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Vande Bharat Wrong Route: गलत ट्रैक पर दौड़ी वंदे भारत, 15 घंटे का सफर 28 घंटे में तय, रेलवे का बना अनचाहा रिकॉर्ड

Vande Bharat: 5 अक्टूबर को साबरमती (गुजरात) से गुरुग्राम (हरियाणा) के बीच चलाई गई स्पेशल वंदे भारत ट्रेन (09401) ने ऐसा रिकॉर्ड बना दिया जिसे रेलवे कभी याद नहीं करना चाहेगा.

Source: Vande Bharat

Vande Bharat Wrong Route: भारतीय रेलवे में कभी-कभी ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, जिन पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है. हाल ही में कुछ ऐसा ही हुआ, जब देश की शान मानी जाने वाली वंदे भारत ट्रेन एक बड़ी ऑपरेशन चूक का शिकार हो गई. 5 अक्टूबर को साबरमती (गुजरात) से गुरुग्राम (हरियाणा) के बीच चलाई गई स्पेशल वंदे भारत ट्रेन (09401) ने ऐसा रिकॉर्ड बना दिया जिसे रेलवे कभी याद नहीं करना चाहेगा. यह ट्रेन सिर्फ 898 किलोमीटर का सफर करने वाली थी, लेकिन गड़बड़ी की वजह से इसे लगभग 1400 किलोमीटर घूमकर अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ा. इतना ही नहीं, 15 घंटे की बजाय इस सफर को पूरा करने में 28 घंटे लग गए. यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा और रेलवे की यह लापरवाही अब चर्चा का विषय बन गई है.

तकनीकी चूक से सब गड़बड़ हुआ 

ट्रेन शाम 6 बजे साबरमती से रवाना हुई थी. इसका निर्धारित रूट था - साबरमती - अजमेर- जयपुर-गुरुग्राम। लेकिन कुछ ही दूरी पर मेहसाणा के पास ट्रेन को रोकना पड़ा क्योंकि उसमें हाई-रीच पैंटोग्राफ नहीं था. यह पैंटोग्राफ ट्रेन को ऊपर की बिजली की तार (OHE – Overhead Equipment) से कनेक्ट करने के लिए जरूरी होता है. दरअसल, इस रूट पर जो बिजली की तारें होती हैं वो थोड़ी ऊंची (High-Rise) होती हैं, क्योंकि यहां डबल-स्टैक मालगाड़ियां (container trains) भी चलती हैं. ऐसे में साधारण पैंटोग्राफ वाली ट्रेनें उन तारों तक पहुंच ही नहीं पातीं. इसलिए, यहां केवल हाई-रीच पैंटोग्राफ वाली ट्रेनें ही चल सकती हैं. लेकिन इस वंदे भारत ट्रेन में ऐसा पैंटोग्राफ था ही नहीं.

रूट बदलना पड़ा

जब यह बात सामने आई कि ट्रेन को उसके निर्धारित रूट पर नहीं चलाया जा सकता, तो रेलवे अधिकारियों ने उसे वैकल्पिक रास्ते से भेजने का फैसला किया. इसके बाद ट्रेन को अहमदाबाद-उदयपुर-कोटा-जयपुर-मथुरा होते हुए गुरुग्राम भेजा गया. यह रास्ता न सिर्फ काफी लंबा था, बल्कि इससे यात्रियों की हालत भी खराब हो गई.
यात्रियों ने बताया कि वो 15 घंटे की यात्रा सोचकर चले थे, लेकिन 28 घंटे बाद गंतव्य पर पहुंचे. सफर इतना लंबा और थकाऊ था कि लोगों का धैर्य जवाब दे गया. कुछ लोग गुस्से में थे, तो कुछ थक कर चुपचाप बैठ गए. एक यात्री ने कहा  “पूरे दिन और रात का हाल बेहाल हो गया, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.”

 रेलवे की बड़ी लापरवाही 

रेलवे अधिकारियों ने इस घटना को एक बुनियादी तकनीकी चूक माना है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि ट्रेन में हाई-रीच पैंटोग्राफ नहीं था, और इस रूट पर ट्रेन को भेजने से पहले यह बात चेक की जानी चाहिए थी. यह एक बेसिक लेवल की जांच थी, जो अगर सही समय पर हो जाती, तो यह पूरी परेशानी टल सकती थी. वंदे भारत ट्रेनों में आमतौर पर साधारण पैंटोग्राफ लगाए जाते हैं, लेकिन कुछ खास रूट्स (जैसे अजमेर-दिल्ली) पर हाई-राइज वर्जन की जरूरत होती है. इस बार यह जांच नहीं हुई और ट्रेन को गलत ट्रैक पर भेज दिया गया  जो कि एक बहुत बड़ी लापरवाही है.

 केवल एक बार के लिए चलाई गई थी ये स्पेशल ट्रेन

बताया जा रहा है कि यह वंदे भारत ट्रेन केवल 5 और 6 अक्टूबर को वन-वे स्पेशल सर्विस के रूप में चलाई गई थी.लेकिन एक छोटी सी लापरवाही ने इसे रेलवे के लिए शर्मिंदगी का कारण बना दिया. अब इस घटना को "गलत ट्रेन, गलत ट्रैक" की मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है.

रेलवे जैसी बड़ी व्यवस्था में इस तरह की छोटी लापरवाहियां बहुत बड़े नुकसान और असुविधा का कारण बन सकती हैं. वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेन से लोग बेहतर सुविधा और समय की उम्मीद रखते हैं, लेकिन जब ऐसा हादसा होता है, तो पूरा भरोसा हिल जाता है.

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