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गांव जाते ही शिंदे ने खेला नया दांव, एक फैसले से बदली महाराष्ट्र की राजनीति!

संजय शिरसाट ने कहा, "जब भी कोई राजकीय पेच आता है या उन्हें सोचने के लिए समय चाहिए होता है, तो वह दरयागांव को प्राथमिकता देते हैं. वहां न उनका मोबाइल लगता है, न उनसे संपर्क हो पाता है. शांति से विचार कर, वह वहां से बड़ा निर्णय लेकर लौटते हैं

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