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जंबूरी में यूपी की कला, शिल्प और स्वाद से जगमगाएगा योगी का राज्य, लखनऊ बनेगी सांस्कृतिक राजधानी

Jamboree Event: उत्तर प्रदेश छह दशक बाद इस प्रतिष्ठित आयोजन की मेजबानी कर रहा है और लाखों प्रतिभागियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों का स्वागत करेगा.

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21 Nov 2025
( Updated: 11 Dec 2025
04:53 AM )
जंबूरी में यूपी की कला, शिल्प और स्वाद से जगमगाएगा योगी का राज्य, लखनऊ बनेगी सांस्कृतिक राजधानी
Image Source: Social Media

Jamboree Event 2025: उत्तर प्रदेश की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और शिल्पकला अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी अलग पहचान बनाने जा रही है. इस साल भारत स्काउट्स और गाइड्स के 19वें राष्ट्रीय जंबूरी में पहली बार बड़े पैमाने पर “एक जिला, एक उत्पाद” (ओडीओपी) के उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे. यह जंबूरी 23 से 29 नवंबर तक लखनऊ में आयोजित होगी. छह दशक बाद उत्तर प्रदेश इस प्रतिष्ठित आयोजन की मेजबानी कर रहा है. लाखों प्रतिभागियों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों का स्वागत राजधानी लखनऊ में किया जाएगा.

ओडीओपी पवेलियन: कारीगरों की मेहनत को मिलेगा मंच

योगी सरकार के मार्गदर्शन में इस जंबूरी में उत्तर प्रदेश के शिल्पकारों और स्थानीय उत्पादों को विशेष रूप से दिखाया जाएगा. बनारसी और रेशमी साड़ियाँ, चंदौली की ज़री-ज़रदोज़ी, लखनऊ की चिकनकारी, आगरा का पेठा, ग़ाज़ीपुर की जूट वॉल हैंगिंग्स और जौनपुर के ऊनी कारपेट जैसे उत्पाद ओडीओपी पवेलियन में सजाए जाएंगे.
यह पवेलियन सिर्फ उत्पादों की सुंदरता दिखाने का माध्यम नहीं होगा, बल्कि इन उत्पादों के पीछे छुपी मेहनत और कारीगरी को भी दुनिया के सामने लाएगा। इससे शिल्पकारों को सम्मान मिलेगा और उनकी कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी मिलेगी.


नए आर्थिक अवसर और बाजार


राष्ट्रीय जंबूरी जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच से उत्तर प्रदेश के छोटे उद्योग और पारंपरिक कला को नए अवसर मिलेंगे. हजारों प्रतिभागियों और विदेशी प्रतिनिधियों की उपस्थिति से स्थानीय उत्पादों की मांग बढ़ेगी.
ओडीओपी उत्पादों को प्रदर्शित करना कारीगरों के लिए नए रोजगार और आर्थिक अवसर भी लाएगा। इससे राज्य में निवेश बढ़ेगा और छोटे-छोटे उद्योगों को नई उन्नति के अवसर मिलेंगे.


युवा और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के लिए सीख


जंबूरी में आए स्काउट्स, गाइड्स और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि उत्तर प्रदेश के कारीगरों की मेहनत और कला को नजदीक से देख सकेंगे. असिस्टेंट रीजनल ऑर्गनाइजेशन कमिश्नर जयप्रकाश दक्ष ने बताया कि यह अवसर युवाओं को भारत की सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराने का भी मौका है. लीडर ट्रेनर स्काउट अमिताभ पाठक ने कहा कि यह मंच शिल्पकारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इससे उनकी कला को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलेगी और उनके उत्पादों की मांग भी बढ़ेगी.


खान-पान, परिधान और लोक कला का आनंद


जंबूरी में केवल शिल्प और उत्पाद ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के खान-पान और लोक कला का भी प्रदर्शन होगा. पूड़ी-कचौरी, जलेबी, बनारसी पान, चाट और क्षेत्रीय मिठाइयाँ प्रतिभागियों को यूपी के स्वाद से रूबरू कराएँगी. विभिन्न लोक कलाओं, पारंपरिक परिधानों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रतिभागी भारत की सांस्कृतिक विविधता का आनंद लेंगे और इसकी विरासत को समझ पाएंगे.


वैश्विक पहचान और विकास


इस जंबूरी का थीम है “सशक्त युवा  विकसित भारत”, जिसमें 32,000 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा लेंगे. इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लगभग 2,000 प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
इस आयोजन से उत्तर प्रदेश की कला, व्यंजन, विरासत और लोक संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी. पर्यटन, निवेश और क्षेत्रीय विकास को भी नई दिशा मिलेगी. यह मंच राज्य की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान को मजबूत करेगा और भविष्य में नए अवसर खोलेगा.

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