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Bihar Election: राघोपुर में तेजस्वी की घेराबंदी, BJP के साथ आए बड़े राजपूत चेहरे राकेश रोशन, महागठबंधन का बिगड़ा खेल!

राघोपुर सीट पर तेजस्वी यादव की घेराबंदी करने के लिए BJP ने बड़ा दांव चला है. पार्टी ने चर्चित चेहरे राकेश रोशन को अपने पाले में ले लिया है.

Bihar Election: राघोपुर में तेजस्वी की घेराबंदी, BJP के साथ आए बड़े राजपूत चेहरे राकेश रोशन, महागठबंधन का बिगड़ा खेल!

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में महज पांच दिन बाकी हैं. इससे पहले जो सीट सबसे ज्यादा चर्चा में है वो राघोपुर सीट है. महागठबंधन के मुख्यमंत्री दावेदार और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव खुद इस सीट से दम भर रहे हैं, लेकिन इस बार मुकाबला एकतरफा नहीं है. क्योंकि BJP ने ऐसा दांव चला है जो पूरे समीकरण को पलट सकता है. 

राघोपुर सीट पर तेजस्वी यादव की घेराबंदी करने के लिए BJP ने बड़ा दांव चला है. पार्टी ने चर्चित चेहरे राकेश रोशन को अपने पाले में ले लिया है. हाल ही में राकेश रोशन ने केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान से मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने BJP का दामन थाम लिया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया है. माना जा रहा है पार्टी ने राजपूत वोटर्स को लामबंद करने के लिए राकेश रोशन को पार्टी में शामिल किया गया है. जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा भी होगी. ऐसे में RJD खेमे में खलबली मचना तय है. 

कौन हैं राकेश रोशन? 

राकेश रोशन बेहद कम समय में बिहार की राजनीति का प्रभावशाली चेहरा बन गए हैं. खासकर उत्तर बिहार के गांव-गांव में उनकी लोकप्रियता है. कभी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सक्रिय नेताओं में शुमार रहे राकेश ने पार्टी के लिए आईटी सेल की नींव रखी थी. उनकी अगुवाई में बड़ी तादाद में युवा LJP से जुड़े. उन्होंने LJP अध्यक्ष चिराग पासवान की पकड़ युवा और राजपूत समाज में मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. 

साल 2020 में राकेश रोशन ने तेजस्वी यादव के खिलाफ LJP के टिकट पर राघोपुर सीट से चुनाव लड़ा था. उस वक्त चिराग पासवान की अध्यक्षता वाली LJP एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रही थी. वहीं, JDU भी अलग चुनाव लड़ रही थी. तेजस्वी यादव के सामने अकेले मैदान में उतरकर राकेश रोशन ने 25 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे. जबकि तेजस्वी यादव को करीब 97 हजार वोट मिले थे. भले ही राकेश रौशन राघोपुर हार गए हों लेकिन इस सीट पर उन्होंने अपनी जड़ें जमीनी स्तर पर मजबूत की. बिहार की राजनीति को करीब से समझने वाले कहते हैं कि, उस वक्त राकेश रोशन NDA उम्मीदवार के रूप में लड़ते तो तेजस्वी यादव को हरा भी सकते थे. 

पिता की विरासत को बढ़ा रहे राकेश रोशन 

राकेश रोशन बिहार की सियासत के युवा और तेज तर्रार चेहरे हैं. राजनीति की बारीकियां उन्होंने विरासत में सीखने को मिली. राकेश रौशन के पिता दिवगंत बृजनाथ सिंह बिहार की राजनीति में बड़ा कद रखते थे. उनके प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह जिस कैंडिडेट के सिर पर हाथ रखते थे उसकी जीत तय थी. 
बृजनाथ सिंह की पहुंच केंद्रीय मंत्रियों तक हुआ करती थी. उन्हें LJP की नींव रखने वाले रामविलास पासवान का करीबी भी माना जाता था. बृजनाथ सिंह के राघोपुर में दबदबे को देखते हुए ही उनके बेटे राकेश रोशन को इस सीट से प्रत्याशी बनाया गया था. 

बृजनाथ सिंह की छवि कद्दावर और बाहुबली नेता की थी. 5 फरवरी 2016 में बाइक सवार अपराधियों ने उन पर अंधाधुन फायरिंग कर हत्या कर दी. लेकिन उनके आदर्श आज भी जीवित हैं. पिता की विरासत को राकेश रोशन आगे बढ़ा रहे हैं उसी कद उसी प्रभाव के साथ. हर साल ‘वीर बृजनाथ सिंह दिवस’ के रूप में उनके बलिदान को याद किया जाता है. राजपूत समाज में राकेश रोशन को भी बृजनाथ सिंह के वारिस और युवा संघर्षशील चेहरे के रूप में देखा जाता है. 

साल 2024 में राकेश रोशन ने तिरहुत स्नातक क्षेत्र से विधान परिषद का चुनाव लड़ा था. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरकर सभी को चौंका दिया था. इस चुनाव में जहां NDA के 5 दलों के गठबंधन को मात्र 10 हजार वोट मिले थे वहीं, अकेले राकेश रौशन ने 4 हजार वोट अपने पाले में कर लिए. 

BJP में आने के बाद कैसे बदलेंगे राघोपुर के समीकरण? 

राकेश रोशन अगर BJP में शामिल होते हैं तो राघोपुर का सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल जाएगा. यादव बहुल वाली इस सीट पर राजपूत वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं. ये ही वजह है कि BJP राकेश रोशन को पार्टी का चेहरा बनाने के लिए उत्सुक है. BJP मान रही है कि, राकेश रोशन के साथ आने से न केवल राघोपुर बल्कि पूरे उत्तर बिहार में राजपूत एकता और युवा ऊर्जा का नया उभार होगा.

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह खुद राघोपुर में राजपूत समीकरण पर नजर रखे हुए हैं. ऐसे में यह तेजस्वी यादव के लिए अब तक की सबसे टफ फाइट होगी. जहां पहले राघोपुर तेजस्वी के लिए सुरक्षित गढ़ माना जाता था. वहीं, यह सीट अब बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा रणक्षेत्र बनने जा रही है. जहां लालू परिवार की साख दांव पर है. पूर्व उपमुख्यमंत्री और महागठबंधन के CM दावेदार की साख दांव पर है. यानी उत्तर बिहार में सियासत की नई पटकथा लिखी जा रही है और उसके केंद्र में राकेश रोशन हैं. 

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