ना इस्लाम का अपमान, ना ईशनिंदा...बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू दास की मॉब लिंचिंग मामले में पुलिस का बड़ा खुलासा
बांग्लादेश में उस्मान हादी की मौत के बाद से सड़कों पर हिंसा और आगजनी की जा रही है. हिंदुओं की जान खतरे में है. कारोबार-जिंदगी सब दांप पर लगा है. इस बीच बीते दिन बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू दीपू चंद्र दास की नृशंस हत्या का एक मामला सामने आया, जिसे भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. अब इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है, पुलिस ने सारी कहानी बता दी है.
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बांग्लादेश की सड़कों पर मौत का तांडव मचा है. अल्पसंख्यक हिंदुओं और महिलाओं की जान और इज्जत कट्टरपंथियों की हाथ में गिरवी है. जिहादियों ने उत्पात मचा रखा है. वहीं ढाका में जिहादी भीड़ द्वारा गरीब हिंदू युवक दीपू दास की बीते दिनों ईशनिंदा के आरोप में बर्बर रूप से हत्या कर दी गई. दीपू की मौत को महज हत्या कहना ठीक नहीं होगा, बल्कि ये एक मॉब लिंचिंग थी, जहां जान की प्यासी, अल्लाह हू अकबर के नारे लगा रही भीड़ ने पहले दीपू की पीट-पीटकर अधमरा कर दिया, फिर उसे इसी स्थिति में पेड़ से लटकाकर असके शव को आग लगा दी गई. अब इस मामले में नया खुलासा हुआ है.
दीपू ने नहीं की थी कोई कोई ईशनिंदा: पुलिस का खुलासा
दरअसल दीपू की लिंचिंग के सिलसिले में बांग्लादेशी अधिकारियों ने खुलासा किया है कि इस बात के कोई सीधे सबूत नहीं है कि बांग्लादेश के मैमनसिंह में जिस हिंदू युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी, उसने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली कोई अपमानजनक बात कही हो.
इस्लाम का झूठा आरोप, मुस्लिम सहकर्मी ने दीपू को मरवा दिया!
बता दें, दीपू चंद्र दास को उनकी फैक्ट्री में एक मुस्लिम सहकर्मी ने ईशनिंदा का आरोप लगाकर मॉब लिंचिंग में बेरहमी से मार डाला था. 18 दिसंबर की रात को भीड़ ने दास को मार डाला और फिर इस्लाम का अपमान करने के आरोप में उसके शव को पेड़ से लटकाकर आग लगा दी.
ईशनिंदा के नहीं मिले कोई सबूत!
मैमनसिंह में आरएबी-14 के कंपनी कमांडर, एमडी समसुज्जमां ने बांग्लादेशी अखबार 'द डेली स्टार' को बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे पता चले कि मृतक ने फेसबुक पर ऐसा कुछ लिखा हो जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची हो.
फैक्ट्री बचाने के लिए कर दिया गया दीपू को भीड़ के हवाले!
उन्होंने यह भी बताया कि न तो स्थानीय लोग और न ही गारमेंट फैक्ट्री के श्रमिक ऐसी किसी गतिविधि की ओर इशारा कर पाए. कंपनी कमांडर समसुज्जमां ने द डेली स्टार को बताया, "अब हर कोई कह रहा है कि उन्होंने खुद दीपू को ऐसा कुछ कहते नहीं सुना. ऐसा कोई नहीं मिला जिसने दावा किया हो कि उन्होंने खुद धर्म को ठेस पहुंचाते हुए कुछ सुना या देखा हो. जब हालात बिगड़े, तो फैक्ट्री को बचाने के लिए उन्हें जबरदस्ती फैक्ट्री से बाहर निकाल दिया गया."
अधिकारी ने बताया कि वीडियो वायरल होने के बाद इस घटना के सिलसिले में शुरू में दो लोगों को हिरासत में लिया गया था, और बाद में पूछताछ के आधार पर पांच और लोगों को हिरासत में लिया गया. इसके अलावा, मैमनसिंह के एएसपी मोहम्मद अब्दुल्ला अल मामून ने कहा कि पुलिस तीन और लोगों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ कर रही है.
मुस्लिम सहकर्मी ने दीपू पर लगाया ईशनिंदा का आरोप!
आपको बता दें कि निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तसलीमा नसरीन ने शनिवार को दावा किया कि बांग्लादेश में भीड़ द्वारा मार दिए गए हिंदू युवक दीपू चंद्र दास पर ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाया गया था. यह आरोप मैमनसिंह जिले की एक फैक्ट्री में काम करने वाले उसके एक मुस्लिम सहकर्मी ने लगाया था. तसलीमा नसरीन के अनुसार, यह भयावह घटना तब हुई जब दीपू पुलिस की सुरक्षा में था.
इस बीच, कोएलिशन ऑफ हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका (कोएचएनए) ने दास की बेरहमी से हत्या के बाद बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और समुदाय की चुप्पी पर गहरी चिंता जताई. इस संगठन ने इस बेरहम घटना की निंदा की, और चेतावनी दी कि बांग्लादेश बर्बरता की हालत में जा रहा है, जिसका खामियाजा हिंदुओं को भुगतना पड़ रहा है.
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