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'हम हर दिन नजर रखते हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच क्या चल रहा', अमेरिकी विदेश मंत्री रूबियो ने आखिर क्यों कही ये बात, जानें

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिका रोज़ाना भारत-पाकिस्तान समेत तनावग्रस्त क्षेत्रों पर नजर रखता है. उन्होंने यह बयान ट्रंप-पुतिन मुलाकात के बाद रूस-यूक्रेन युद्धविराम की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए दिया. रुबियो ने साफ कहा कि युद्धविराम तभी संभव है जब दोनों पक्ष गोलीबारी रोकने पर सहमत हों, लेकिन रूस अभी तक तैयार नहीं है.

18 Aug, 2025
( Updated: 18 Aug, 2025
04:36 PM )
'हम हर दिन नजर रखते हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच क्या चल रहा', अमेरिकी विदेश मंत्री रूबियो ने आखिर क्यों कही ये बात, जानें
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वैश्विक राजनीति में भारत और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से ही चर्चा का विषय रहे हैं. दोनों देशों के बीच दशकों से चला आ रहा तनाव समय-समय पर पूरी दुनिया का ध्यान खींचता है. अब अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अमेरिका हर दिन भारत-पाकिस्तान के बीच की स्थिति पर नजर रखता है. यह बयान उस वक्त आया है जब अमेरिका खुद रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक कूटनीति में सक्रिय भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है.

दरअसल, ये बातें अमेरिकी रुबियो ने अमेरिकी चैनल NBC न्यूज के "मीट द प्रेस" शो में कहा, “हम हर दिन पाकिस्तान और भारत के बीच, कंबोडिया और थाईलैंड के बीच क्या हो रहा है, इस पर नजर रखते हैं.” उन्होंने साफ किया कि अमेरिका केवल दक्षिण एशिया ही नहीं बल्कि हर उस क्षेत्र पर पैनी नजर बनाए रखता है, जहां तनाव की स्थिति है.

युद्धविराम को लेकर चिंता

अमेरिकी विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आया जब हाल ही में अलास्का में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात हुई. दोनों नेताओं की बातचीत का केंद्र बिंदु यूक्रेन-रूस युद्ध में संघर्षविराम की संभावनाएं रहीं. इसी सिलसिले में रुबियो ने कहा कि युद्धविराम तभी संभव है जब दोनों पक्ष गोलीबारी बंद करने पर सहमत हों. लेकिन रूस अब तक इसके लिए तैयार नहीं हुआ है. रुबियो ने माना कि युद्धविराम बनाए रखना बेहद कठिन काम है. उन्होंने कहा कि “युद्धविराम बहुत जल्दी टूट सकते हैं. खासकर तब जब यह संघर्ष साढ़े तीन साल से जारी हो.” इसलिए अमेरिका की कोशिश केवल अस्थायी युद्धविराम तक सीमित नहीं है, बल्कि रूस और यूक्रेन के बीच स्थायी शांति समझौते तक पहुंचना ही उसका असली लक्ष्य है.

भारत-पाक के जटिल रिश्ते

रुबियो ने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव का भी जिक्र किया. उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई है. ट्रंप खुद बार-बार यह कह चुके हैं कि उन्होंने अपने हस्तक्षेप से भारत और पाकिस्तान को युद्ध की स्थिति से बाहर निकाला. बता दें कि फॉक्स न्यूज को दिए गए एक अन्य साक्षात्कार में भी रुबियो ने यही बात दोहराई. उन्होंने कहा कि “हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास ऐसा राष्ट्रपति है जिसने शांति बहाली को प्राथमिकता दी है. भारत-पाकिस्तान से लेकर कंबोडिया-थाईलैंड और रवांडा-डीआरसी तक, अमेरिका ने हर जगह शांति स्थापित करने की कोशिश की है.” हालांकि, भारत ने हमेशा से यह स्पष्ट रुख अपनाया है कि पाकिस्तान के साथ उसके सभी मुद्दों का समाधान केवल द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से ही होगा. भारत ने तीसरे पक्ष की किसी भी मध्यस्थता को सख्ती से खारिज किया है. चाहे कश्मीर का मसला हो या सीमापार आतंकवाद का, भारत का कहना है कि कोई भी विदेशी शक्ति उसके फैसलों को प्रभावित नहीं कर सकती.

ट्रंप के दावे पर भारत ने जताई थी आपत्ति

डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर यह कहा है कि उनके दखल से ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम हुआ. खासकर ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के बाद ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका की पहल से दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच तनाव कम हुआ. लेकिन भारत ने इन दावों को सिरे से नकार दिया. भारत का दो टूक कहना रहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत का रास्ता केवल द्विपक्षीय है और इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं है. भारत ने बार-बार यह दोहराया है कि वह अपने सैन्य और रणनीतिक फैसले स्वतंत्र रूप से लेता है और किसी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करता.

मार्को रुबियो के बयान की अहमियत 

मार्को रुबियो का बयान ऐसे समय पर आया है जब दक्षिण एशिया में राजनीतिक और सुरक्षा हालात लगातार बदल रहे हैं. अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पाकिस्तान की भूमिका और भी अहम हो गई है. वहीं, भारत अपनी वैश्विक छवि को मजबूत करने और चीन के खिलाफ रणनीतिक संतुलन बनाने में जुटा है. ऐसे में अमेरिका की हर गतिविधि और टिप्पणी को दक्षिण एशियाई राजनीति में विशेष महत्व दिया जाता है. इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय राजनीति दो ध्रुवों में बंटती जा रही है. एक तरफ अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी हैं, तो दूसरी ओर रूस और उसके समर्थक देश. इस स्थिति में भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक और आर्थिक शक्ति संपन्न देश की भूमिका बहुत अहम हो जाती है. यही कारण है कि अमेरिका भारत-पाक रिश्तों पर लगातार नजर बनाए हुए है.

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बताते चलें कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो का यह बयान केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की नजर हमेशा भारत-पाकिस्तान जैसे संवेदनशील रिश्तों पर रहती है. हालांकि, भारत का साफ संदेश है कि वह किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा और अपने पड़ोसी पाकिस्तान के साथ सभी विवादों का हल केवल आपसी बातचीत से ही निकालेगा.

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