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H1B वीजा फीस बढ़ी, लेकिन शेयर बाजार ने दिखाई दमदार रिकवरी, IT सेक्टर पर ट्रंप की मार बेअसर

H1B: कुछ बड़े नामों के शेयरों में गिरावट आई. अपोलो हॉस्पिटल्स, टेक महिंद्रा, टाटा मोटर्स, टीसीएस और डॉ रेड्डीज लैब्स जैसे कंपनियों के शेयर गिरावट के साथ कारोबार करते नजर आए.

Source: sensex

H1B: आज यानी 22 सितंबर को देशभर में नए जीएसटी सुधार लागू हो चुके हैं, और इसका असर सीधे तौर पर शेयर बाजार में देखने को मिला. बाजार की शुरुआत सोमवार को तेज गिरावट के साथ हुई थी, लेकिन कुछ ही समय में इसमें रिकवरी देखने को मिली.

H1B वीजा फीस बढ़ने से आईटी कंपनियों पर असर

दूसरी तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1B वीजा की फीस बढ़ाने का ऐलान किया है. इसका सीधा असर भारत की आईटी कंपनियों पर पड़ा है क्योंकि ये कंपनियां बड़ी संख्या में कर्मचारियों को अमेरिका भेजती हैं. इस फैसले के चलते टीसीएस, टेक महिंद्रा, और डॉ रेड्डीज लैब्स जैसी कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई.

सेंसेक्स में तेज गिरावट, फिर रिकवरी

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स आज 82,151.07 पर खुला, जो कि पिछले बंद स्तर 82,626.23 से काफी नीचे था. शुरुआत में बाजार में घबराहट देखी गई, लेकिन थोड़ी देर में निवेशकों ने दोबारा खरीदारी शुरू की और सेंसेक्स में धीरे-धीरे सुधार आने लगा. इसका मतलब ये हुआ कि बाजार ने गिरावट के बाद भी खुद को संभाल लिया.

निफ्टी ने भी दिखाई मजबूती

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी इंडेक्स भी शुरू में कमजोर नजर आया. यह आज 25,238.10 पर खुला जबकि शुक्रवार को यह 25,327.05 पर बंद हुआ था. लेकिन अच्छी बात यह रही कि थोड़े समय बाद यह इंडेक्स 25,331.70 तक पहुंच गया, यानी न केवल गिरावट को कवर किया बल्कि हल्की बढ़त भी दिखाई.

किन कंपनियों को हुआ फायदा?

आज के कारोबार में कुछ कंपनियों के शेयरों ने अच्छा प्रदर्शन किया. इनमें श्रीराम फाइनेंस, अडानी पोर्ट्स, बजाज फाइनेंस, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, बजाज फिनसर्व और एशियन पेंट्स शामिल हैं. इन कंपनियों में निवेशकों ने भरोसा दिखाया और इनके शेयरों में अच्छी खरीदारी हुई.

आईटी और हेल्थ सेक्टर के शेयर कमजोर

इसके उलट, कुछ बड़े नामों के शेयरों में गिरावट आई. अपोलो हॉस्पिटल्स, टेक महिंद्रा, टाटा मोटर्स, टीसीएस और डॉ रेड्डीज लैब्स जैसे कंपनियों के शेयर गिरावट के साथ कारोबार करते नजर आए. इसका एक बड़ा कारण ट्रंप के वीजा फैसले और अमेरिकी बाजारों से मिला कमजोर संकेत भी हो सकता है.

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