ता वेस्टलैंड का ए129 मांगुस्ता

अक्टूबर तक बोइंग और बेल ने अपने नाम वापस ले लिए। 2009 में इतनी बड़ी डील को हासिल करने की यह प्रतियोगिता फिर से शुरू हुई। साल 2010 में भारत ने 22 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स और उससे संबंधित यंत्रों, उपकरणों की खरीद की सहमति दी। 5 अक्टूबर 2012 को वायुसेना प्रमुख एनएके ब्राउन ने अपाचे के चयन की पुष्टि की। भारतीय वायुसेना ने 22 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स मंगाए ताकि एयर कॉम्बैट मिशन को पूरा कर सकें। इन हेलिकॉप्टर्स की मांग आर्मी एविएशन कॉर्प्स ने भी की थी। लेकिन 22 हेलिकॉप्टर्स वायुसेना को दिए गए। भारत ने इसके बाद 2015 में 22 और एएच-64ई अपाचे हेलिकॉप्टर्स मंगाए। 11 मई 2019 को पहला अपाचे हेलिकॉप्टर मिला। सितंबर 2019 में 9 अपाचे पाकिस्तान सीमा के पास स्थित इंडियन एयरफोर्स के पठानकोट एयरबेस पर तैनात किए गए। इंडियन आर्मी के लिए भी छह अपाचे हेलिकॉप्टर्स मंगाए गए हैं। असल में हर जगह फाइटर जेट्स नहीं जा सकते क्योंकि उनकी गति बहुत ज्यादा होती है। इसलिए कुछ जगहों पर हमला करने के लिए अटैक हेलिकॉप्टर्स की जरूरत पड़ती है।

अब जानिए कि बाकी बचे 6 हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी में देरी क्यों हो रही है। दरअसल, भारतीय सेना के लिए बोइंग कंपनी के छह अपाचे AH-64E अटैक हेलिकॉप्टर्स आने थे, जिनका अब तक इंतजार है। दो बैच में ये हेलिकॉप्टर मिलते। लेकिन इसमें देरी क्यों हो रही है, यह कंपनी ने बताई है। यह डील हुए चार साल होने को हैं। छह हेलिकॉप्टर्स के लिए 6,716 करोड़ रुपए की डील हुई थी। 8 अगस्त को अमेरिका के अलबामा में एक अपाचे हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ। इंस्ट्रक्टर पायलट की मौत हो गई और दूसरा पायलट जख्मी था। हादसे की असली वजह तो नहीं सामने आई, लेकिन यह कहा जा रहा है कि हेलिकॉप्टर के इलेक्ट्रिकल पावर जेनरेटर फेल हो गए थे, जिसकी वजह से कॉकपिट में धुआं भर गया था। इसलिए बोइंग कंपनी ने फिलहाल सभी नए हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी को रोक दिया है। जब तक नए हेलिकॉप्टरों में इस समस्या की जांच नहीं हो जाती, तब तक डिलीवरी नहीं होगी। IDRW यानी इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग के मुताबिक, इस साल के अंत तक उम्मीद भी कम है।

क्या खास है अपाचे हेलिकॉप्टर में?

  • 16 फीट ऊंचे और 18 फीट चौड़े अपाचे हेलिकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट होना जरूरी हैं।
  • हेलिकॉप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं, जिसकी वजह से इसकी स्पीड 280 किलोमीटर प्रति घंटा है।
  • इसका डिजाइन ऐसा है कि इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल है।
  • हेलिकॉप्टर के नीचे लगी राइफल में एक बार में 30mm की 1200 गोलियां भरी जा सकती हैं।
  • फलाइंग रेंज करीब 550 किलोमीटर है। यह एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ सकता है।

अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर में 70 मिमी के Hydra-70, CRV, APKWS या हवा से जमीन पर मार करने वाले रॉकेट लगाए जा सकते हैं। इसमें AGM-114 हेलफायर मिसाइल के वैरिएंट्स लगाए जा सकते हैं। साथ ही हवा से हवा में मार करने वाली स्टिंगर, एजीएम-65 मैवरिक और स्पाइक मिसाइलें लगाई जा सकती हैं।

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