भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को पंख दे रहा यूपी, बना चिप मैन्युफैक्चरिंग हब! 20 हजार वेफर्स क्षमता वाली OSAT यूनिट में उत्पादन जल्द
यूपी भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को अपने पंख लगाकर नई उड़ान देने जा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बने बिज़नेस-फ्रेंडली माहौल और मजबूत लॉ एंड ऑर्डर व्यवस्था की वजह से एचसीएल और फॉक्सकॉन की संयुक्त 20 हजार वेफर्स क्षमता वाली OSAT यूनिट में निर्माण कार्य जल्द शुरू होने जा रहा है.
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भारत की तरक्की और GDP ग्रोथ में उत्तर प्रदेश एक अग्रणी राज्य की भूमिका निभा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना देखा गया है, और इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने में यूपी बढ़-चढ़कर योगदान दे रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के लिए भी जल्द से जल्द 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य तय किया है और इस दिशा में अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं. एक ओर जहां कृषि और पर्यटन क्षेत्र राज्य के विकास में बड़ा योगदान दे रहे हैं, वहीं टेक सेक्टर यानी आईटी की भूमिका बढ़ाने पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री स्तर पर उच्च स्तरीय मॉनिटरिंग भी लगातार हो रही है.
यूपी बनने जा रहा चिप मैन्युफैक्चरिंग हब!
इसी बीच भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को उत्तर प्रदेश में नई गति और दिशा मिलने जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार जिस आत्मनिर्भर और तकनीक-आधारित अर्थव्यवस्था के विज़न के साथ आगे बढ़ रही है, उसकी मजबूत झलक एचसीएल और फॉक्सकॉन की संयुक्त OSAT यूनिट के रूप में धरातल पर उतरने जा रही है. इस परियोजना की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी 20,000 वेफर्स प्रति माह की उत्पादन क्षमता है. यही क्षमता इसे राष्ट्रीय स्तर पर रणनीतिक महत्व प्रदान करती है और भारत की सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम बनाती है.
जनवरी में हो सकती है ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी!
अधिकारियों के मुताबिक जनवरी के मध्य में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी संभावित है, जिसके बाद परियोजना पर तेजी से काम शुरू होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार कहते रहे हैं कि उत्तर प्रदेश को निवेश के लिए देश का सबसे भरोसेमंद राज्य बनाना सरकार की प्राथमिकता है. बेहतर कानून-व्यवस्था, मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश-अनुकूल नीतियों का ही परिणाम है कि एचसीएल और फॉक्सकॉन जैसी वैश्विक कंपनियां राज्य में निवेश के लिए आगे आई हैं. इस साझेदारी से न केवल तकनीकी विशेषज्ञता आएगी, बल्कि सेमीकंडक्टर स्किल डेवलपमेंट को भी बढ़ावा मिलेगा.
यह परियोजना सिर्फ एक औद्योगिक निवेश नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश को भविष्य की वैश्विक तकनीक से जोड़ने वाला एक रणनीतिक कदम है. एचसीएल ग्रुप की चेयरपर्सन रोशनी नादर मल्होत्रा के अनुसार, केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में, जेवर एयरपोर्ट के पास यह इकाई स्थापित की जाएगी. करीब 3,706 करोड़ रुपये के निवेश से बनने वाली यह यूनिट उत्तर प्रदेश की पहली सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग सुविधा होगी.
क्या है चिप निर्माण में वेफर्स की भूमिका?
इस यूनिट में हर माह 20,000 सिलिकॉन वेफर्स की प्रोसेसिंग की जाएगी, जिनसे बड़े पैमाने पर सेमीकंडक्टर चिप्स तैयार होंगी. सेमीकंडक्टर उद्योग में वेफर को चिप निर्माण की आधारशिला माना जाता है. एक वेफर से चिप के आकार और तकनीक के अनुसार सैकड़ों से लेकर हजारों माइक्रोचिप्स तैयार की जाती हैं. ऐसे में 20,000 वेफर्स की मासिक क्षमता का मतलब है कि यह यूनिट हर महीने लाखों से लेकर करोड़ों चिप्स के निर्माण से जुड़ी प्रक्रियाओं को अंजाम दे सकेगी. यह उत्पादन क्षमता भारत में डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स की बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने में निर्णायक साबित होगी.
OSAT यूनिट में क्या-क्या बनेगा?
इस संयंत्र में मुख्य रूप से डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण किया जाएगा, जिनका उपयोग मोबाइल फोन, लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में होता है. वर्तमान में भारत इन चिप्स के लिए बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है. 20 हजार वेफर्स की नियमित प्रोसेसिंग से घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को मजबूती मिलेगी और आयात-निर्भरता में भारी कमी आने की पूरी संभावना है.
एचसीएल ग्रुप और फॉक्सकॉन की संयुक्त साझेदारी!
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एचसीएल ग्रुप और फॉक्सकॉन की यह साझेदारी तकनीकी क्षमता और वैश्विक अनुभव का एक सशक्त संगम मानी जा रही है. इसके तहत सेमीकंडक्टर स्किल डेवलपमेंट पर भी खास फोकस किया जाएगा, ताकि 20 हजार वेफर्स की इस उच्च क्षमता वाली यूनिट को संचालित करने के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार किया जा सके. सेमीकंडक्टर क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि 20 हजार वेफर्स प्रति माह की यह क्षमता उत्तर प्रदेश को सेमीकंडकक्टर वैल्यू चेन में मजबूत स्थान दिलाने के साथ-साथ भारत को वैश्विक चिप मैन्युफैक्चरिंग मानचित्र पर एक कदम आगे ले जाएगी.
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