Advertisement

दुबई से सस्ता सोना लाने वालों की बढ़ी मुश्किलें, भारत सरकार ने बदले नियम

दुबई से अब सोना लाना पहले जितना आसान नहीं रह गया है। भारत सरकार ने सोने और चांदी के आयात पर सख्त नियम लागू कर दिए हैं. अब केवल लाइसेंस प्राप्त ज्वेलर्स या एजेंसियां ही TRQ परमिट के तहत सोना मंगा सकेंगी.

20 May, 2025
( Updated: 20 May, 2025
07:11 PM )
दुबई से सस्ता सोना लाने वालों की बढ़ी मुश्किलें, भारत सरकार ने बदले नियम
भारत सरकार ने दुबई से सोना लाने के पुराने रास्तों पर सख्त शिकंजा कस दिया है. अब दुबई से कच्चे या अधबने सोने और चांदी के पाउडर के रूप में आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. वित्त वर्ष 2026 के बजट में इस फैसले की झलक पहले ही दिखाई गई थी और अब इसे लागू करते हुए सोने के व्यापारियों और आम आयातकों के लिए नियमों को सख्त कर दिया गया है. इससे उन लोगों पर लगाम कसने की कोशिश की गई है, जो अब तक सोने को अन्य धातु के रूप में दिखाकर भारत-यूएई के आर्थिक समझौते का दुरुपयोग कर रहे थे.

क्या है नया नियम और किसे मिलेगा इम्पोर्ट का अधिकार?

भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हुए व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) के तहत अब केवल उन्हीं अधिकृत एजेंसियों और लाइसेंस प्राप्त ज्वेलर्स को सोना मंगवाने की इजाजत होगी, जिनके पास TRQ यानी टैरिफ रेट कोटा का लाइसेंस होगा. इसका सीधा मतलब यह है कि अब कोई भी आम व्यापारी या व्यक्ति पहले की तरह आसानी से दुबई से सोना नहीं मंगवा सकेगा. पहले जहां कम टैक्स देकर लोग भारी मात्रा में सोना लाते थे, अब इस पर पूरी तरह रोक लग गई है.

सरकार के अनुसार यह बदलाव HS कोड (Harmonized System Code) में किया गया है. यह कोड हर वस्तु के लिए एक यूनिक पहचान देता है, जिससे यह पता चलता है कि कौन सी वस्तु देश में आ-जा रही है. अब सोने, चांदी और प्लेटिनम जैसी धातुओं के लिए नया टैरिफ कोड जारी किया गया है, ताकि किसी भी रूप में की गई टैक्स चोरी को पकड़ा जा सके.

टैक्स चोरी रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम

सरकार के इस फैसले का मुख्य उद्देश्य है उन लोगों को रोकना, जो दुबई से 99 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना लाकर उस पर प्लेटिनम के लेबल लगाकर कम टैक्स चुकाते थे. इस ट्रिक का उपयोग कर वे भारत-यूएई CEPA समझौते का अनुचित लाभ उठाते थे, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था. अब 99 प्रतिशत से अधिक शुद्ध प्लेटिनम को छोड़कर किसी अन्य धातु या मिश्रण के नाम पर प्लेटिनम दिखाकर आयात करना संभव नहीं होगा. सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्लेटिनम के लिए अलग कोड होगा और इसके आयात को भी नए मापदंडों पर परखा जाएगा.

कितना सोना अब आयात किया जा सकेगा?

भारत को CEPA समझौते के अंतर्गत हर साल 200 मीट्रिक टन सोना आयात करने की अनुमति मिली हुई है, लेकिन यह अनुमति भी सिर्फ TRQ लाइसेंसधारी संस्थाओं को ही दी गई है. इसके तहत सिर्फ उन्हीं कंपनियों को 1 प्रतिशत रियायती दर पर सोना मंगवाने की छूट है, जो सरकार की तय शर्तों पर खरे उतरते हैं. इस व्यवस्था से सरकार को टैक्स की चोरी पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और आयात की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी बनेगी.

आम खरीदारों और बाजार पर क्या असर पड़ेगा?

सोने के इन सख्त नियमों का सीधा असर आम उपभोक्ताओं और आभूषण बाजार पर भी देखने को मिल सकता है. जब आयात सीमित होगा और केवल अधिकृत एजेंसियों के जरिए होगा, तो बाजार में सोने की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है. इससे सोने की कीमतों में अस्थायी उछाल देखने को मिल सकता है, हालांकि सरकार ने यह साफ किया है कि लंबे समय में इससे ईमानदार कारोबारियों को फायदा मिलेगा और देश को टैक्स का नुकसान नहीं होगा.

वहीं, आभूषण बनाने वाले उद्योग से जुड़े छोटे कारोबारियों के लिए यह नियम चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि वे अब आसानी से सस्ता सोना नहीं मंगा सकेंगे. हालांकि सरकार का मानना है कि इससे सोने के व्यापार में पारदर्शिता आएगी और जाली कंपनियों व अवैध लेन-देन पर नियंत्रण पाया जा सकेगा.

विशेषज्ञों की मानें तो यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक नियंत्रण और टैक्स सुधार की दिशा में एक अहम कदम है. दुबई से सोने के नाम पर जो हेराफेरी चल रही थी, वह अब नियंत्रित हो सकेगी. साथ ही, इससे देश के कस्टम विभाग को भी स्पष्ट पहचान मिलेगी कि किस कोड के तहत कौन-सी वस्तु आ रही है और उस पर कितना टैक्स देना है. यह न सिर्फ सरकारी राजस्व बढ़ाने में सहायक होगा, बल्कि ईमानदारी से व्यापार करने वालों को भी राहत देगा.

यह भी पढ़ें

LIVE
Advertisement
अकेला मुसलमान जिसने मुल्ला-मौलवियों की नींद हराम कर दी, बन गए मोदी के ‘संदेशवाहक’? Qari Abrar Jamal
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें