चंदन दास से दीपू दास तक, तरीका-ए-वारदात एक! NMF News की आंखों-देखी का VIDEO शेयर कर ममता बनर्जी पर BJP का बड़ा हमला!
बांग्लादेश की सड़कों पर दीपू दास की हत्या और इसी साल अप्रैल में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हरगोबिंदो और चंदन दास को घर से खींचकर दी गई निर्मम मौत, एक बार फिर चर्चाओं में आ गई है. बंगाल पुलिस ने कार्रवाई की चेतावनी दी तो बीजेपी ने NMF News के ही एक वीडियो को शेयर कर सीएम ममता बनर्जी को घेरा.
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बांग्लादेश की सड़कों पर गरीब अल्पसंख्यक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की जिहादियों और कट्टरपंथियों ने निर्मम तरीके से जान ले ली. खून की प्यासी भीड़ ने न सिर्फ दीपू को पीट-पीटकर मारा, बल्कि उसकी सरेआम लिंचिंग की. इसके बाद उसकी बॉडी को अधमरी हालत में पेड़ से लटकाकर आग लगा दी गई और इस दौरान अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए गए.
बांग्लादेश में झूठी ईशनिंदा के आरोप में हिंदू की ले ली जान!
दरअसल, एक झूठी ईशनिंदा के आरोप में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग की गई. कहा जा रहा है कि मारे जाने से पहले दीपू पुलिस की हिरासत में था. उस पर एक नहीं, दो-दो बार हमला हुआ. दूसरी बार उसकी पूरी तरह जान ले ली गई. इतना ही नहीं, पुलिस ने खुलासा किया है कि दीपू पर जो आरोप लगाए गए थे, वे झूठे थे. ऐसे कोई नारे, कोई बात सामने नहीं आई है जिससे यह साबित हो कि दीपू ने इस्लाम के बारे में कुछ अपमानजनक कहा था. इसके अलावा जिस भीड़ ने उसकी जान ली, उसमें शामिल लोगों ने भी यह बताया कि उन्होंने भी अपने कानों से दीपू को ऐसा कुछ कहते न सुना और न ही देखा. वहीं जिस फैक्ट्री में दीपू काम करता था, रोजी-रोटी कमाता था, वहां के लोगों ने ही अपनी फैक्ट्री बचाने के लिए उसे भीड़ के हवाले कर दिया और फैक्ट्री से निकाल दिया.
मुस्लिम सहकर्मी ने ही करवा दी हत्या!
भारत में निर्वासन में रह रहीं बांग्लादेश की प्रख्यात लेखिका तस्लीमा नसरीन के दावे भी इसी ओर इशारा करते हैं कि कैसे दीपू के साथ काम करने वाले एक मुस्लिम कर्मचारी ने अपनी निजी खुन्नस में उस पर पैगंबर के बारे में अपमानजनक टिप्पणी या ईशनिंदा का आरोप लगा दिया था. दीपू की शिकायतों पर पुलिस ने जानबूझकर कोई कार्रवाई नहीं की.
दीपू दास से चंदन दास तक, लक्ष्य एक!
यह तो रही बांग्लादेश की खबर, अब बात भारत के पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद की. यहां भी कथित तौर पर ऐसा ही एक वाकया इसी साल मार्च-अप्रैल के दौरान देखने को मिला था. वक्फ कानून के विरोध में हुई हिंसा में 72 वर्षीय हरगोबिंदो और उनके 40 वर्षीय पुत्र चंदन दास की धारदार हथियार से काटकर निर्मम हत्या कर दी गई थी. इतना ही नहीं, कई दूसरे परिवार भी तबाह हो गए और उन्हें पड़ोसी जिलों और झारखंड में शरण लेनी पड़ी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 12 अप्रैल 2025 की सुबह करीब 11 बजे 500 के आसपास उपद्रवियों ने हरगोबिंदो और चंदन को बाहर खींचकर धारदार हथियारों से बेरहमी से मार डाला. इतना ही नहीं, कट्टरपंथियों की भीड़ ने आसपास की दुकानों में भी आग लगा दी, बाजार में तबाही मचा दी और आसपास के मोहल्लों के करीब 70 से 80 घरों में तोड़फोड़ की. इसके अलावा महिलाओं के साथ बदतमीजी की गई. यह देखा गया कि मुर्शिदाबाद के करीब तीन इलाकों में एक साथ हिंसा की शुरुआत हुई थी. सबसे पहले सूती में हिंसा भड़की, फिर जंगीपुर में और इसके बाद सूती से 10 किलोमीटर दूर शमशेरगंज में भारी बवाल शुरू हो गया. हाईवे को इस तरह जाम किया गया था कि पुलिस का जाम हटवाने में ही दम निकल गया. पुलिस प्रशासन जाम हटाने में जुटा रहा और इधर भीड़ ने तांडव मचा दिया. जब तक पुलिस और सेंट्रल फोर्स पहुंचती, तब तक बड़ी हिंसक कार्रवाई को अंजाम दिया जा चुका था.
