कौन हैं शहीद Major Mustafa जिन्हें शौर्य चक्र मिला तो तालियों से गूंज गया राष्ट्रपति भवन ?
इस बार ये सैन्य सम्मान पांच जुलाई को राष्ट्रपति भवन में दिया गया... जहां 26 जवानों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया... जिनमें सात जवान ऐसे थे... जिन्हें शहादत के बाद इस सैन्य सम्मान से नवाजा गया... जिनमें एक नाम मेजर विकास भांभू का था। तो वहीं दूसरा नाम मेजर मुस्तफा बोहरा का था दोनों ही जवानों की वीरगाथा जब राष्ट्रपति भवन में सुनाई गई तो पूरा राष्ट्रपति भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा
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देश की रक्षा के लिए मर मिटने वाले जवानों को हर साल उनकी बहादुरी के लिए सर्वोच्च सैन्य सम्मान से नवाजा जाता है। इस बार ये सैन्य सम्मान पांच जुलाई को राष्ट्रपति भवन में दिया गया, जहां 26 जवानों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। जिनमें सात जवान ऐसे थे जिन्हें शहादत के बाद इस सैन्य सम्मान से नवाजा गया। जिनमें एक नाम मेजर विकास भांभू का था तो वहीं दूसरा नाम मेजर मुस्तफा बोहरा का था।दोनों ही जवानों की वीरगाथा जब राष्ट्रपति भवन में सुनाई गई तो, पूरा राष्ट्रपति भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
सेना के दो जवानों की शहादत को मिला बड़ा सम्मान
राजस्थान के रहने वाले मेजर विकास भांभू 252 आर्मी एविएशन स्क्वॉड्रन में पायलट थे और मेजर मुस्तफा उनके को पायलट थे। साल 2022 के अक्टूबर महीने में दोनों जवान अरुणाचल प्रदेश के बॉर्डर एरिया में रुद्र हेलिकॉप्टर से टोही मिशन पर निकले थे और मिशन पूरा करके सुबह करीब साढ़े दस बजे लौट रहे थे ,कि तभी हेलिकॉप्टर में अचानक आग लग गई। जिसकी वजह से हेलिकॉप्टर तेजी से नीचे गिरने लगा जिसे मेकिंग नाम की जगह पर उतारा जा सकता था लेकिन ये जगह आबादी क्षेत्र होने के साथ साथ आर्मी बेस भी था। ऐसे में अगर हेलिकॉप्टर क्रैश होता तो भारी संख्या में लोगों की मौत हो जाती तो वहीं सेना को भी भारी नुकसान होता।
यानि मेजर विकास और मेजर मुस्तफा के पास दो ही विकल्प थे या तो वो अपनी जान बचाते या फिर आबादी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जान बचाते। लेकिन दोनों ही जवानों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए खुद की जान दांव पर लगाकर आबादी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जान बचाने का विकल्प चुना और अपनी जान पर खेल कर हादसे के शिकार हेलिकॉप्टर को जंगल की तरफ मोड़ दिया.। जिससे हेलिकॉप्टर भीषण हादसे का शिकार हो गया और दोनों ही जवान देश के लिए शहीद हो गये मरणोपरांत शौर्य सम्मान से नवाजे गये मेजर विकास और मेजर मुस्तफा की शौर्य गाथा जब राष्ट्रपति भवन में सुनाई गई तो पूरा राष्ट्रपति भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
मेजर विकास और मेजर मुस्तफा तो अब इस दुनिया में नहीं रहे इसलिये पायलट मेजर विकास की ओर से जहां उनकी पत्नी श्रेया चौधरी और मां सुखवंती शौर्य सम्मान लेने आईं तो वहीं को पायलट मेजर मुस्तफा बोहरा की ओर से उनकी मां फातिमा और उनके पिता जकीउद्दीन बोहरा ने शौर्य चक्र ग्रहण किया आपको बता दें
कौन हैं मेजर विकास भांभू ?
- मेजर विकास राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रहने वाले थे
- मेजर विकास भांभू के पिता सहकारी विभाग में नौकरी करते थे
- प्रारंभिक शिक्षा के बाद विकास पिता के साथ सीकर चले गये
- NDA परीक्षा पास करके सेना में लेफ्टिनेंट पद पर ज्वॉइन किया
- विकास ने आर्मी में रहते हर टास्क सफलता के साथ पूरा किया
- जितने भी आंतरिक कोर्स किये जब में विकास भांभू टॉपर रहे
- बेहतरीन परफॉर्मेंस के दम पर एविएशन ब्रांच में पायलट बन गये
सेना में ज्वॉइन करने के बाद मेजर विकास भांभू ने परिवार के साथ रहने के लिए साल 2019 में एक घर भी बनवाया था। मगर अफसोस की बात ये है कि वो अपने ही बनाए घर में रहने से पहले ही हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद हो गये। तो वहीं उनके को पायलट मेजर मुस्तफा बोहरा के बारे में आपको बता दें
कौन हैं मेजर मुस्तफा बोहरा ?
- मेजर मुस्तफा राजस्थान के उदयपुर जिले के रहने वाले थे
- मां ने बताया मुस्तफा शुरू से देश सेवा के लिए जागरुक थे
- 12वीं के बाद मुस्तफा बोहरा ने NDA की परीक्षा पास की
- मुस्तफा का परिवार उनकी शादी की तैयारी में जुटा हुआ था
- शादी से पहले ही मेजर मुस्तफा की शहादत की खबर आ गई
- सिर पर शादी का सेहरा सजने वाला था लेकिन तिरंगे में घर लौटे
जवान बेटे मेजर मुस्तफा की शहादत के बाद उनकी मां बेटे के नाम पर एक फाउंडेशन बनाया है।जिसमें सेना में जाने की चाह रखने वाले युवाओं की मदद की जाती है।बच्चे को किस तरह से भारतीय सेना में जाना है, इसके लिए क्या तैयारी करनी है और कौन सी परीक्षा देनी है।
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