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रियल एस्टेट की रफ्तार धीमी, महंगे मकानों ने तोड़ी उम्मीदें, NCR में 21% सप्लाई घटी, मुंबई में 9% बिक्री कम

ये ट्रेंड घर खरीदने वालों के लिए मिला-जुला संकेत देता है. एक तरफ जहां कीमतें स्थिर हो रही हैं, जिससे मोलभाव की गुंजाइश बनती है, वहीं दूसरी तरफ नए प्रोजेक्ट्स की कमी से भविष्य में विकल्प सीमित हो सकते हैं.

Image Credit: Flat

Real Estate News: भारत के दो सबसे बड़े प्रॉपर्टी बाजार दिल्ली-एनसीआर और मुंबई, इन दिनों मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। एक तरफ जहां लोग घर खरीदने से पीछे हट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बिल्डर भी नए प्रोजेक्ट शुरू करने से बच रहे हैं. Housing.com और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (ISB) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि साल 2025 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच बाजार की हालत काफी बिगड़ गई है. मांग और सप्लाई का संतुलन पूरी तरह से डगमगा गया है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर में अनिश्चितता बढ़ गई है.

दिल्ली-NCR में दोहरी मार,  न सप्लाई, न डिमांड

दिल्ली-NCR का रियल एस्टेट बाजार इस वक्त दोहरी मार झेल रहा है. एक तरफ, यहां नए घरों के निर्माण में भारी गिरावट देखी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, नए घरों की सप्लाई में 21% की भारी कमी आई है. वहीं दूसरी ओर, जिन घरों को पहले से तैयार किया गया है, उनकी बिक्री में भी 14% की गिरावट दर्ज की गई है. इसका मतलब है कि न तो बिल्डर नए घर बना रहे हैं और न ही लोग घर खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

खरीददार और बिल्डर दोनों ‘Wait and Watch’ के मूड में

बाजार की इस सुस्ती की सबसे बड़ी वजह है ऊंची कीमतें और आर्थिक अनिश्चितता. इन हालातों में न खरीदार जल्दी में हैं और न ही बिल्डर. दोनों ही पक्ष अभी 'Wait and Watch' यानी इंतजार और निगरानी की रणनीति अपना रहे हैं. खरीदार सोच रहे हैं कि शायद आगे चलकर कीमतें कम होंगी, जबकि बिल्डर नए प्रोजेक्ट शुरू करने से इसलिए बच रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि अगर खरीददार नहीं आए, तो नुकसान हो सकता है.

मुंबई: घर हैं, लेकिन खरीददार नहीं

अगर बात करें मुंबई की, तो वहां हालात थोड़े अलग हैं. यहां बिल्डरों ने थोड़ी हिम्मत दिखाई है और नए घरों की सप्लाई में 4% की बढ़ोतरी की है. यानी बाजार में नए फ्लैट्स और प्रोजेक्ट्स की संख्या थोड़ी बढ़ी है. लेकिन इसके बावजूद खरीदारों की ओर से कोई खास रुचि नहीं दिख रही. रिपोर्ट के अनुसार, नए घरों की बिक्री में 9% की गिरावट दर्ज की गई है.

कीमतें पहुंच गई हैं चरम सीमा पर

मुंबई में इस समय सबसे बड़ी परेशानी है बढ़ती हुई कीमतें. भले ही बाजार में घर उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी कीमतें इतनी ज्यादा हैं कि आम आदमी की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं. यही कारण है कि सप्लाई बढ़ने के बावजूद लोग खरीद नहीं रहे. रिपोर्ट का इशारा साफ है कीमतें अपनी ऊपरी सीमा तक पहुंच चुकी हैं और अब उसमें और बढ़त की गुंजाइश कम दिखती है.

दिल्ली-NCR में हाउसिंग प्राइस इंडेक्स में भारी उछाल

दिल्ली-NCR में हालांकि बिक्री और सप्लाई में गिरावट है, लेकिन इसके बावजूद घरों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. Housing.com और ISB की रिपोर्ट के अनुसार, NCR का हाउसिंग प्राइस इंडेक्स (HPI) अप्रैल से जून 2025 में 186 अंक तक पहुंच गया है, जो मार्च 2024 की तुलना में 42 अंक ज्यादा है. यानी यहां घरों की कीमतें काफी तेजी से बढ़ रही हैं, भले ही लोग खरीदने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हों.

मुंबई में कीमतें पहले ही हाई लेवल पर

मुंबई का HPI इस साल की पहली तिमाही में 124 अंक रहा. पिछले पांच सालों की तुलना में इसमें सिर्फ 5 अंकों की मामूली बढ़त हुई है. इसकी वजह है हाई-बेस इफेक्ट यानी पहले ही कीमतें इतनी ज्यादा हैं कि अब उसमें ज्यादा तेजी आने की संभावना नहीं है. इससे पता चलता है कि मुंबई का रियल एस्टेट बाजार पहले ही अपने ऊपरी स्तर पर पहुंच चुका है.

क्या सीखें घर खरीददार?

विशेषज्ञों का मानना है कि ये ट्रेंड घर खरीदने वालों के लिए मिला-जुला संकेत देता है. एक तरफ जहां कीमतें स्थिर हो रही हैं, जिससे मोलभाव की गुंजाइश बनती है, वहीं दूसरी तरफ नए प्रोजेक्ट्स की कमी से भविष्य में विकल्प सीमित हो सकते हैं. यानी अगर आप घर खरीदने का सोच रहे हैं तो अभी बाजार का थोड़ा और विश्लेषण करें, क्योंकि आने वाले समय में घरों की कमी या कीमतों में बदलाव आपकी योजनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.

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