फिर चर्चा में कैसे आया चंदन दास की हत्या का मामला?
दरअसल, बांग्लादेश की सड़कों पर हिंदू युवक दीपू दास की हुई हत्या के बाद कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स का हवाला देते हुए बंगाल पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि बांग्लादेश में दीपू चंद्र दास की हालिया हत्या और लगभग आठ महीने पहले मुर्शिदाबाद में हरगोबिंदो और चंदन दास पिता-पुत्र की दुखद मृत्यु के बीच कुछ लोगों द्वारा दुर्भावनापूर्ण तुलना करने के प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसी तुलनाएं अत्यंत भड़काऊ, तथ्यात्मक रूप से भ्रामक और जनव्यवस्था को भंग करने के उद्देश्य से की जा रही हैं. पुलिस ने आगे कहा कि मुर्शिदाबाद मामले में 13 आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और एक ठोस चार्जशीट दाखिल की गई. मामले का फैसला जल्द आने की उम्मीद है. बांग्लादेश की घटनाओं से तुलना करना, कानून के दायरे में आने के बावजूद, सांप्रदायिक अविश्वास फैलाने का एक कपटपूर्ण प्रयास मात्र है.
बंगाल पुलिस की फेक न्यूज फैलाने वालों को चेतावनी!
पश्चिम बंगाल पुलिस ने आगे लिखा कि पुलिस राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव की सदियों पुरानी परंपराओं को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और इसे भंग करने के किसी भी प्रयास के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस रखती है. हम भड़काऊ गलत सूचना फैलाने वाले माध्यमों पर नजर रख रहे हैं. आपराधिक घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी. पुलिस ने इस दौरान नागरिकों से अपील की कि वे अफवाहों पर विश्वास न करें.
NMF NEWS का वीडियो हो रहा तगड़ा वायरल!
इसके बाद बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने NMF News के मुर्शिदाबाद ग्राउंड ज़ीरो के एक वीडियो को शेयर कर आरोप लगाया कि ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल पुलिस के पीछे छिपना बंद करना होगा. उन्होंने आगे लिखा कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा हरगोबिंदो दास और उनके बेटे चंदन दास की निर्मम हत्या, जिन्हें उनके घर से घसीटकर ले जाया गया और मार डाला गया, हिंदुओं की लक्षित हत्याओं की कोई अकेली घटना नहीं है.
Mamata Banerjee must stop hiding behind the West Bengal police.
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 21, 2025
The brutal murder of Haragobindo Das and his son, Chandan Das, in Murshidabad, West Bengal, who were dragged from their home and killed by Muslim radicals, is not an isolated instance of the targeted killing of… https://t.co/ZOM21mqWt8 pic.twitter.com/PwNHd4mql7
दंगाइयों ने हिंदू-मुस्लिम घरों की पहचान के लिए की थी निशानदेही
उन्होंने आगे लिखा कि मुर्शिदाबाद में इस साल की शुरुआत में आगजनी की घटनाओं से पहले हिंदू परिवारों के घरों पर स्याही से निशान लगाए गए थे और उन पर कड़ी निगरानी रखी गई थी. कई दिनों की निगरानी के बाद इन संपत्तियों को योजनाबद्ध तरीके से जला दिया गया. रिपोर्टों से पता चलता है कि दो स्थानीय मुस्लिम निवासियों ने हमलावरों को महत्वपूर्ण जानकारी दी, जिससे उन्हें हिंदू स्वामित्व वाले घरों और दुकानों की पहचान करने में मदद मिली. संयोगवश, इसी तरह की लक्षित हिंसा नियमित रूप से, विशेष रूप से शुक्रवार को, होती रहती है. ममता बनर्जी प्रशासन निष्क्रियता के माध्यम से इसमें मिलीभगत कर रहा है.
हिंदुओं के घरों पर स्याही फेंककर की गई थी रेकी!
आपको बता दें कि मालवीय ने NMF News का ही वह वीडियो शेयर किया था, जिसमें पीड़ित परिवारों ने बताया था कि कैसे उनके घरों पर स्याही फेंककर मार्किंग की गई थी और यह निशानदेही की गई थी कि कौन सा घर हिंदू का है और कब उस पर हमला करना है, आग लगानी है. यह वीडियो खूब वायरल हुआ था.
