Rising Lion: मोसाद का जबरदस्त होमवर्क, साइबर अटैक कर ईरान के एयर डिफेंस को किया जाम...और कर दिया टारेगट पर अचूक वार
इजरायल ने शुक्रवार तड़के ईरान पर एक प्रत्यक्ष सैन्य हमला कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच लंबे समय से सुलग रहा तनाव अब खुले संघर्ष में बदल गया है. IDF ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई मोसाद से मिली सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर की गई, जिसमें ईरान के अंदर परमाणु बम निर्माण की तैयारियों के संकेत मिले थे.

इजरायल ने शुक्रवार तड़के ईरान पर एक प्रत्यक्ष सैन्य हमला कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच लंबे समय से सुलग रहा तनाव अब खुले संघर्ष में बदल गया है. इजरायली रक्षा बल (IDF) के अनुसार, यह हमला ईरान के परमाणु कार्यक्रम और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के ठिकानों को निशाना बनाकर किया गया. IDF ने साफ किया है कि यह कार्रवाई मोसाद से मिली सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर की गई, जिसमें ईरान के अंदर परमाणु बम निर्माण की तैयारियों के संकेत मिले थे.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हमला बेहद सटीक और सीमित था. इसका उद्देश्य केवल उन ठिकानों को तबाह करना था जहां परमाणु गतिविधियाँ और इज़रायल विरोधी सैन्य योजनाएं संचालित की जा रही थीं. हमले में ईरान स्थित प्रमुख परमाणु संयंत्रों, वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, और परमाणु वैज्ञानिकों के ठिकानों को नुकसान पहुंचा है. इज़रायली अधिकारियों ने कहा कि यह कदम बार-बार दी गई चेतावनियों और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चिंता जताने के बावजूद उठाना पड़ा. “जब हमारी सुरक्षा पर सीधा खतरा हो और दुश्मन परमाणु हथियार बनाने की दिशा में बढ़ रहा हो, तो इज़रायल चुप नहीं बैठ सकता,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा. जैसे ही यह खबर फैली, पूरे क्षेत्र में सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया गया है. ईरान की ओर से अभी तक आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि तेहरान जल्द ही इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देगा.
दुश्मनों के लिए खौफ का नाम मोसाद
मोसाद को दुनियाभर में तेज़-तर्रार और अत्यधिक सटीक ऑपरेशनों के लिए जाना जाता है. इज़रायल के दुश्मन मोसाद के नाम से ही कांप उठते हैं. चाहे हमास के चुनिंदा शीर्ष कमांडरों का सफाया करना हो, या फिर ईरान जैसे देश की गुप्त परमाणु गतिविधियों की तह तक पहुंचना. मोसाद ने हमेशा अपने टारगेट्स को चुपचाप और बगैर किसी शोर के अंजाम तक पहुंचाया है.
हमले से पहले मोसाद का होमवर्क
IDF के अनुसार, ऑपरेशन से पहले की पूरी खुफिया तैयारी मोसाद द्वारा की गई थी. एजेंसी ने ईरान के नतांज परमाणु स्थल को लेकर बेहद संवेदनशील जानकारी इकट्ठा की थी. इस खुफिया रिपोर्ट में बताया गया था कि ईरान हजारों किलोग्राम संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन कर रहा है और भूमिगत परमाणु संयंत्रों में फिजन प्रक्रियाएं शुरू की जा चुकी हैं. इज़रायली सेना के अनुसार, ये संकेत बेहद गंभीर थे। IDF प्रवक्ता ने कहा, “हमें जो खुफिया जानकारी मिली, वह स्पष्ट रूप से बताती है कि ईरानी शासन एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गया है, जहां से वापसी लगभग असंभव है. हमारे पास इस ऑपरेशन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.” IDF के अनुसार, प्राप्त खुफिया जानकारी से यह संकेत मिला है कि ईरान के पास इतना संवर्धित यूरेनियम है कि वह कुछ ही दिनों में 15 परमाणु हथियार तैयार कर सकता है। यही वह चेतावनी थी जिसने इज़रायल को हमला करने के लिए मजबूर कर दिया.
ईरान पर राइजिंग लॉयन कैसे हुआ संभव?
ऑपरेशन से पहले मोसाद ने ईरान के डिफेंस सिस्टम को पहले साइबर अटैक के ज़रिए निष्क्रिय किया. इसके बाद एयर डिफेंस को जाम किया गया और फिर टारगेटेड मिसाइल स्ट्राइक्स के ज़रिए हमला शुरू किया गया. इस हमले में ईरान का नतांज परमाणु संयंत्र पूरी तरह से तबाह हो गया. इसके अलावा, ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर हुसैन सलामी, IRGC के मेजर जनरल गुलाम अली रशीद, और कई अन्य उच्चपदस्थ अधिकारी मारे गए. हमले में परमाणु वैज्ञानिक डॉ. फेरेयदून अब्बासी, शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. अब्दुलहामिद मिनौचेहर, और प्रोफेसर अहमदरेज़ा ज़ोल्फ़ागरी की भी मौत हुई है. ये सभी ईरान के परमाणु कार्यक्रम की प्रमुख शख्सियतें माने जाते थे.
जब मोसाद ने उड़ाया ईरान का न्यूक्लियर आर्काइव
इस कार्रवाई से पहले भी मोसाद की कार्रवाइयों ने ईरान को हैरानी में डाल दिया था. कुछ साल पहले मोसाद के एजेंट्स ने तेहरान के अतिसुरक्षित ठिकानों में घुसकर 50,000 से अधिक दस्तावेज़ और हार्ड ड्राइव्स चुरा ली थीं, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम की भीतरूनी रणनीतियों और संरचना को उजागर करते थे. बताया जाता है कि इस मिशन की तैयारी एक साल तक चली, और जब मौका उपयुक्त लगा, तो सिर्फ 6 घंटे में ऑपरेशन अंजाम देकर मोसाद के एजेंट्स सारा न्यूक्लियर डेटा लेकर गायब हो गए. इस घटना को इंटेलिजेंस की दुनिया का मास्टरस्ट्रोक माना गया.