'36 घंट, 80 ड्रोन और नूर खान एयरबेस तबाह...', फटा PAK के झूठ का गुब्बारा, डिप्टी PM का ऑपरेशन सिंदूर पर बड़ा कबूलनामा
ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को पड़ी तगड़ी मार के 8 महीने बाद पाकिस्तान के डिप्टी PM इशाक डार का भारतीय सैन्य कार्रवाई पर बड़ा कबूलनामा सामने आया है. डार का ये बयान अपनी ही सरकार और पीएम को आइना दिखाने के लिए काफी है.
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कहते हैं कि झूठ के पांव नहीं होते... वो चार कदम चलकर दम तोड़ देता है. यही कुछ पाकिस्तान और उसके झूठ के साथ हो रहा है. ऑपरेशन सिंदूर में लगातार मार खाने, अपनी भद्द पिटवाने और सबूतों के साथ पोल खुलने के बावजूद पाकिस्तान है कि अपनी पीठ ठोक रहा है. वो इतनी बार और इतनी ताकत से झूठ बोल रहा है कि वो उसकी अवाम को सच लगे और पूरी दुनिया उसके झांसे में आ जाए.
खैर, पाकिस्तानी भले ही अपनी कौमी जज्बात के मद्देनजर अपनी आर्मी के प्रोपेगेंडा पर विश्वास कर लें, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी ये कोशिश लगातार फेल होती रही है. पाक अब तक एक भी सैटेलाइट इमेजरी नहीं दे पाया है, जो ये साबित करे कि उसने भारत पर एक भी सटीक और सफल हमला किया हो. हां, उसने जरूर सिविलियंस की आड़ ली, छिपने की कोशिश की. अब जाकर उसकी पोल उसी के लोग खोल रहे हैं. झूठ का गुब्बारा फूटने लगा है.
ऑपरेशन सिंदूर पर पाकिस्तान का बड़ा कबूलनामा!
आपको बता दें कि पाकिस्तान ने पहली बार आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि करीब चार दिनों तक चले सशस्त्र संघर्ष, यानी कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई में उसे तगड़ी मार पड़ी. पाकिस्तानी सरकार ने पहली बार भारतीय सेना के सटीक हमलों के प्रभाव को स्वीकार किया है. ये स्वीकारोक्ति किसी और ने नहीं, बल्कि पाक की शहबाज सरकार के नंबर टू, डिप्टी पीएम, विदेश मंत्री और नवाज शरीफ के समधी इशाक डार ने की है. डार ने कहा कि भारतीय ड्रोन ने रावलपिंडी के चकलाला में स्थित नूर खान एयरबेस पर जोरदार हमला किया, जिससे उसके महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान को नुकसान पहुंचा और कई सैनिक घायल हो गए.
'36 घंटे, 80 ड्रोन और नूर खान एयरबेस धड़ाम!'
पाकिस्तान के विदेश मंत्री का भी कार्यभार संभाल रहे डार ने ऑपरेशन की व्यापकता को लेकर कहा कि, “36 घंटों में कम से कम 80 ड्रोन भेजे गए.” हालांकि, उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान “80 में से 79 ड्रोनों को रोकने में सक्षम रहा.”
बड़बोलेपन के लिए कुख्यात हैं उप प्रधानमंत्री इशाक डार
आपको बता दें कि पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार अपने बड़बोलेपन के लिए कुख्यात हैं. जब-तब ऐसे बयान देते हैं, जिससे मुल्क के साथ अपनी भी फजीहत करा लेते हैं. इनकी सैन्य उपलब्धि का पैमाना भारत के इर्द-गिर्द ही घूमता है. शनिवार को भी उन्होंने फिर ऐसा ही एक बयान दिया. भारत-पाक संघर्ष को लेकर अपनी पीठ थपथपाई, साथ ही वो कह दिया जिस पर पहले भी निशाने पर आ चुके हैं.
डार का खुलासा, मुंह दिखाने लायक नहीं बचेंगे शहबाज शरीफ!
डार ने न सिर्फ भारत की सैन्य कार्रवाई की व्यापकता को स्वीकारा, बल्कि ट्रंप की भारत-पाक के बीच मध्यस्थता को भी खारिज कर दिया. ये एक तरह से शहबाज शरीफ के मुंह पर भी तमाचा है. शरीफ कई महीनों से कहते रहे हैं कि ट्रंप ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की, हालांकि भारत लगातार कहता रहा है कि ये भारतीय सैन्य बलों ने अपनी कार्रवाई पाक आर्मी के DGMO की मांग और गुहार के बाद रोकी थी. अब डार कह रहे हैं कि “हमने किसी से मध्यस्थता करने के लिए नहीं कहा था.”
