सुधर रहे नई दिल्ली-बीजिंग के रिश्ते, भारत के दौरे पर आ रहे चीन के मंत्री, सितंबर में PM मोदी भी कर सकते हैं चीन का दौरा
भारत-चीन के संबंधों में काफी नरमी आई है, और इसी नरमी को मजबूत करने के संकेत देते हुए चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग इस सप्ताह भारत के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं. यह दौरा इस साल दोनों देशों के बीच होने वाला दूसरा उच्च स्तरीय संवाद होगा.

भारत-चीन के बीच एक बार फिर रिश्ते सुधरते हुए दिखाई दे रहे हैं. चीन के मंत्री इसी सप्ताह दो दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं. वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी भी इस साल सितंबर महीने में चीन का दौरा कर सकते हैं.
भारत दौरे पर चीनी मंत्री सुन वेइदोंग
भारत-चीन के संबंधों में काफी नरमी आई है, और इसी नरमी को मजबूत करने के संकेत देते हुए चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग इस सप्ताह भारत के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं. यह दौरा इस साल दोनों देशों के बीच होने वाला दूसरा उच्च स्तरीय संवाद होगा. इससे पहले जनवरी 2025 में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बीजिंग का दौरा किया था, जहां दोनों पक्षों ने संबंध सामान्य करने को लेकर कई कदमों पर सहमति जताई थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सुन वेइदोंग गुरुवार को भारत पहुंचेंगे. इस दौरान वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से मुलाकात कर सकते हैं और विदेश सचिव-उप मंत्री स्तर की बातचीत में हिस्सा लेंगे. माना जा रहा है कि इसी साल के अंत तक डोभाल चीन के विशेष प्रतिनिधि व विदेश मंत्री वांग यी की मेजबानी भी कर सकते हैं.
सितंबर में पीएम मोदी कर सकते हैं चीन दौरा
चीनी मंत्री का यह दौरा पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की पूरी तरह से वापसी के बाद संबंधों में सुधार को दर्शाता है. लगभग पांच साल चले इस सैन्य तनाव ने भारत-चीन संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया था. इस तनाव के खत्म होने के तुरंत बाद, अक्टूबर 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस में मुलाकात हुई और इसके दो महीने बाद सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता भी फिर से शुरू की गई. जनवरी में बीजिंग में हुई बातचीत के दौरान दोनों देशों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को 2025 की गर्मियों से फिर से शुरू करने पर सहमति जताई थी, जो कि भारत की एक प्रमुख मांग थी. इसके अलावा सीमापार नदियों पर सहयोग को लेकर भी प्रगति हुई है, हालांकि अब तक भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू नहीं किया गया है, जिस पर “सैद्धांतिक सहमति” पहले ही बन चुकी है.
इस सप्ताह होने वाली बातचीत में दोनों देश जनवरी में लिए गए निर्णयों की प्रगति की समीक्षा करेंगे. चर्चा में यह भी शामिल हो सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में चीन यात्रा करें. पीएम मोदी को तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया है, लेकिन अभी उन्होंने इसमें भागीदारी की पुष्टि नहीं की है. शिखर सम्मेलन से पहले विदेश मंत्रियों की बैठक भी होगी, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर के शामिल होने की संभावना है. सुन वेइदोंग लद्दाख गतिरोध शुरू होने के समय भारत में चीन के राजदूत थे. उनका यह दौरा दर्शाता है कि दोनों देश इस शुरुआती समझदारी और मेल-मिलाप को आगे बढ़ाना चाहते हैं. भारत-पाकिस्तान तनाव को इससे अलग रखा जा रहा है, ताकि भारत-चीन संवाद बाधित न हो.
बढ़ेगी ट्रंप की टेंशन
भारत-चीन के सुधरते रिश्ते रिश्ते कई मायने में अहम हैं. अगर वर्तमान परिदृश्य में देखें तो चीन खुलकर पाकिस्तान का समर्थन करता नजर आ रहा था. लेकिन चीनी मंत्री की इस यात्रा को अगर भारत-चीन की बढ़ती नजदीकियों के तौर पर देखा जाए तो पाकिस्तान की बेचैनी में इजाफा होना लाजिमी है. वहीं, पाकिस्तान से भी ज्यदा भारत-चीन के सुधरते रिश्तों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टेंशन भी बढ़नी तय है.