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क्या अमेरिकी डॉलर खत्म होने की कगार पर है? बफेट ने दी खतरनाक चेतावनी

दुनिया के सबसे मशहूर निवेशक वॉरेन बफेट ने अमेरिकी डॉलर को लेकर बड़ी चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि अगर अमेरिका की सरकार ऐसे ही गैर-जिम्मेदार तरीके से पैसे खर्च करती रही, तो डॉलर की वैल्यू गिर सकती है। बफेट ने बताया कि उन्होंने जापानी येन में निवेश बढ़ाया है और अमेरिकी शेयर बेचकर रिकॉर्ड 347 अरब डॉलर नकद जमा कर लिया है।

अमेरिका के सबसे बड़े निवेशक वॉरेन बफेट ने हाल ही में एक ऐसी बात कह दी जिसने पूरी दुनिया के अर्थशास्त्रियों और निवेशकों को चौंका दिया. बर्कशायर हैथवे की सालाना मीटिंग में उन्होंने कहा – “हम उस करेंसी (मुद्रा) में निवेश नहीं करेंगे जो नरक की ओर जा रही हो.” बफेट का इशारा अमेरिकी डॉलर की तरफ था. उन्होंने साफ कहा कि अमेरिका की सरकार जिस तरह पैसे उड़ा रही है, उससे डॉलर की ताकत कम हो सकती है. और अगर ऐसा हुआ, तो इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.

बफेट ने क्यों जताई डॉलर को लेकर चिंता?

बफेट का मानना है कि अमेरिका आजकल पैसे बहुत तेजी से खर्च कर रहा है, लेकिन सोच-समझकर नहीं. सरकार कर्ज ले रही है, बजट घाटा बढ़ रहा है और डॉलर की वैल्यू धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है. उन्होंने कहा "अगर किसी देश की सरकार अपनी करेंसी की कद्र नहीं करती, तो लोगों का भरोसा टूट जाता है." यही डर उन्हें सता रहा है. उन्होंने कहा कि अभी तो दुनिया में डॉलर का बोलबाला है, लेकिन अगर अमेरिका ने अपनी आदतें नहीं बदलीं, तो वह दिन दूर नहीं जब लोग डॉलर पर भरोसा करना बंद कर देंगे.

बफेट ने क्या कदम उठाए?

बफेट सिर्फ बात नहीं कर रहे हैं, उन्होंने एक्शन भी लिया है. उनकी कंपनी बर्कशायर हैथवे ने पिछले 10 तिमाही (लगातार ढाई साल) से शेयर बेचे हैं. सिर्फ 2024 में ही उन्होंने करीब 134 अरब डॉलर के शेयर बेच दिए.

इतना ही नहीं, उन्होंने अब तक की सबसे बड़ी नकद 347 अरब डॉलर जमा कर ली है. इसका मतलब साफ है बफेट अब कोई बड़ा आर्थिक संकट आते देख रहे हैं और उसके लिए तैयार हो रहे हैं. जहाँ एक ओर उन्होंने डॉलर से दूरी बना ली है, वहीं दूसरी ओर बफेट ने जापानी कंपनियों और जापानी मुद्रा येन में निवेश बढ़ा दिया है. उनका मानना है कि जापान की कंपनियाँ मजबूत हैं, वहाँ की सरकार सतर्क है और उनकी करेंसी फिलहाल स्थिर है. यही वजह है कि बफेट ने जापान को एक सुरक्षित ठिकाना माना है.

अमेरिका की नीति पर तीखा हमला

बफेट सिर्फ डॉलर की बात नहीं कर रहे थे. उन्होंने अमेरिका की 'अलग-थलग रहने की नीति' यानी Isolation Policy को भी गलत बताया. उन्होंने कहा – "हम पहले ही बहुत कुछ जीत चुके हैं. अब उसे खोने का खतरा क्यों लें?" ट्रेड वॉर, टैरिफ और अमेरिका का दुनिया से कट जाना – ये सब चीजें बफेट को परेशान कर रही हैं. उनका मानना है कि इससे अमेरिका की छवि और अर्थव्यवस्था दोनों को नुकसान होगा.

बफेट की बातें हमेशा गंभीर होती हैं, लेकिन जब वे इतने खुले शब्दों में डॉलर को लेकर चेतावनी देते हैं, तो निवेशकों को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. इसका मतलब ये नहीं कि तुरंत डॉलर से निकल जाएं, लेकिन ये जरूर सोचें कि क्या आपका पैसा सही जगह लगा है? क्या आप भविष्य के खतरे के लिए तैयार हैं? बफेट की रणनीति साफ है जोखिम से बचो, नकद साथ रखो और नई जगहों पर निवेश के मौके तलाशो.

वॉरेन बफेट की यह चेतावनी केवल एक निवेशक की चिंता नहीं है, बल्कि एक संकेत है कि दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं. अगर अमेरिका ने समय रहते सुधार नहीं किया, तो डॉलर की चमक फीकी पड़ सकती है.

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