'आतंकी हमले हों और बख्श दिए जाएं, अब ये नहीं होगा...', शशि थरूर का PAK को अल्टीमेटम, कहा- पहलगाम जैसी हरकत की कीमत चुकानी पड़ेगी
मिशन पाक बेनकाब के तहत विदेश दौरे पर गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिका में एक कार्यक्रम में कहा कि 'विकास और प्रगति भारत की प्राथमिकता है लेकिन अगर उसकी धरती पर आतंकवादी घटना होती है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, ये नहीं हो सकता है कि कोई हमारे नागरिकों को मारे और उसे सजा भी न मिले.' उन्होंने आगे कहा कि भारत को आतंकवाद विरोधी लड़ाई में दुनियाभर के देशों का समर्थन मिल रहा है, सब हमारे साथ एकजुट हैं.
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कांग्रेस सांसद और विदेश मामलों की संसदीय समिति के प्रमुख शशि थरूर PAK को जोरदार तरीके से एक्सपोज कर रहे हैं. वो इन दिनों अमेरिका में भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. थरूर लगातार फैक्ट्स और अपनी हाजिरजवाबी से आतंकिस्तान को न सिर्फ बेनकाब कर रहे हैं बल्कि भारत के ख़िलाफ़ चल रहे प्रोपेगेंडा का भी काउंटर कर रहे हैं.
अमेरिका में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने पाक प्रायोजित आतंकवाद को लेकर तीखी टिप्पणी की और कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को जिस तरीके का आतंकी हमला हुआ, अगर इस तरीके के हमले फिर होते हैं तो इसकी अब एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. भारत यह कभी बर्दाश्त नहीं करेगा कि सीमा पार से आकर कोई हमारे नागरिकों को मारे और उसे सजा भी न मिले.
थरूर के साथ प्रतिनिधिमंडल में उनके साथ गए सांसदों ने कई थिंक टैंक्स से मुलाकात की. इस बातचीत में भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और भारत-अमेरिका के बहुआयामी रिश्तों पर चर्चा हुई.
इस प्रतिनिधिमंडल में कई दलों के सांसद शामिल हैं, जैसे शांभवी चौधरी (लोक जनशक्ति पार्टी), सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), जी.एम. हरीश बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी, तेजस्वी सूर्या, भुवनेश्वर कलिता (सभी भाजपा से), शिवसेना के सांसद मिलिंद देवड़ा और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू.
'आतंकवाद विरोधी लड़ाई में भारत को मिल रहा समर्थन'
थरूर ने बताया कि जहां-जहां भी प्रतिनिधिमंडल गया, उन्हें समर्थन और एकजुटता मिली. उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण था कि हम पूरी दुनिया को बताएं कि भारत अब किसी भी आतंकी हमले को हल्के में नहीं लेगा.
'विकास और प्रगति भारत की प्राथमिकता लेकिन आतंकवादी घटना बर्दाश्त नहीं करेंगे'
थरूर ने कहा, "हम जहां भी गए वहां हमें पूरी समझ और एकजुटता मिली. हम इन्हीं दो चीजों के लिए यहां आए थे. हम एक विकासशील देश हैं, हमारा पूरा ध्यान देश की प्रगति और गरीबी हटाने पर है. लेकिन हम इस तरह की आतंकी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. जो इस तरह के योजनाबद्ध और मिलिट्री स्टाइल में किए गए हमले होते हैं, तो इसकी कीमत जरूर चुकानी होगी. ऐसे हमलों की सज़ा जरूर होगी और यह बहुत ही मजबूत संदेश था जो हमने भेजा."
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मिला भारतीय प्रतिनिधिमंडल
इससे पहले शशि थरूर और उनके दल ने अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस से भी मुलाकात की और आतंकवाद से निपटने, तकनीकी सहयोग बढ़ाने जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा की. इस मुलाकात को उन्होंने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में बेहद सकारात्मक और उपयोगी बातचीत बताया.
थरूर ने 'एक्स' पर एक अन्य पोस्ट में कहा, "वाशिंगटन डी.सी. में आज हमारे प्रतिनिधिमंडल के साथ उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस के साथ शानदार बैठक हुई. आतंकवाद विरोधी प्रयासों से लेकर तकनीकी सहयोग बढ़ाने तक, हमने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर व्यापक चर्चा की. भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए वास्तव में रचनात्मक और उत्पादक आदान-प्रदान, जिसमें विचारों की शानदार बैठक हुई."
भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने भी 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा "आज वाशिंगटन डी.सी. में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस के साथ अमेरिका में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के साथ बैठक की. हाल ही में भारत की अपनी यात्रा के दौरान, उपराष्ट्रपति वेंस ने निर्दोष नागरिकों पर पाकिस्तान समर्थित हमलों की क्रूरता को भी प्रत्यक्ष रूप से देखा, जिससे पाकिस्तानी आतंकवाद को रोकने के लिए वैश्विक प्रयासों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के मजबूत आतंकवाद विरोधी प्रयासों से लेकर भारत और अमेरिका के बीच तकनीकी सहयोग बढ़ाने तक के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई."
बता दें कि ब्राजील की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंचा है. यह कूटनीतिक प्रयास ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की व्यापक वैश्विक पहुंच का हिस्सा है. ऑपरेशन सिंदूर को 7 मई को पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 22 अप्रैल को किए गए हमले के सैन्य जवाब के रूप में शुरू किया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. इसके बाद, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर हमले किए, जिसके परिणामस्वरूप जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी समूहों से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए.
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