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पाकिस्तान के एयरस्पेस से उड़ान भरने पर क्या लगता शुल्क? जानें क्या है इसे लेकर नियम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विमान "इंडिया 1" द्वारा पाकिस्तान के एयरस्पेस का उपयोग किया। इस दौरान पीएम मोदी का विमान पाकिस्तान की हवाई सीमा में 46 मिनट तक रहा। आज हम जाएंगे कि क्या किसी दूसरे देश के एयरस्पेस का उपयोग करने पर शुल्क लिया जाता है।
पाकिस्तान के एयरस्पेस से उड़ान भरने पर क्या लगता शुल्क? जानें क्या है इसे लेकर नियम
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 दिवसीय विदेशी दौरे पर हैं। लेकिन इस बीच खबरें हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जिस वक्त फ़्रांस की यात्रा के लिए निकले थे, उस वक़्त उन्होंने पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया। ख़बर तो ये भी है कि विमान ने रात 11 बजे पाकिस्तानी सीमा में एंट्री की और 46 मिनट तक वहां पर बना रहा। लेकिन सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान के एयरस्पेस से प्लेन निकालने के लिए भारत को फीस देनी पड़ती है? आज हम आपको इससे जुड़ा नियम बताएंगे.
क्या है पूरा मामला?
यह मामला उस समय की है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस यात्रा पर जा रहे थे। उनकी यात्रा के दौरान, अफगानिस्तान का एयरस्पेस बंद था, जिसके कारण पीएम मोदी के विमान को पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजरना पड़ा। पाकिस्तान ने भारत के विमान को अपनी हवाई सीमा में 46 मिनट तक रहने की अनुमति दी। इस दौरान पीएम मोदी का विमान पाकिस्तान के कई इलाकों से होते हुए, जैसे शेखपुरा, हफीजाबाद, चकवाल, और कोहाट से गुजरा।
यह पहली बार नहीं था जब पीएम मोदी के विमान को पाकिस्तान के एयरस्पेस से गुजरने की अनुमति मिली हो। इससे पहले, अगस्त 2024 में, जब पीएम मोदी यूक्रेन से दिल्ली लौट रहे थे, तब भी उनका विमान पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजरा था। उस समय भी लगभग 46 मिनट तक विमान पाकिस्तान के एयरस्पेस में रहा था। यह सब उस वक्त के राजनीतिक हालात और अंतरराष्ट्रीय विमानन नियमों के अनुरूप था।
एयरस्पेस क्या होता है?
अब, सबसे पहले समझते हैं कि एयरस्पेस क्या होता है। एयरस्पेस किसी भी देश की थल और जलसीमा के ऊपर का आकाशीय क्षेत्र होता है। यानी, जिस तरह से किसी देश की सीमा उसके जमीन और समुद्र के द्वारा निर्धारित की जाती है, ठीक उसी तरह आकाश का क्षेत्र भी उस देश का हवाई क्षेत्र होता है। प्रत्येक देश के पास अपने एयरस्पेस का विशेषाधिकार होता है, और यह उसका अधिकार होता है कि वह तय करे कि कौन सा विमान उसके हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर सकता है और कौन सा नहीं। उदाहरण के तौर पर, भारत के एयरस्पेस पर भारतीय सरकार और भारतीय वायुसेना का नियंत्रण होता है। किसी भी विमान को भारत के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए भारतीय अधिकारियों से अनुमति लेनी होती है। इसी प्रकार, पाकिस्तान का एयरस्पेस भी पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तानी वायुसेना के नियंत्रण में रहता है, और वहां भी किसी विमान को उड़ान भरने के लिए पाकिस्तान सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है।
क्या एयरस्पेस के लिए फीस लगती है?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या किसी दूसरे देश के एयरस्पेस में उड़ने के लिए फीस (पैसा) देना पड़ता है? तो इसका सीधा और सटीक जवाब है, नहीं। आम तौर पर, किसी विमान को दूसरे देश के एयरस्पेस से गुजरने के लिए शुल्क नहीं लिया जाता। हालांकि, इसे एक समझौते के तहत देखा जा सकता है। सभी देशों के हवाई क्षेत्र आपस में इंटरकनेक्टेड होते हैं और उन्हें यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके एयरस्पेस से गुजरने वाले विमानों के लिए सुरक्षित मार्ग उपलब्ध हो। इसका मतलब यह है कि देशों के बीच एयरस्पेस का प्रयोग एक सामान्य अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत होता है, जहां विमान कंपनियां और देशों के बीच सहमति होती है। इसके बदले में, किसी विमान कंपनी को दूसरे देश के एयरस्पेस का इस्तेमाल करने के लिए सरकारों से अनुमति प्राप्त करनी होती है। लेकिन यह अनुमति लेने का अर्थ यह नहीं कि किसी फीस का भुगतान किया जाता है। हालांकि, यह प्रक्रिया देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों और राजनीतिक रिश्तों पर निर्भर करती है।
एयरस्पेस और द्विपक्षीय रिश्तों का असर
एयरस्पेस का उपयोग द्विपक्षीय रिश्तों से भी प्रभावित होता है। जब दो देशों के बीच अच्छे रिश्ते होते हैं, तो एयरस्पेस के उपयोग के लिए कोई समस्या नहीं होती। लेकिन अगर रिश्ते तनावपूर्ण हो, तो इसका असर एयरस्पेस के उपयोग पर पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर, 2019 में पुलवामा हमले के बाद, भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव आ गया था। इसके परिणामस्वरूप, पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस भारतीय विमानों के लिए बंद कर दिया था। हालांकि, पाकिस्तान ने मार्च 2019 में नागरिक उड़ानों के लिए अपने एयरस्पेस को फिर से खोल दिया था, लेकिन उस समय के तनावपूर्ण हालात ने यह स्पष्ट कर दिया कि एयरस्पेस का उपयोग अंतरराष्ट्रीय राजनीति और देशों के रिश्तों से प्रभावित हो सकता है।
हालांकि, पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल भारत के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह भविष्य में कैसे विकसित होगा, यह निर्भर करेगा दोनों देशों के राजनीतिक रिश्तों पर। अगर दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग की स्थिति बनी रहती है, तो एयरस्पेस के उपयोग में कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन अगर किसी कारणवश रिश्ते तनावपूर्ण होते हैं, तो फिर से एयरस्पेस पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, जैसा कि 2019 में हुआ था।
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