जल्द लागू होने जा रहा GPS आधारित टोल सिस्टम, जानें कैसे करेगा काम और क्या हैं इसके फायदे
GPS आधारित टोल सिस्टम को लेकर केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि कहा है कि अब टोल बूथ पर रुकने की जरूरत नहीं होगी. नई टोल नीति जल्द घोषित होगी और वाहन चालकों को सैटेलाइट के जरिए टोल चुकाना होगा. जानिए GPS आधारित टोल सिस्टम के बारे में

भारत दिन-ब-दिन डिजिटल होता जा रहा है. मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया को देखते हुए सारे कार्यों को ऑनलाइन की तरफ़ शिफ़्ट किया जा रहा है. सरकार के हर कार्य हर योजना की डेटा अब ऑनलाइन उपलब्ध है. इसी कड़ी में भारत जलद ही National Highways पर सफर को और भी आसान बनाने वाला है. 1 मई, 2025 से केंद्र सरकार एक नई GPS आधारित टोल वसूली प्रणाली शुरू कर रही है. इसके आने के बाद फास्ट टैग की आवश्यकता नहीं होगी.
केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा?
GPS आधारित टोल सिस्टम को लेकर केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि कहा है कि अब टोल बूथ पर रुकने की जरूरत नहीं होगी. नई टोल नीति जल्द घोषित होगी और वाहन चालकों को सैटेलाइट के जरिए टोल चुकाना होगा. सरकार के अनुसार, यह तरीका तेज, पारदर्शी और लागत-कम करने वाला है. इसके साथ ही लोगों को भुगतान के कई विकल्प मिलेंगे और भविष्य में टोल बूथों की जरूरत भी खत्म हो सकती है.
कैसे काम करेगा GPS आधारित टोल सिस्टम?
GPS आधारित टोल सिस्टम को ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) कहा जाता है, जिसमें सैटेलाइट्स वाहनों की लोकेशन ट्रैक करते हैं. इस लोकशन के आधार पर तय की गई दूरी का आंकलन होता है और उसी के अनुसार टोल की राशि सीधे वाहन मालिक के बैंक अकाउंट से काट ली जाती है. यह विशेष टोल सिस्टम बिना रुके टोल भुगतान को संभव बनाता है और समय की बचत भी करता है.
GPS आधारित टोल सिस्टम के फ़ायदे?
इस टोल सिस्टम से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि टोल बूथों पर रुकने की जरूरत नहीं होगी. GPS आधारित टोल सिस्टम से जाम कम होगा और सफर सुगम बनेगा. लंबी दूरी तय करने वाले ट्रक और गाड़ियों को भी सुविधा होगी.
फास्टैग कैसे करता है काम?
फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रणाली है. ये रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग करती है. यह गाड़ियों की विंडस्क्रीन पर चिपका एक छोटा स्टिकर है जो टोल प्लाजा पर स्कैनर के साथ संवाद करता है, जिससे आप बिना रुके टोल का भुगतान कर सकते हैं. फास्टैग आपके बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से जुड़ा होता है और जब आप फास्टैग लेन से गुजरते हैं, तो टोल शुल्क स्वचालित रूप से काट लिया जाता है.