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'एक फोन... और टिकट कैंसिल!' ट्रेन टिकट कन्फर्म कराने के नाम पर फर्जीवाड़ा, सख्त एक्शन ले रहा रेलवे, आप भी हो जाएं सतर्क

फर्जी लेटरहेड, दलाली और कोटा लगवाकर टिकट कन्फर्म कराने वालों पर अब रेलवे की पैनी नज़र है. रेलवे अब फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सख्त एक्शन के मूड में है. यानी कि अब एक रैंडम कॉल आएगा, कुछ भी संदिग्ध लगा तो टिकट कैंसिल!

Created By: केशव झा
18 Jun, 2025
( Updated: 19 Jun, 2025
12:33 PM )
'एक फोन... और टिकट कैंसिल!' ट्रेन टिकट कन्फर्म कराने के नाम पर फर्जीवाड़ा, सख्त एक्शन ले रहा रेलवे, आप भी हो जाएं सतर्क

भारत में रेल टिकट की मारामारी किसी से छिपी नहीं है. त्योहार, छुट्टियों और शादी-विवाह के समय के अलावा फ्री सीजन में भी बर्थ मिलना लोगों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है. बढ़ती डिमांड के अलावा टिकट की कालाबाजारी कर रहे दलाल भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे में भारतीय रेलवे अब टिकट बुकिंग में हो रहे फर्जीवाड़े और दलालों की चालों पर लगाम लगाने के लिए एक्शन मोड में आ गया है. दरअसल टिकट फर्जीवाड़े को लेकर हाल ही में दो बड़े मामले सामने आए हैं जिसने रेलवे की परेशानी बढ़ा दी थी, जाहिर है इन्हीं वजह से रेलवे को अपनी कोटा व्यवस्था को ज्यादा पारदर्शी और सख्त बनाना पड़ रहा है. 

क्या है रेलवे कोटा का फर्जीवाड़ा? 

दरअसल पहला मामला फर्जी लेटरहेड के ज़रिए टिकट बुक कराने का है, जबकि दूसरा मामला गोरखपुर के रेलवे हेड ऑफिस (HO) कोटा से बुक किए गए टिकटों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का है. दोनों मामलों ने टिकट कंफर्म कराने के मामलों में हो रही धांधली को लेकर रेलवे की नींद उड़ा दी. ऐसे में अगर आप भी ट्रेन टिकट पक्का कराने के लिए कोटा के जरिए बुकिंग करवा रहे हैं, तो सतर्क हो जाएं. कहीं किसी गलत तरीके या दलाल के झांसे में आकर आपका टिकट ही रद्द न हो जाए.

कोटा के जरिए टिकट बुकिंग के लिए रैंडम कॉल वेरिफिकेशन करेगा रेलवे

रेलवे अब गोरखपुर में HO कोटा से बुक हो रहे टिकटों की जांच के लिए ‘रैंडम कॉल वेरिफिकेशन’ का तरीका अपना रहा है. इस प्रक्रिया के तहत रेलवे के कर्मचारी टिकट कन्फर्म होने से पहले यात्री को फोन करेंगे. अगर जवाब संदिग्ध लगता है, तो टिकट तुरंत रद्द कर दिया जाएगा. वहीं जिसके लेटर हेड पर कोटा की रिक्वेस्ट आई है उसकी भी जांच होगी. वहीं कोटा भेजने वाले शख्स से भी सघन पूछताछ की जाएगी.

रेलवे की इस पहल का मकसद दलालों को पकड़ना और कोटा सिस्टम के दुरुपयोग को रोकना है. रेलवे का मानना है कि यात्रियों से सीधे बात करके फर्जीवाड़े और दलाली पर कड़ा प्रहार किया जा सकता है. आए दिन ये देखा गया है कि रेलवे टिकट बुकिंग के लिए बड़े पैमाने पर रिक्वेस्ट आती है जिसमें सांसद, मंत्री, विधायक और पॉलिटिकल पार्टी के अलावा DRM कोटा के भी लेटर हेड होते हैं. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना होती है लेटर हेड ही फर्जी हो. 


रेलवे में टिकट कन्फर्मेशन की नई व्यवस्था की शुरुआत
मीडिया रिपोर्ट्स में रेल प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक टिकट बुकिंग में पारदर्शिता लाने और कोटा सिस्टम के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक नई व्यवस्था लागू की जा रही है. इसकी शुरुआत फिलहाल दिल्ली और मुंबई जाने वाली प्रमुख ट्रेनों से की गई है.

