पवन कल्याण: क्या दक्षिण में नया हिंदुत्व नेता उभर रहा है?
पवन कल्याण का बढ़ता प्रभाव और हिंदुत्व के प्रति उनका झुकाव यह दर्शाता है कि वह दक्षिण भारत में हिंदू वोटबैंक को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। तिरुपति लड्डू विवाद और सनातन धर्म रक्षा बोर्ड की मांग के जरिए उन्होंने यह साबित कर दिया है कि वह न सिर्फ एक अभिनेता या नेता हैं, बल्कि हिंदू धर्म के सशक्त प्रवक्ता के रूप में उभर रहे हैं। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पवन कल्याण की यह नई सियासी रणनीति उन्हें कहां तक ले जाती है और क्या वे वाकई हिंदुत्व के नए सियासी धर्मयोद्धा बन पाएंगे?
तिरुपति बालाजी मंदिर के पवित्र लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलने के विवाद ने आंध्र प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। हिंदू आस्थाओं पर चोट के रूप में उभरते इस विवाद ने खासकर दक्षिण भारतीय सियासत को गरमा दिया है। इस मुद्दे पर सबसे मुखर होकर आवाज उठाने वाले शख्स पवन कल्याण ने वह बात कह दी है जो इस देश के बड़े बड़े नेता, राजनेता तक नहीं कह पाए। जिसके बाद वह हिंदुत्व की सियासत के केंद्र में आते दिखे जा रहे हैं, और लोग उन्हें रियल हिरो बता रहे हैं।
पवन कल्याण, जो पहले फिल्मों के जरिए अपने प्रशंसकों के दिलों पर राज करते थे, अब राजनीति में जनसेवा के जरिए अपनी पहचान बना रहे हैं। अभिनेता से नेता बने पवन की छवि अब एक सशक्त हिंदू नेता की बनती जा रही है। खासकर, जब उन्होंने सनातन धर्म रक्षा बोर्ड की मांग उठाई तो यह स्पष्ट हो गया कि वह हिंदुत्व के मुद्दे को अपनी राजनीति का केंद्र बनाकर आगे बढ़ने वाले हैं। पवन कल्याण का यह कदम उनके सियासी सफर को नया आयाम दे सकता है।
तिरुपति मंदिर, जो हिंदुओं के लिए असीम आस्था का प्रतीक है, उसके लड्डू प्रसाद में मिलावट का मुद्दा सामने आने के बाद पवन कल्याण ने खुलकर इस विवाद का विरोध किया। उन्होंने कहा, "हिंदू धर्म की आस्था को आघात पहुँचाना एक गंभीर अपराध है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तिरुपति मंदिर की शुचिता और सम्मान की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।" इसके बाद से पवन कल्याण को दक्षिण में हिंदुत्व के नए धर्मयोद्धा के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने इस विवाद के जरिए पूरे देश में हिंदुओं की भावनाओं को जागृत किया है। पवन कल्याण ने राष्ट्रीय स्तर पर एक सनातन धर्म रक्षा बोर्ड की मांग की है, जिसका उद्देश्य हिंदू आस्थाओं और परंपराओं की रक्षा करना है। उनका कहना है कि, "हिंदू धर्म और उसकी परंपराओं पर बार-बार चोट की जा रही है। ऐसे में सनातन धर्म के संरक्षण के लिए एक सशक्त बोर्ड होना चाहिए, जो धार्मिक आस्थाओं की रक्षा कर सके।" उनकी इस मांग को दक्षिण भारत के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर भी समर्थन मिल रहा है।
जगन मोहन रेड्डी से पुराना हिसाब:
हालांकि इस पूरे विवाद पवन कल्याण ने जगन मोहन रेड्डी के पिता वाईएसआर रेड्डी पर जमकर आरोप लगाए है। उन्होंने कहा की "जब वाईएसआर रेड्डी मुख्यमंत्री थे, तब भी तिरुपति मंदिर से जुड़े कई ऐसे विवाद उठे थे। लेकिन तब इस मुद्दे पर कोई वाद विवाद नहीं हुआ"
पवन कल्याण के इन आरोपों ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर विवाद को जन्म दिया। हालांकि बताया जाता है कि तब भाजपा उन विवादों को भुना नहीं सकी, लेकिन पवन कल्याण अब इसे सियासी हथियार बना रहे हैं। उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि जगन मोहन रेड्डी की सरकार हिंदू आस्थाओं का सम्मान नहीं कर रही और मंदिरों के मामलों में पारदर्शिता की कमी है। पवन का यह हमला न सिर्फ धार्मिक मुद्दों पर आधारित है, बल्कि इसमें जगन मोहन रेड्डी से उनका व्यक्तिगत राजनीतिक हिसाब-किताब भी जुड़ा हुआ है।पिछली सरकार के कार्यकाल दौरान, तिरुपति बालाजी प्रसाद में पशु मेद (मछली का तेल, सूअर की चर्बी और बीफ़ वसा) मिलाए जाने की बात के संज्ञान में आने से हम सभी अत्यंत विक्षुब्ध हैं। तत्कालीन वाईसीपी (YCP) सरकार द्वारा गठित टीटीडी (TTD) बोर्ड को कई सवालों के जवाब देने होंगे! इस सन्दर्भ… https://t.co/SA4DCPZDHy
— Pawan Kalyan (@PawanKalyan) September 20, 2024
प्रकाश राज पर कसा तंज:
सिर्फ धार्मिक मुद्दों तक सीमित नहीं, पवन कल्याण अब अपने विरोधियों पर भी सख्त बयान दे रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अभिनेता प्रकाश राज की एक सोशल मीडिया पोस्ट पर निशाना साधा, जिसमें हिंदू आस्थाओं पर सवाल उठाए गए थे। पवन ने कहा, "हिम्मत है तो दूसरे धर्मों पर ऐसी टिप्पणी करें। हिंदू धर्म को हमेशा निशाना बनाना बंद करें।" इस बयान के बाद पवन कल्याण की हिंदू समर्थक छवि और मजबूत हो गई है।
आंध्र प्रदेश की राजनीति में भाजपा अब तक हिंदुत्व के एजेंडे को प्रभावी ढंग से स्थापित नहीं कर पाई है। 175 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा का प्रभाव सीमित रहा है, लेकिन पवन कल्याण की जनसेना पार्टी के पास 21 विधायक हैं, जो उन्हें एक महत्वपूर्ण राजनीतिक खिलाड़ी बनाते हैं। भाजपा, जो हिंदुत्व के एजेंडे को राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाने के लिए जानी जाती है, संभवतः पवन कल्याण को दक्षिण में हिंदुत्व के नए चेहरे के रूप में देख रही है।