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महिला डॉक्टर से रेप और मर्डर केस में कब क्या क्या हुआ, जाने इस पूरी टाइमलाइन से

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए जघन्य अपराध ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह मामला न केवल न्याय व्यवस्था की परीक्षा बना, बल्कि इसने समाज को भी यह सोचने पर मजबूर किया कि आखिर ऐसे वीभत्स अपराध कैसे होते हैं। आइए, इस मामले की पूरी कहानी और इससे जुड़े हर बड़े घटनाक्रम पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए डॉक्टर बलात्कार और हत्या मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस घटना ने न केवल चिकित्सा समुदाय में आक्रोश फैलाया, बल्कि देशव्यापी आंदोलन और न्याय की मांग को भी जन्म दिया। हांलांकि इस मामला में अदालत ने 20 जनवरी को संजय रॉय की सजा की घोषणा करने का निर्णय लिया। सीबीआई ने अदालत से सजा-ए-मौत की मांग की है।

पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए जघन्य अपराध न केवल न्याय व्यवस्था की परीक्षा बना, बल्कि इसने समाज को भी यह सोचने पर मजबूर किया कि आखिर ऐसे वीभत्स अपराध कैसे होते हैं। आइए, इस मामले की पूरी कहानी और इससे जुड़े हर बड़े घटनाक्रम पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

घटना 9 अगस्त, 2024
9 अगस्त की वह मनहूस तारीख थी, जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल की तीसरी मंजिल पर 27 वर्षीय महिला डॉक्टर का शव अर्धनग्न अवस्था में पाया गया। शुरुआती जांच में ही यह स्पष्ट हो गया कि यह कोई सामान्य मौत नहीं थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बलात्कार और हत्या की पुष्टि हुई। इस घटना ने चिकित्सा जगत और आम जनता को झकझोर दिया।

आरोपी की गिरफ्तारी 10 अगस्त, 2024
कोलकाता पुलिस ने मामले की तेजी से जांच करते हुए 10 अगस्त को सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया। आरोपी पर रेप और मर्डर का आरोप लगा। इस बीच, डॉक्टरों और छात्रों में भारी आक्रोश था। उन्होंने न्याय की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।  इस घटना के बाद चिकित्सा समुदाय ने कामकाज रोककर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए और महिला डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की। इस विरोध प्रदर्शन ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा।

ममता बनर्जी का अल्टीमेटम 12 अगस्त, 2024
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता पुलिस को मामले को सुलझाने के लिए 7 दिनों का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर पुलिस नाकाम रही, तो मामला सीबीआई को सौंप दिया जाएगा। सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की और 25 सदस्यों की टीम बनाई। जांच में पाया गया कि संजय रॉय ने योजनाबद्ध तरीके से अपराध को अंजाम दिया। उसकी कॉल रिकॉर्ड्स, सीसीटीवी फुटेज, और डीएनए रिपोर्ट ने उसके अपराध को साबित किया। इस दौरान आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष ने बढ़ते विरोध के चलते इस्तीफा दे दिया।

हाई कोर्ट का हस्तक्षेप 13 अगस्त, 2024
कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस घटना का स्वयं संज्ञान लिया और इसे "बेहद वीभत्स" करार दिया। कोर्ट ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की। इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी इस मामले में दखल दिया।

सीबीआई को केस सौंपा गया 14 अगस्त, 2024
हाई कोर्ट के आदेश पर केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई। 25 सदस्यीय टीम और फोरेंसिक विशेषज्ञों को इस जांच में शामिल किया गया। इस दौरान ममता बनर्जी ने भी अपराध के खिलाफ एक विरोध रैली निकाली।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला 20 अगस्त, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए एक नेशनल प्रोटोकॉल तैयार करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने 10 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया और राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।

सीबीआई की कार्रवाई 25 अगस्त, 2024
सीबीआई ने आरजी कर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और अन्य संदिग्धों के घरों पर छापेमारी की। 2 सितंबर को, वित्तीय अनियमितताओं के मामले में भी घोष को गिरफ्तार किया गया।

मामला और जटिल हुआ 11 नवंबर, 2024
11 नवंबर से शुरू हुए मुकदमे में सीबीआई ने 125 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। इसमें मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ पुख्ता सबूत प्रस्तुत किए गए। अदालत ने गवाहों की गवाही और सबूतों की विस्तृत जांच के बाद 18 जनवरी को संजय रॉय को दोषी ठहराया। हालांकि बलात्कार और हत्या के मामले में चार्जशीट दाखिल करने में हुई देरी के कारण कई आरोपियों को जमानत मिल गई। हालांकि, मुख्य आरोपी संजय रॉय पर सियालदह कोर्ट में आरोप तय कर दिए गए और बंद कमरे में सुनवाई शुरू हुई।

ट्रायल और दोषसिद्धि 18 जनवरी, 2025
कड़ी जांच और गवाहों के बयान के बाद, सियालदह सेशन कोर्ट ने संजय रॉय को दोषी करार दिया। यह फैसला पीड़िता के परिवार और विरोध कर रहे डॉक्टरों के लिए एक बड़ी राहत थी। हालांकि अब अदालत ने 20 जनवरी को संजय रॉय की सजा की घोषणा करने का निर्णय लिया। सीबीआई ने अदालत से सजा-ए-मौत की मांग की है।

यह मामला न केवल एक जघन्य अपराध की कहानी है, बल्कि यह समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि ऐसे अपराधों को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है। इस घटना ने चिकित्सा क्षेत्र में सुरक्षा उपायों और न्याय प्रणाली में सुधार की जरूरत को रेखांकित किया।

आरजी कर रेप और मर्डर केस ने पूरे देश को झकझोर दिया। यह घटना हमारी न्याय प्रणाली, सामाजिक व्यवस्था, और सुरक्षा के ढांचे पर सवाल खड़ा करती है। अब जब संजय रॉय दोषी करार दिए जा चुके हैं, तो पीड़िता के परिवार को उम्मीद है कि 20 जनवरी को सजा का ऐलान न्याय की दिशा में एक और कदम होगा।

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