Advertisement

शारीरिक संबंध बनाने से किया इनकार तो पीछे पड़ गई महिला, शख्स को लेनी पड़ी अदालत की शरण, कोर्ट ने कहा- 300 मीटर तक नजर मत आना

दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में एक महिला को एक विवाहित व्यक्ति का पीछा करने और उसे लगातार परेशान करने से रोकने का आदेश दिया है. अदालत ने यह फैसला उस मामले में सुनाया, जिसमें महिला पर आरोप था कि वह शादीशुदा पुरुष पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बना रही थी.

Author
30 Jul 2025
( Updated: 11 Dec 2025
01:54 PM )
शारीरिक संबंध बनाने से किया इनकार तो पीछे पड़ गई महिला, शख्स को लेनी पड़ी अदालत की शरण, कोर्ट ने कहा- 300 मीटर तक नजर मत आना
Meta AI

आपने अक्सर युवाओं को लड़कियों का पीछा करते, उन्हें परेशान करते या स्टॉक करते देखा या सुना होगा. लेकिन दिल्ली की एक अदालत से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पुरुष समाज में डर का माहौल पैदा कर दिया है. दरअसल, इस मामले में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. अदालत के सामने ऐसा केस आया, जिसमें कोर्ट ने एक महिला से कहा कि वह शादीशुदा पुरुष का पीछा करना छोड़ दे.

दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में एक महिला को एक विवाहित व्यक्ति का पीछा करने और उसे लगातार परेशान करने से रोकने का आदेश दिया है. अदालत ने यह फैसला उस मामले में सुनाया, जिसमें महिला पर आरोप था कि वह शादीशुदा पुरुष पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बना रही थी. मामले के अनुसार, जब पुरुष ने महिला के प्रस्ताव को ठुकरा दिया, तो उसने उसका पीछा करना, बार-बार संपर्क करना और मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. परेशान होकर व्यक्ति ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया. सुनवाई के बाद कोर्ट ने महिला को ऐसे किसी भी व्यवहार से तुरंत रोकने का निर्देश दिया.

कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
रोहिणी कोर्ट की सिविल जज रेणु ने कहा कि महिला (जो शादीशुदा है) पुरुष के फ्लैट के 300 मीटर के दायरे में नहीं आ सकती है और न ही किसी भी तरह से उससे और उसके परिवार के सदस्यों से संपर्क कर सकती है.

दिल्ली की अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि महिला को न केवल उस विवाहित पुरुष, बल्कि उसके परिवार के किसी भी सदस्य से व्यक्तिगत रूप से, या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, टेलीफोन अथवा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स सहित किसी भी तरीके से संपर्क, पीछा या उत्पीड़न करने से सख्ती से रोका जाता है. अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि महिला सीधे या परोक्ष रूप से, यहां तक कि किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से भी उस पुरुष या उसके परिवार से संपर्क करने का कोई भी प्रयास नहीं कर सकती. यह आदेश पुरुष की निजता और मानसिक शांति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पारित किया गया है.

क्या है पूरा मामला?
शिकायतकर्ता व्यक्ति ने अदालत में याचिका दायर की जिसमें उसने कहा कि साल 2019 में एक आश्रम में उसकी महिला से पहली बार मुलाकात हुई. इसी के बाद दोनों एक-दूसरे से बातचीत करने लगे. साल 2022 में, उसने कथित तौर पर महिला के प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वह एक शादीशुदा व्यक्ति है और उसके बच्चे भी हैं.

पीड़ित पुरुष ने अदालत में बताया कि उसके स्पष्ट इनकार के बावजूद महिला ने उसका पीछा करना बंद नहीं किया. वह न सिर्फ उसके आवास (फ्लैट) तक पहुंच जाती थी, बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से उसके बच्चों को भी स्टॉक करती रही. व्यक्ति ने यह भी आरोप लगाया कि महिला उस पर बार-बार शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डालती थी. जब उसने लगातार उसे नजरअंदाज किया, तो महिला ने आत्महत्या की धमकी देना शुरू कर दिया. पीड़ित के अनुसार, महिला ने कहा था कि यदि वह उसकी बात नहीं मानेगा और उसे इसी तरह इग्नोर करता रहेगा, तो वह सुसाइड कर लेगी.
इस पूरे घटनाक्रम से मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति ने अदालत से सुरक्षा की गुहार लगाई, जिसके बाद अदालत ने महिला के संपर्क और व्यवहार पर सख्त पाबंदी लगाते हुए रोक लगा दी. मामले पर विचार करने के बाद, जज रेणु ने कहा कि महिला की यह हरकत पुरुष के स्वतंत्र रूप से घूमने-फिरने के मौलिक अधिकारों को प्रभावित कर रहा है और उसे शांतिपूर्वक जीवन जीने से रोक रहा है. अदालत मामले में सुनवाई करने बाद इस नतीजे पर पहुंचा कि इस तरह के हस्तक्षेप से ऐसा नुकसान होता है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है. इसलिए, अदालत ने महिला पर पुरुष का पीछा करने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया.

यह भी पढ़ें

 

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
Gautam Khattar ने मुसलमानों की साजिश का पर्दाफ़ाश किया, Modi-Yogi के जाने का इंतजार है बस!
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें