हीटवेव में काम नहीं कर पा रहे मजदूरों को 3000 रुपये की मदद, जानिए कैसे मिलेगा लाभ
गर्मी से सिर्फ शरीर पर असर नहीं होता, बल्कि इसका असर आमदनी और जीवन यापन पर भी पड़ता है. मजदूरों को न सिर्फ अपनी सेहत का ध्यान रखना पड़ता है, बल्कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी इसी पर निर्भर होती है. ऐसे में यह योजना न केवल एक राहत है, बल्कि एक सामाजिक सुरक्षा का उदाहरण भी बन सकती है.

Heat Insurance For Labourers: भारत इन दिनों भयंकर गर्मी और हीटवेव की चपेट में है. देश के कई हिस्सों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच चुका है, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. खासकर उन लोगों के लिए यह गर्मी जानलेवा साबित हो रही है, जो रोजमर्रा के कामों के लिए घर से बाहर निकलते हैं.इनमें सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों और निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों पर देखने को मिल रहा है.
मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी
गर्मी के इन दिनों में सबसे अधिक परेशान वे लोग हैं जो दिहाड़ी मजदूरी करते हैं या खुले आसमान के नीचे शारीरिक श्रम से जुड़े कार्य करते हैं. ऐसी गर्मी में न केवल काम करना मुश्किल हो गया है, बल्कि कई जगहों पर मजदूरों को काम मिलना भी बंद हो गया है. इस कारण उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. साथ ही, लगातार बढ़ते तापमान की वजह से कई लोगों को हीट स्ट्रोक हुआ है और कुछ की तो जान भी चली गई है.
अब नहीं होगी गर्मी से आमदनी की चिंता
इस मुश्किल समय में अब मजदूरों को कुछ राहत मिलने जा रही है. हीट इंश्योरेंस’ नाम की एक योजना के तहत मजदूरों को उन दिनों में आर्थिक सहायता दी जाएगी, जब वे अधिक गर्मी की वजह से काम नहीं कर पाएंगे. इस स्कीम के अंतर्गत उन्हें 3000 रुपये तक की सहायता राशि मिल सकती है. यह पहल खासतौर पर उन मजदूरों के लिए है, जो माइग्रेंट वर्कर हैं और दैनिक मजदूरी पर निर्भर हैं.
क्या है हीट इंश्योरेंस योजना?
डिजिट इंश्योरेंस नाम की कंपनी ने यह पहल शुरू की है. कंपनी ने नोएडा में कई माइग्रेंट वर्कर्स को इस योजना के तहत 3000 रुपये तक की राशि प्रदान की है. इसके लिए एक विशेष तापमान सीमा तय की गई है. यदि किसी क्षेत्र में तापमान लगातार पांच दिनों तक 42 डिग्री से लेकर 43.7 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहता है, और उस दौरान मजदूर काम नहीं कर पाते, तो उन्हें यह राशि दी जाएगी.
किन शर्तों पर मिलेगा यह इंश्योरेंस?
1.तापमान 42 डिग्री से अधिक होना चाहिए.
2. यह तापमान कम से कम लगातार 5 दिन तक बना रहना चाहिए.
3. मजदूर उन दिनों में कार्य न कर पाने की स्थिति में हों.
4. मजदूर को इंश्योरेंस कंपनी के निर्धारित मापदंडों के अनुसार पंजीकृत होना आवश्यक है.
गर्मी से सिर्फ शरीर पर असर नहीं होता, बल्कि इसका असर आमदनी और जीवन यापन पर भी पड़ता है. मजदूरों को न सिर्फ अपनी सेहत का ध्यान रखना पड़ता है, बल्कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी इसी पर निर्भर होती है. ऐसे में यह योजना न केवल एक राहत है, बल्कि एक सामाजिक सुरक्षा का उदाहरण भी बन सकती है.