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कोर्ट में दी झूठी गवाही तो हो जाइए सावधान, 7 साल तक की हो सकती है जेल

कोर्ट में झूठ बोलना कानूनन अपराध है और इसके लिए 3 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है.अगर इस झूठ से किसी को गंभीर नुकसान पहुंचता है, तो सजा और भी बढ़ सकती है

30 May, 2025
( Updated: 03 Jun, 2025
10:15 AM )
कोर्ट में दी झूठी गवाही तो हो जाइए सावधान, 7 साल तक की हो सकती है जेल
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कोर्ट यानी न्यायालय को समाज का सबसे पवित्र और निष्पक्ष स्थान माना जाता है, जहाँ सच और न्याय की उम्मीद लेकर लोग जाते हैं. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति अदालत के सामने झूठ बोलता है, तो यह सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं बल्कि नैतिक और सामाजिक रूप से भी एक गंभीर अपराध माना जाता है. भारत के कानून में कोर्ट में झूठ बोलने को “झूठी गवाही देना” या “कपटपूर्ण बयान” माना गया है और इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है.आइए विस्तार से समझते हैं कि कोर्ट में झूठ बोलना कितना बड़ा अपराध है और इसके लिए क्या सजा मिल सकती है.

कोर्ट में झूठ बोलना क्या कहलाता है?

अगर कोई व्यक्ति अदालत में गवाही के दौरान जानबूझकर असत्य बोलता है या दस्तावेज़ों में झूठी जानकारी देता है, तो इसे झूठी गवाही (False Evidence) या झूठा बयान (Perjury) कहा जाता है. यह भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code - IPC) की धारा 191 से लेकर 193 तक के तहत दंडनीय अपराध है.

IPC की कौन-कौन सी धाराएं लागू होती हैं?

 IPC धारा 191 – झूठी गवाही देना

इस धारा के तहत, यदि कोई व्यक्ति अदालत में गवाही देने के दौरान या शपथ लेने के बाद जानबूझकर झूठ बोलता है, तो उसे झूठी गवाही का दोषी माना जाता है.

IPC धारा 193 – झूठी गवाही के लिए सजा

इस धारा के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अदालत में झूठ बोलता है या झूठे दस्तावेज प्रस्तुत करता है, तो:

1.उसे 3 साल से लेकर 7 साल तक की जेल हो सकती है.

2.इसके साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

3.यदि झूठी गवाही से किसी निर्दोष को सज़ा हो जाती है, तो दोषी को और भी कड़ी सजा, जैसे 10 साल या आजीवन कारावास तक हो सकता है.

ऐसा करना कितना गंभीर अपराध है?

1.कोर्ट में झूठ बोलना न सिर्फ न्याय प्रक्रिया को बाधित करता है, बल्कि इससे निर्दोष लोगों को भी नुकसान हो सकता है.

2.यह न्यायिक प्रणाली की विश्वसनीयता को कमजोर करता है.

3.एक झूठी गवाही कई बार किसी बेगुनाह को जेल पहुंचा सकती है और किसी दोषी को बरी करा सकती है.

4.इसलिए अदालत में झूठ बोलना एक गंभीर नैतिक और कानूनी अपराध है, जिसे सरकार बेहद गंभीरता से लेती है.

कोर्ट में गवाही देते समय किन बातों का ध्यान रखें?

सिर्फ सच कहें – चाहे बात आपके खिलाफ हो या पक्ष में, सच बोलना ही सबसे सुरक्षित और सही रास्ता है.

शपथ का सम्मान करें – अदालत में गवाही से पहले जो शपथ दिलाई जाती है, वह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि कानूनी दायित्व होता है.

गलती से गलत बयान ना दें – अगर कुछ याद नहीं आ रहा है या स्पष्ट नहीं है, तो साफ कहें कि आपको याद नहीं, झूठ बोलने से बचें.

दबाव में आकर गवाही न बदलें – कई बार बाहरी दबाव में लोग गवाही बदल देते हैं, जो बाद में उनके लिए घातक हो सकता है.

झूठी गवाही से कैसे बचा जा सकता है?

1.गवाही देने से पहले अच्छी तरह से तथ्यों की जानकारी लें.

2.किसी के कहने पर झूठ बोलने से बचें, क्योंकि सजा आपको ही भुगतनी होगी.

3.यदि आप पर किसी तरह का दबाव डाला जा रहा है, तो उसकी सूचना पुलिस या कोर्ट को दें.

कोर्ट में झूठ बोलना कानूनन अपराध है और इसके लिए 3 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है.अगर इस झूठ से किसी को गंभीर नुकसान पहुंचता है, तो सजा और भी बढ़ सकती है.अदालत में सच बोलना सिर्फ कानून का पालन नहीं, बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी भी है. इसलिए हमेशा न्याय के मंदिर यानी कोर्ट में ईमानदारी से पेश आएं और सच ही बोलें, चाहे हालात कैसे भी हों.

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