आंखों में आंख डाल चीनी राष्ट्रपति से मिले विदेश मंत्री एस जयशंकर, पहुंचा दिया पीएम मोदी का संदेश, जानें क्या हुई बात
कई दिनों से सार्वजनिक रूप से नज़र न आने वाले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मंगलवार को सामने आए, जब बीजिंग में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनसे मुलाकात की. इस मुलाकात से चीन में तख्तापलट की अटकलों पर विराम लगा. जयशंकर ने बताया कि यह SCO के विदेश मंत्रियों के साथ हुई बैठक का हिस्सा थी, जिसमें भारत-चीन संबंधों और नेतृत्व के मार्गदर्शन पर चर्चा हुई.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले बीस दिनों से मीडिया से गायब थे. उनकी अनुपस्थिति ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल पैदा कर दी थी. न तो वो किसी सार्वजनिक मंच पर दिखाई दे रहे थे और न ही वैश्विक आयोजनों में उनकी उपस्थिति थी. ब्रिक्स सम्मेलन जैसे बड़े कार्यक्रम से भी उनकी गैरहाज़िरी ने अटकलों को और हवा दी. कयास लगाए जा रहे थे कि चीन में आंतरिक सत्ता संघर्ष चल रहा है और शायद शी जिनपिंग एक साइलेंट तख्तापलट का शिकार हो चुके हैं. लेकिन मंगलवार की सुबह तस्वीर एकदम बदल गई. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर उन तमाम अटकलों पर फिलहाल विराम लगा दिया है.
जयशंकर ने दी मुलाकात की जानकारी
एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि उन्होंने बीजिंग में SCO के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन भी पहुंचाया. जयशंकर ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति शी को भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में हालिया प्रगति के बारे में जानकारी दी और यह स्पष्ट किया कि भारत, दोनों देशों के नेताओं द्वारा दिए गए मार्गदर्शन को अत्यधिक महत्व देता है.
कहां थे शी जिनपिंग?
इस मुलाकात से पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आखिरी सार्वजनिक उपस्थिति 24 जून को दर्ज हुई थी, जब उन्होंने बीजिंग में सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वांग से मुलाकात की थी. उसके बाद से वे किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं दिखे. यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय जानकारों और मीडिया में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि कहीं चीन की सत्तारूढ़ व्यवस्था में कुछ गंभीर परिवर्तन तो नहीं चल रहा. हालांकि, चीनी प्रशासन ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन शी जिनपिंग की इस अचानक वापसी ने चीन की राजनीति को फिर से वैश्विक विमर्श का केंद्र बना दिया है.
Called on President Xi Jinping this morning in Beijing along with my fellow SCO Foreign Ministers.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 15, 2025
Conveyed the greetings of President Droupadi Murmu & Prime Minister @narendramodi.
Apprised President Xi of the recent development of our bilateral ties. Value the guidance of… pic.twitter.com/tNfmEzpJGl
SCO बैठक के बहाने भारत-चीन संवाद का नया दौर
बीजिंग में भारतीय विदेश मंत्री का यह दौरा सिर्फ एक कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. एस जयशंकर बीजिंग के बाद तिआनजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेंगे. यह संगठन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग के लिए बनाया गया एक अंतरराष्ट्रीय मंच है, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान जैसे देश सदस्य हैं.
एक महीने में SCO की दूसरी बैठक
गौरतलब है कि बीते महीने भी SCO की रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई थी, जिसमें भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिस्सा लिया था. उस बैठक में भारत ने संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था. भारत चाहता था कि आतंकवाद के मुद्दे पर कड़ा और स्पष्ट रुख अपनाया जाए, खासकर उस समय जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ था जिसमें 26 सैलानियों की जान चली गई थी. भारत की यह मांग थी कि SCO जैसे मंच से आतंकवाद पर दो टूक संदेश जाए, जिसमें ढुलमुल रवैये की कोई जगह न हो.
Good to meet IDCPC Minister Liu Jianchao in Beijing.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 14, 2025
Discussed the changing global order and the emergence of multipolarity. Spoke about a constructive India-China relationship in that context. pic.twitter.com/g8BplRMcrc
बताते चलें कि एस जयशंकर और शी जिनपिंग की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में तनाव और संवाद दोनों एक साथ चल रहे हैं. लद्दाख सीमा पर लंबे समय से जारी गतिरोध, व्यापारिक असंतुलन और वैश्विक मंचों पर टकराव के बावजूद दोनों देश बातचीत के रास्ते को खुला रखे हुए हैं. इस मुलाकात से संकेत मिलता है कि बीजिंग भी अब भारत के साथ कूटनीतिक खाई को कम करने के मूड में है. हालांकि, यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगा कि क्या वाकई दोनों देशों के बीच रिश्तों में नई गर्माहट आने वाली है या यह सिर्फ एक औपचारिकता थी.