युद्ध हुआ तो 96 घंटे में खत्म हो जाएगी पाकिस्तान की कहानी, रक्षा संकट ने खोली पड़ोसी मुल्क की पोल
हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान की सेना के पास सिर्फ 4 दिन यानी 96 घंटे तक युद्ध लड़ने लायक गोला-बारूद बचा है। वजह है यूक्रेन को भारी मात्रा में हथियारों की आपूर्ति, जिससे पाकिस्तान का खुद का सैन्य भंडार खाली हो गया। पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्ट्री पुरानी तकनीक और आर्थिक संकट के कारण नई आपूर्ति नहीं कर पा रही है।

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जैसे ही यह खबर आई, पूरे देश में आक्रोश फैल गया. भारत के लिए यह हमला न केवल इंसानियत पर हमला था, बल्कि एक बार फिर आतंक के पीछे खड़े देश की पहचान साफ हो गई, पाकिस्तान.
हालांकि हमले के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान की सेना और राजनीतिक नेताओं ने बयानबाजी शुरू कर दी. पाकिस्तान की तरफ से बयान जारी हुआ कि अगर भारत किसी भी तरह की "सर्जिकल स्ट्राइक" करता है, तो पाकिस्तान मुंहतोड़ जवाब देगा. वहीं पाकिस्तान की सेना ने भी कहा कि वे "पूरी तरह तैयार" हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान वाकई युद्ध के लिए तैयार है?
सिर्फ 96 घंटे युद्ध के मैदान में टिकेगा पाकिस्तान
एक ओर पाकिस्तान युद्ध की बात कर रहा है, दूसरी ओर उसका रक्षा तंत्र बुरी तरह चरमराया हुआ है. हाल ही में सामने आई खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के पास सिर्फ चार दिन यानी 96 घंटे तक ही चलने लायक गोला-बारूद बचा है. खासकर 155 मिमी के आर्टिलरी शेल्स और 122 मिमी रॉकेट्स की भयंकर कमी है. यही दो हथियार युद्ध के शुरुआती मोर्चे पर सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होते हैं. ऐसे में अगर युद्ध छिड़ता है, तो पाकिस्तान 96 घंटे बाद मैदान से गायब हो सकता है.
यूक्रेन को बेच डाला अपना गोला-बारूद
जानकार सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान ने हाल ही में अपने गोला-बारूद का एक बड़ा हिस्सा यूक्रेन को बेच दिया है. यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में यूक्रेन को हथियारों की सख्त जरूरत है और पाकिस्तान ने इस मौके को कमाई के तौर पर देखा. लेकिन इस सौदे ने पाकिस्तान की अपनी सुरक्षा की जड़ें हिला दीं. गोला-बारूद के डिपो अब लगभग खाली हैं और पाकिस्तान सेना के लिए हथियार और बारूद बनाने वाली ऑर्डनेंस फैक्ट्री (POF) पुरानी तकनीक और संसाधनों की कमी के चलते उत्पादन बढ़ाने में असमर्थ है. इसका सीधा असर पाकिस्तान की युद्ध तैयारी पर पड़ा है.
पाकिस्तान की सैन्य नीति हमेशा से इस विचार पर आधारित रही है कि युद्ध की स्थिति में वह भारत के खिलाफ तेजी से प्रतिक्रिया दे. इसके लिए उसे लगातार हथियारों की सप्लाई की जरूरत होती है. लेकिन अब जो हालात हैं, उसमें पाकिस्तान की फौज किसी भी बड़ी लड़ाई में टिक नहीं सकती. पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी सार्वजनिक रूप से ये मान चुके हैं कि पाकिस्तान भारत के साथ लंबी लड़ाई नहीं लड़ सकता. ऐसे हालात में पाकिस्तान की सेना की रणनीति और आत्मविश्वास दोनों डगमगा चुके हैं.
कोर कमांडरों की बैठक में चिंता का माहौल
2 मई 2025 को इस मसले पर पाकिस्तान की सेना के कोर कमांडरों की एक विशेष बैठक हुई. बैठक में सामने आया कि न सिर्फ गोला-बारूद की कमी है, बल्कि ईंधन, राशन और ट्रेनिंग के साधन भी तेजी से घट रहे हैं. सेना में अब युद्धाभ्यास कम हो रहे हैं, फील्ड ऑपरेशन्स पर असर पड़ा है और नई भर्तियों पर भी रोक लगाई जा रही है. ये हालात एक सैन्य शक्ति के लिए खतरे की घंटी हैं, खासतौर पर तब जब सीमाएं संवेदनशील हों और दुश्मन हर वक्त तैयार हो.
पाकिस्तान ने भारत-पाक सीमा के पास कुछ नए गोला-बारूद डिपो बनाना शुरू किया है. इनका उद्देश्य युद्ध की स्थिति में तेज़ी से हथियारों की आपूर्ति करना है. लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि जब आपके पास स्टॉक ही नहीं है, तो गोदाम बनाने का क्या फायदा? ये वैसा ही है जैसे खाली पेट में थाली सजा लेना. अगर भंडार खाली हैं, तो डिपो भी सिर्फ दिखावे के साधन रह जाएंगे
पाकिस्तान की आंतरिक कमजोरी
पाकिस्तान की हालत सिर्फ युद्ध स्तर पर ही नहीं, बल्कि आर्थिक और प्रशासनिक स्तर पर भी बेहद खराब है. IMF की शर्तों के तहत जनता पर भारी टैक्स लगाया जा रहा है, महंगाई आसमान छू रही है और विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है. सेना का बजट कट गया है, रेशन में कटौती की जा रही है, और सैनिकों के युद्ध अभ्यास भी स्थगित कर दिए गए हैं. ऐसे में युद्ध का राग केवल एक राजनीतिक चाल बनकर रह गया है, जिसमें पाकिस्तान अपनी जनता का ध्यान असली समस्याओं से हटाना चाहता है.
साइबर मोर्चे पर भी मात खा रहा पाकिस्तान
युद्ध की धमकियों के बीच पाकिस्तान ने साइबर हमलों का भी सहारा लिया. 1 मई 2025 को पाकिस्तानी हैकर ग्रुप्स ने भारतीय सेना और स्वास्थ्य सेवा की वेबसाइट्स को हैक करने की कोशिश की, लेकिन भारत की साइबर एजेंसियों ने उन्हें तुरंत नाकाम कर दिया. इससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान अब छल-कपट और आतंक के सहारे युद्ध लड़ना चाहता है, लेकिन भारत के आधुनिक तकनीकी बल के सामने वह भी विफल हो रहा है.
पाकिस्तान भले ही युद्ध की बातें कर रहा हो, लेकिन सच्चाई यह है कि वह एक खोखला देश बन चुका है. उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा रही है, उसकी सेना के पास गोला-बारूद नहीं है, और वह केवल बयानों और सोशल मीडिया के सहारे युद्ध लड़ने की कोशिश कर रहा है. जबकि भारत शांत है, लेकिन उसकी तैयारी युद्ध के हर मोर्चे पर पूरी है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश का धैर्य जवाब दे सकता है, और अगर पाकिस्तान ने कोई दुस्साहस किया, तो उसकी कहानी युद्ध के पहले 4 दिनों में ही खत्म हो सकती है. पाकिस्तान के सामने दोहरी चुनौती है एक तरफ बाहरी दुश्मन का खतरा और दूसरी तरफ अंदरूनी संसाधनों की भारी कमी. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान को अपने रुख में बदलाव लाना चाहिए और पहले अपनी आर्थिक और सैन्य स्थिति को संभालने पर ध्यान देना चाहिए.