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कौन है स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल के गुरु महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज?

स्टीव जॉब्स का नाम सुनते ही टेक्नोलॉजी की दुनिया के उस आइकॉन का चेहरा सामने आता है जिसने अपने आइडियाज और मेहनत से दुनिया को बदलकर रख दिया। लेकिन, शायद कम लोग जानते हैं कि उनकी पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स का आध्यात्म से गहरा जुड़ाव है। इस कड़ी में एक अहम नाम जुड़ता है – महामंडलेश्वर कैलासनंद गिरि जी महाराज। कौन हैं ये संत और कैसे उनकी शिक्षाओं ने लॉरेन पॉवेल के जीवन में गहरा प्रभाव डाला?

प्रयागराज के महाकुंभ में एक अनोखी घटना घटी, जिसने सनातन धर्म के प्रभाव को फिर से उजागर किया। एप्पल के दिवंगत फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने सनातन धर्म अपना लिया है। उनके इस कदम ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। इस प्रक्रिया में उन्हें उनके गुरू महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने नया नाम ‘कमला’ दिया और गोत्र ‘अच्युत’ प्रदान किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर उनके गुरू महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज कौन है?
कौन है गुरु कैलाशानंद गिरी जी महाराज?
महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज, निरंजनी पंचायती अखाड़े के पीठाधीश्वर और सनातन धर्म के प्रमुख प्रचारकों में से एक हैं। उन्होंने अपने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत दक्षिण काली मंदिर के पीठाधीश्वर के रूप में की थी, जहाँ उनका नाम कैलाशानंद ब्रह्मचारी था। अपनी गहन तपस्या और विद्वता के चलते, उन्होंने संत समाज में एक विशेष स्थान प्राप्त किया।

14 जनवरी 2021 को, उन्हें संत समाज ने निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर घोषित किया। उनके पट्टाभिषेक के दौरान संत समाज के प्रमुख संतों ने उनकी तपस्या और विद्वता की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उनका मानना है कि कैलाशानंद गिरी जी ने भारतीय सनातन संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
लॉरेन का सनातन धर्म के प्रति आकर्षण
लॉरेन पॉवेल जॉब्स के सनातन धर्म अपनाने की कहानी बेहद रोचक है। कहा जाता है कि एक दिन उन्होंने टीवी पर कैलाशानंद गिरी जी का प्रवचन देखा। उनके तार्किक और गूढ़ प्रवचन ने लॉरेन को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने तुरंत हरिद्वार स्थित उनके आश्रम का रुख किया। महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी के आश्रम में बिताए समय ने लॉरेन को सनातन धर्म के गहरे दर्शन से जोड़ दिया। उनकी सरलता, गहन ज्ञान और तपस्या ने लॉरेन को इतनी गहराई से प्रभावित किया कि उन्होंने सनातन धर्म अपनाने का निर्णय लिया। लॉरेन ने सनातन धर्म को अपनाते हुए महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी को अपना आध्यात्मिक गुरू मान लिया। उनके आशीर्वाद से, लॉरेन को नया नाम ‘कमला’ दिया गया। इसके साथ ही, उन्हें ‘अच्युत’ गोत्र प्रदान किया गया, जो उनके नए आध्यात्मिक जीवन का प्रतीक है।

लॉरेन ने अपनी नई पहचान के साथ सनातन धर्म के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने की बात कही। उन्होंने कैलाशानंद गिरी जी को पिता तुल्य मानते हुए कहा कि उनकी प्रेरणा से वह एक नए अध्याय की शुरुआत कर रही हैं।

महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने अपनी साधना और तपस्या से एक ऐसा व्यक्तित्व विकसित किया है, जो हर किसी को प्रेरित करता है। उनका जीवन लोक कल्याण और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित है। उनके प्रवचन न केवल आध्यात्मिक ज्ञान देते हैं, बल्कि जीवन को सही दिशा में ले जाने का मार्ग भी दिखाते हैं। लॉरेन पॉवेल जॉब्स का सनातन धर्म अपनाना न केवल व्यक्तिगत परिवर्तन की कहानी है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी है कि भारतीय आध्यात्मिकता और संस्कृति कितनी गहराई से प्रभाव डाल सकती है। यह घटना हमें यह समझने में मदद करती है कि सनातन धर्म केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति है, जो सभी को शांति, संतुलन और जीवन का सही मार्ग दिखा सकती है।

प्रयागराज के महाकुंभ में हुई यह घटना, जहां एक वैश्विक स्तर की शख्सियत ने भारतीय संस्कृति को अपनाया, यह दिखाती है कि सनातन धर्म की गहराई और सार्वभौमिकता अनमोल है। यह कहानी सिर्फ लॉरेन पॉवेल जॉब्स की नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की ताकत और उसकी वैश्विक स्वीकार्यता की है।

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