ये पहली बार नहीं है जब डार दुविधा से भरा बयान दे रहे हों. इससे पहले अगस्त में भी उन्होंने कुछ ऐसा ही बयान दिया था. उस दौरान माना था कि पाकिस्तान को इतना नुकसान पहुंच चुका था कि उन्होंने हथियार छोड़ संघर्षविराम को अहमियत दी. डार ने कहा था, “इस्लामाबाद ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के साथ युद्धविराम में मध्यस्थता के लिए अमेरिका या किसी तीसरे पक्ष से कभी अनुरोध नहीं किया. भारतीय हमले में नुकसान झेलने के बाद पाकिस्तान ने खुद सीजफायर की मांग की थी.”
सीजफायर पर भी डार का बड़ा कबूलनामा
इसके बाद सितंबर में डार ने एक कार्यक्रम में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि भारत कभी भी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए सहमत नहीं हुआ था. डार ने खुलासा किया कि जब पाकिस्तान ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बारे में पूछा, तो रुबियो ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत हमेशा से कहता रहा है कि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है. दावा किया कि 10 मई को सुबह 8:17 बजे अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने उन्हें बताया था कि बहुत जल्द भारत और पाकिस्तान के बीच एक स्वतंत्र स्थान पर वार्ता होगी, लेकिन बाद में 25 जुलाई को रुबियो ने कहा कि भारत ने इसे केवल द्विपक्षीय मामला बताते हुए तीसरे पक्ष की किसी भी भूमिका से इनकार कर दिया है.
UAE is set to buy shares in the Pakistan Army backed Fauji Foundation to help Islamabad repay $1B. FM Ishaq Dar says a $2B debt rollover is secured, linked to the UAE President’s Dec 26 visit, talks at Nur Khan Air Base, and his Rahim Yar Khan trip pic.twitter.com/74oyGLHCnC
— Wahida 🇦🇫 (@RealWahidaAFG) December 27, 2025
इससे पहले क्या बोले थे इशाक डार!
शनिवार को दिए अपने बयान में उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ बातचीत का जिक्र किया. पहले कहा कि मध्यस्थता को नहीं कहा, फिर कुछ देर बाद बोले, “सुबह करीब 8:17 बजे, मुझे यूएसए के सेक्रेटरी रुबियो का फोन आया कि ‘भारत सीजफायर के लिए तैयार है, क्या आप तैयार हैं?’ मैंने कहा, ‘हम कभी युद्ध में नहीं जाना चाहते थे.’” हालांकि उनका ये बयान सितंबर के बयान से बिल्कुल मेल नहीं खाता, जब उन्होंने कहा था कि भारत द्विपक्षीय समझौते की बात करता है और भारत मध्यस्थता के पक्ष में नहीं था.
पाक के नेताओं के विरोधाभासी बयान!
अब एक ही मसले पर तीन अलग-अलग बयान पाकिस्तानी नेताओं की कंगाल सोच और हाशिए पर जा रही स्थिति को दर्शाते हैं. एक ही मुद्दे पर विरोधाभासी बयान डार की तकलीफ और आवाम को सब्जबाग दिखाने की कोशिश की ओर इशारा करते हैं.
डर कर बंकर में जाने वाले थे आसिफ अली जरदारी
आपको बता दें कि डार का यह बयान पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया था कि मई में भारत के साथ चार दिनों तक चले संघर्ष के दौरान उनके सैन्य सचिव ने उन्हें बंकर में छिपने की सलाह दी थी. हालांकि जरदारी ने दावा किया कि उन्होंने यह सलाह मानने से इनकार कर दिया था.
पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा, “वह (मिलिट्री सेक्रेटरी) मेरे पास आए और बोले कि ‘युद्ध शुरू हो गया है. चलिए बंकर में चलते हैं.’ लेकिन मैंने उनसे कहा कि अगर शहादत होनी है, तो यहीं होगी. नेता बंकरों में नहीं मरते. वे युद्ध के मैदान में मरते हैं.” उनके इस बयान से भारत के हमलों के बाद इस्लामाबाद के सत्ता गलियारों में व्याप्त उच्च स्तर की चिंता का संकेत मिलता है.
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भारत ने 26 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 26 नागरिकों के नरसंहार का बदला लेने के लिए 7 मई, 2025 की सुबह ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था.
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