नई व्यवस्था के तहत HO कोटा से जिन यात्रियों को सीटें दी जाएंगी, उनका डेटा सिस्टम में फीड करने से पहले रेलकर्मी टिकट प्रक्रिया से जुड़ी पूरी जानकारी लेंगे. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोटा का इस्तेमाल सही तरीके से, बिना किसी गड़बड़ी या दलाली के हो. यह कदम कोटा प्रणाली को ज्यादा पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने की दिशा में रेलवे की एक अहम पहल मानी जा रही है. 


कैसे हुआ था कोटा सिस्टम के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़ा का खुलासा?

हाल ही में दादर एक्सप्रेस में कोटा सिस्टम के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ था. कोटा के जरिए कंफर्म हुए टिकट को देखकर TTE के होश उड़ गए. इसने कोटा के नाम पर हुए फर्जीवाड़े और रेलवे की कोटा व्यवस्था में गड़बड़ियों की की पोल खोल दी थी. दरअसल 6 जून को गोरखपुर से लोकमान्य तिलक टर्मिनस (LTT) जा रही दादर एक्सप्रेस में HO कोटा से एक ही PNR पर पांच टिकट कन्फर्म कराए गए थे. ये टिकट रेल राज्यमंत्री के पी-2 (प्रेस एंड पब्लिसिटी) कोटे के नाम पर फैक्स के जरिए भेजे गए थे. जब टिकट चार्ट में टीटीई ने VIP कोटा देखा तो इसकी जांच की, जाहिर है इन्हें विशेष तवज्जो तो देनी ही थी.जब ट्रेन में टीटीई ने यात्रियों से फॉर्म भरवाकर पूछताछ की, तो उन्होंने बताया कि उन्हें ये टिकट एक एजेंट ने 5500 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से दिलवाए थे. इससे साफ हो गया कि कैसे कुछ दलाल VIP कोटे का गलत फायदा उठाकर आम यात्रियों से मोटी रकम वसूल रहे हैं.

कोटा सिस्टम की जांच कर रही है रेलवे की विजिलेंस टीम!
रेलवे की विजिलेंस टीम इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है. इन खुलासों के बाद रेलवे अब HO और VIP कोटा सहित पूरी कोटा व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए तेजी से कदम उठा रहा है. रेलवे का मकसद साफ है कि फर्जीवाड़े पर लगाम कसना और टिकट बुकिंग प्रक्रिया को पूरी तरह भरोसेमंद बनाना.

अनऑथेंटिकेटेड खाते होंगे बंद
रेलवे ने ऑनलाइन माध्यम से ऑटोमेटेड टूल का इस्तेमाल कर टिकट बुकिंग करने वाले लोगों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है, जिसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया जा रहा है. रेलवे द्वारा विकसित किए गए विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से पिछले 6 महीने में 2.4 करोड़ से अधिक यूजर्स को डीएक्टिवेट करते हुए उन्हें ब्लॉक किया गया है. करीब 20 लाख दूसरे अकाउंट को भी संदिग्ध पाया गया है, जिनके आधार एवं दूसरे डॉक्यूमेंट की जांच की जा रही है

UID से लिंक होंगे IRCTC के खाते

रेलवे की कोशिश है कि जेनुइन पैसेंजर को ही तत्काल एवं प्रीमियम तत्काल सेवा के तहत टिकट प्राप्त हो. जिन अकाउंट होल्डर द्वारा अपने खाते को आधार से लिंक कर दिया जाएगा, उन्हें तत्काल बुकिंग के पहले 10 मिनट में प्राथमिकता हासिल होगी. आईआरसीटीसी के अधिकृत एजेंटों को भी तत्काल विंडो ओपन होने के पहले 10 मिनट में सिस्टम पर टिकट बुकिंग की इजाजत नहीं है. ऐसे में आईआरसीटीसी अकाउंट का सत्यापन आधार से करना जरूरी हो गया है. इस संबंध में रेल मंत्री ने कहा था कि भारतीय रेल जल्द ही तत्काल टिकट बुकिंग के लिए ई-आधार सत्यापन शुरू करेगा. इससे जरूरत के समय वास्तविक यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिल सकेगा."

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