मालवीय ने आगे लिखा कि बांग्लादेश की तरह पश्चिम बंगाल में भी हिंदुओं की पहचान करके उनकी हत्या की जाती है, उनके घरों में आग लगा दी जाती है और उन्हें अपनी जान बचाने के लिए भागने पर मजबूर किया जाता है. हम ममता बनर्जी के शासन में बंगाल की वास्तविकताओं से अनजान नहीं रह सकते. वह एक ऐसे जनसांख्यिकीय आक्रमण को बढ़ावा दे रही हैं, जिसे पलटना मुश्किल होगा.
मुर्शिदाबाद हिंसा की NMF News ने खोली थी पोल
आपको बता दें कि अप्रैल में मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा और हालात को NMF News ने ग्राउंड ज़ीरो पर जाकर देखा था और पीड़ितों से बात की थी. यहां हमारे संवाददाता पंकज प्रसून ने जो कुछ देखा और सुना, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दंगाइयों ने हिंदू महिलाओं की आबरू लूट ली. उन्होंने हिंदू समाज की महिलाओं और बहन-बेटियों के सामने शर्त रखी कि अगर उन्हें अपने पति की जान बचानी है तो कुछ देना होगा. हवसी दंगाइयों ने कहा कि या तो ‘इज़्ज़त दो’ या ‘पति की जान दो’. NMF News ने इसका बड़ा खुलासा किया था.
जब कट्टरपंथियों ने हिंदू महिला से कहा-इज़्ज़त दो या अपने पति की जान दो
मुर्शिदाबाद के दंगाई भेड़िए हिंदू महिलाओं का रेप करने पर उतारू थे. उन्होंने शर्त रखी कि अगर पति-बच्चों की जान बचानी है तो अपनी इज़्ज़त देनी होगी. पीड़ित महिलाओं ने ही NMF News के कैमरे पर इसका खुलासा किया था.
'इज़्ज़त दो या पति की जान दो...' पति बचाना है तो अपनी ज़्ज़त दो'
— Guddu Khetan (@guddu_khetan) April 18, 2025
मुर्शिदाबाद के दंगाइ भेड़िए हिंदू महिलाओं का रेप करने पर उतारू थे, उन्होंने शर्त रखी कि अगर पति-बच्चों की जान बचानी है तो अपनी इज़्ज़त देनी होगी।
कल मैंने कहा था न कि एक के बाद एक वीडियोज शेयर करूंगा जो दंगाइयों,… pic.twitter.com/oHSr1tjM7E
कैसे भड़की थी मुर्शिदाबाद में हिंसा?
दरअसल, 8 अप्रैल 2025 को मुर्शिदाबाद के जंगीपुर, सूती और शमशेरगंज में वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए. शुरुआत में शांतिपूर्ण रहे ये प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गए. वैसे तो बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी में बदलाव के कारण करीब 66 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले इस जिले में आए दिन प्रदर्शन होते रहते हैं. हिंसा भी होती रही है, जो फौरन सांप्रदायिक हमले का शक्ल अख्तियार कर लेती है. 10 अप्रैल को शमशेरगंज में सड़क जाम और पुलिस पर पथराव की घटनाएं सामने आईं.
बांग्लादेशी घुसपैठ समस्या की जड़!
11 अप्रैल, जुमे की नमाज के बाद, भीड़ ने पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया, दुकानों में तोड़फोड़ की गई और रेलवे स्टेशनों पर हमले किए गए. वहीं 12 अप्रैल को शमशेरगंज में मूर्तिकार हरगोबिंद दास और उनके बेटे की हत्या कर दी गई, जबकि 13 अप्रैल को अज्ञात गोली लगने से घायल नाबालिग इजाज मोमिन की मौत हो गई थी. राज्य में बढ़ रहे तनाव और हिंसा की घटनाओं पर हाई कोर्ट ने भी हस्तक्षेप किया और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के आदेश दिए थे. वहीं कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में BSF की 8 कंपनियों (लगभग 1,000 जवान) की तैनाती की गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यायालय ने मुर्शिदाबाद पर कहा था कि हम ‘आंखें बंद नहीं रख सकते’.
बांग्लादेशी घुसपैठ और कट्टरपंथी संगठनों की संदिग्ध भूमिका?
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मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर-दक्षिण 24 परगना जैसे सीमावर्ती जिले लंबे समय से बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या से जूझ रहे हैं. पुलिस सूत्रों के अनुसार, हिंसा में शामिल कुछ लोग बांग्लादेशी मूल के हैं, जिनके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बांग्लादेशी कट्टरपंथी संगठन ‘अंसार उल बांग्ला’ तथा केरल के सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) जैसे संगठनों की कथित भूमिका सामने आई थी.
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